Jupiter :विवाह में बाधा है तो बृहस्पति के उदयकाल में करें ये काम
नई दिल्ली, 23 मार्च। बृहस्पति शुभ कार्यो के प्रतिनिधि ग्रह होने के साथ वैवाहिक, मांगलिक कार्यो के दाता भी हैं। विशेषकर वैवाहिक सुख बृहस्पति से ही प्राप्त होता है। यदि किसी विवाह योग्य युवक-युवती का विवाह नहीं हो पा रहा है, किसी न किसी तरह की बाधा आ रही है तो बृहस्पति के उदयकाल में अनेक प्रकार के प्रयोग और पूजन किए जाते हैं, जिनसे विवाह सुख प्राप्त करने में आ रही बाधा दूर हो जाती है। बृहस्पति 23 मार्च 2022 को प्रात: 6.41 पर उदय हो गए हैं। आज चैत्र कृष्ण षष्ठी बुधवार है।
आइए जानते हैं वे प्रयोग
पहला प्रयोग :जिस भी युवक-युवती का विवाह नहीं हो पा रहा है वह बृहस्पति के उदयकाल में आने वाले प्रथम बृहस्पतिवार से लेकर लगातार सात बृहस्पतिवार तक यह प्रयोग करें। बृहस्पति 23 मार्च को उदय हो रहे हैं और उसके बाद प्रथम बृहस्पतिवार 24 मार्च को आ रहा है। इस दिन बुध भी बृहस्पति की राशि मीन में आ रहा है इसलिए यह विशेष बृहस्पतिवार है। इस दिन प्रात: 6.41 के बाद विवाह योग्य युवक या युवती सर्वप्रथम हल्दी मिश्रित जल से स्नान करें। इसके बाद हल्दी की पांच साबुत गांठ लेकर इन्हें पूजा स्थान में एक छोटे से पीले कपड़े में रखें। इस पर पीले पुष्प अर्पित करके बृहस्पति और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए बृहस्पति के मंत्र ।। ऊं ह्रीं क्लीं हूं बृहस्पतये नम: ।। का सात माला जाप करें। जाप के लिए माला हल्दी या पीले हकीक की हो। इसके बाद उन पांचों हल्दी की गांठ को उसी कपड़े में बांधकर संभालकर रख लें। यह प्रयोग लगातार सात बृहस्पतिवार करें। अंतिम बृहस्पतिवार का प्रयोग पूरा करने के बाद इस सातों गठरियों को बहते जल में प्रवाहित कर दें। प्रयोग पूरा होते ही विवाह का प्रस्ताव प्राप्त होगा।
दूसरा प्रयोग :बृहस्पति के उदयकाल में आने वाले प्रथम बृहस्पतिवार के दिन केले के पौधे की जड़ निकालकर ले आएं। इसे शुद्ध जल, फिर कच्चे दूध और उसके बाद गंगाजल से स्वच्छ कर लें। हल्दी से इसकी पूजा करें और बृहस्पति के मंत्र ।। ऊं ह्रीं क्लीं हूं बृहस्पतये नम: ।। की सात माला जाप करें। जड़ को पीले कपड़े में बांधकर अपनी दाहिनी भुजा में बांध लें। शीघ्र ही विवाह की बात बन जाएगी।
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तीसरा प्रयोग :मान-सम्मान, प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए बृहस्पति के उदयकाल में नित्य प्रतिदिन 21 दिनों तक विष्णु सहस्रनाम का पाठ करके विष्णु भगवान को देसी गाय के घी का नैवेद्य लगाएं। यह प्रयोग विवाह बाधा दूर करने में भी सहायक है।
चौथा प्रयोग :बृहस्पति के उदयकाल में अमावस्या या पूर्णिमा के पूर्व आने वाली चतुर्दशी के दिन पितरों के निमित्त गुड़ और घी की धूप दें। पितरों की अप्रसन्नता के कारण भी अनेक प्रकार की बाधाएं आती हैं। इस प्रयोग से पितृ प्रसन्न होंगे और शुभाशीष प्रदान करेंगे।