Holi 2018: जानिए होली से जुड़ी कुछ चौंकाने वाली बातें, जिन्हें जानना है बेहद जरूरी
नई दिल्ली। रंगों और खुशियों के पर्व होली के बारे में कहा जाता है कि उमंगों और उत्साह के इस त्यौहार पर दुश्मन भी गले मिल जाते हैं। होली के रंग केवल इंसान के चेहरे को ही रंगीन नहीं करते हैं बल्कि वो इंसान के जीवन को भी रंगीन बना देते हैं इसलिए होली मनाने से पहले सभी को होली के बारे में जानना बेहद जरूरी है। आपको बता दें कि होली हमेशा हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनायी जाती है। यह पर्व दो दिनों का यह पर्व दो दिनों का है, पहले दिन होलिका दहन होता है और दूसरे दिन रंग खेला जाता है जिसे धुरड्डी, धुलेंडी, धुरखेल या धूलिवंदन कहा जाता है।
राग और रंग का संगम
होली के दिन राग और रंग का संगम होता है इसलिए लोग रंग खेलते समय जमकर नाचते-गाते हैं। फाल्गुनी होली को फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते हैं। होली के समय किसान काफी खुश होता है क्योंकि इस समय फसल पक चुकी होती है, सर्दी जा चुकी होती है और मौसम सुहावना होता है इसी कारण मन खुश होता है जिसकी वजह से ही होली को कवियों और साहित्यकारों ने मस्ती का त्यौहार कहा है क्योंकि इस वक्त हर कोई खुश होता है।
मुस्लिम साहित्यों में उल्लेख
होली का पर्व भारत में काफी पुराने वक्त से मनाया जा रहा है, जिसका जिक्र प्राचिन साहित्यों में मिलता है। सुप्रसिद्ध मुस्लिम पर्यटक अलबरूनी ने भी अपने ऐतिहासिक यात्रा संस्मरण में होलिकोत्सव का वर्णन किया है।
मुगल काल में होली
मुगल काल में होली के किस्से हैं। अकबर का जोधाबाई के साथ तथा जहांगीर का नूरजहां के साथ होली खेलने का वर्णन मिलता है। ईद-ए-गुलाबी या आब-ए-पाशी इतिहास में वर्णन है कि शाहजहां के ज़माने में होली को ईद-ए-गुलाबी या आब-ए-पाशी (रंगों की बौछार) कहा जाता था।
पूतना नामक राक्षसी का वध
कुछ लोग यह भी कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन पूतना नामक राक्षसी का वध किया था। इसी खु़शी में गोपियों और ग्वालों ने रासलीला की और रंग खेला था इसी कारण बृज में होली की बहुत मान्यता है।तो वहीं कुछ लोगों का मानना है कि होली में रंग लगाकर, नाच-गाकर लोग शिव के गणों का वेश धारण होता है।
भक्त प्रहलाद की कहानी
लेकिन सबसे ज्यादा मानक भक्त प्रहलाद की कहानी है जिनके पिता हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस थे जो कि खुद को भगवान मानने लगे थे और जो कोई उनका विरोध करता था तो उसे वो मार देते थे लेकिन जब उनके बेटे प्रहलाद ने उसका विरोध किया तो उन्होंने अपनी बहन होलिका से कहा कि वो इसे आग में लेकर बैठ जाये क्योंकि होलिका को वरदान मिला था कि वो जल नहीं सकती लेकिन हुआ इससे उलट, वो जल गई और प्रहलाद बच गया तब से होलिका-दहन होने लगा।
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