गरूड़ पुराण के अनुसार नौ तरह के होते हैं मोती
संस्कृत में मोती को मुक्ता, मुक्ताफल, शुक्तिज, मौक्तिक, शशिरत्न और शशिप्रिय कहते हैं।
नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक ग्रह का एक रत्न बताया गया है। चंद्रमा का रत्न मोती होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं गरूड़ पुराण में मोती के नौ भेद बताए गए हैं। आम लोग सिर्फ सीप से निकलने वाले मोती को ही मोती मानते हैं लेकिन वास्तव में मोती नौ प्रकार के होते हैं जिन्हें मणि भी कहा जाता है।
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संस्कृत में मोती को मुक्ता, मुक्ताफल, शुक्तिज, मौक्तिक, शशिरत्न और शशिप्रिय कहते हैं। फारसी में मरवारिद् तथा अंग्रेजी में पर्ल कहते हैं। मोती एक सुंदर, चमकदार सफेद रंग का अपारदर्शी रत्न है। ज्योतिष शास्त्र में इसे चंद्रमा का रत्न माना गया है। मोती एक विशेष जाति की सीप के गर्भ से प्राप्त होता है। जिस मोती में जितनी अधिक परत होती है वह उतना ही बड़ा और सुडौल होता है।
हाथी, सूअर, सर्प, मछली, व्हेल, शंख, बांस, बादल और सीप
गरूड़ पुराण में मोती के नौ भेद बताए गए हैं। हाथी, सूअर, सर्प, मछली, व्हेल, शंख, बांस, बादल और सीप। संस्कृत वाड.्मय में कहा गया है शैले शैले न माणिक्यं, मौक्तिकं न गजे गजे। अर्थात् प्रत्येक पर्वत पर मणि नहीं होती और प्रत्येक हाथी के सिर में मोती नहीं होता। मणिधारी सांप भी कोई-कोई ही होता है। उसी प्रकार मोतीधारी सूअर और मछली भी कभी-कभार ही मिलते हैं। इन प्राणियों से मिलने वाले मोती अत्यंत दुर्लभ होते हैं, इसलिए सीप से मिलने वाले मोती ही सर्वसुलभ हैं।
आइये जानते हैं मोतियों के प्रकार
गज मणि:
इसे गज गजमुक्तक भी कहते हैं। यह मोती हाथी की सूंड के उस स्थान पर पाया जाता है जहां मस्तक जुड़ता है। यह मोती पीली आभा से युक्त, लाल, कम चमकदार, लोचदार, गोल और आंवले के फल के समान धारीदार होता है। कहा जाता है कि अफ्रीकी हाथियों में यह मोती उपलब्ध होता है। कुछ हाथियों में यह लंबे त्रिकोण के आकार का भूरे रंग का होता है।
वराह मणि:
सूअर के सिर से निकला हुआ मोती बहुत निर्मल, मोगरे के पुष्प जैसा और गहरे रंग का होता है। इसके भी अनेक रंग भेद हैं। यह चंद्रमा के समान सफेद रंग वाला भी पाया जाता है।
नाग मणि या सर्प मोती:
इसे आम बोलचाल की भाषा में नागमणि कहा जाता है। सर्प से सिर से निकलने वाला मोती अति निर्मल, काली आभावाला, गोल, सुंदर अति प्रकाशवान तथा लक्ष्मीप्रदाता होता है। कहा जाता है कि यह 100 वर्ष से अधिक आयु के कोबरा सर्प में ही पाया जाता है। रंग भेद के अनुसार यह सुनहरा, हरा, लाल, नीला, पिंक, सफेद और काला भी हो सकता है।
मत्स्य मणि:
यह मोती कई तरह की मछलियों में पाया जाता है। यह मछली के सिर या पेट में मिलता है। यह मोती निंबौली के समान गोल और चमकदार लाल रंग, पिंक या हल्के हरे रंग का होता है। यह अत्यंत दुर्लभ होता है।
टीमा मणि या श्वेत मोती
यह मोती व्हेल मछली में पाया जाता है। अन्य मछलियों में पाए जाने वाले मोती से यह भिन्न तरह का होता है। यह मोती छोटे अंडे के आकार का खुरदुरा और कई रंगों में पाया जाता है।
मेघ मोती
यह मोती बादलों के मध्य में पाया जाता है। यह गोल, अति निर्मल, सूर्य की किरणों के समान तेज चमकदार और आकार में बड़ा होता है। नीले रंग के इस मोती में पानी की लहर के समान कई धारियां होती हैं। यह मोती वर्षा के समय आकाश मार्ग से देवता, सिद्ध और गंधर्वों के द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है। मनुष्यों के लिए यह अत्यंत दुर्लभ है।
वेणु मणि या बांस मोती
यह मोती केवल बांस खाने वाले जानवरों के पेट में पाया जाता है। यह बनता बांस में ही है, लेकिन कहां छुपा रहता है, इसे पता करना मुश्किल होता है। इसलिए जो जानवर बांस खाते हैं उनके पेट से निकाला जाता है। यह मोती वजन में हल्का, गोल, कपूर के समान कांतिवाला, हरी आभा और सूखे बेर के फल के समान खुरदुरा होता है।
शंख मणि
यह मोती समुद्री शंख से निकलता है। कबूतर के अंडे के समान गोल, सुंदर, हल्का, साफ और शुक्र तारे के समान चमकदार होता है। यह सफेद, पिंक, पहला और कभी-कभी गहरे लाल रंग में पाया जाता है। इसे कृत्रिम तरीके से नहीं बनाया जा सकता।
चंद्र मणि या सीप मोती
यह मोती सीप में पाया जाता है और मनुष्यों के लिए सुलभ है। सीप से निकला हुआ मोती एक तो वह होता है जो इसके अंदर के कीड़े के लेसदार स्राव से बनता है और दूसरे प्रकार का मोती सूर्य के स्वाति नक्षत्र में भ्रमण के दौरान ओस या वर्षा की एक बूंद सीप के मुंह में चले जाने से बनता है। यह प्राकृतिक मोती कहलाता है। यह मोती शुद्ध और उत्तम श्रेणी का होता है। इराक के बसरा नामक शहर के समुद्र के किनारे इस प्रकार की सीपियों में बने मोती बहुतायत में पाए जाते हैं, जिनका मूल्य हीरे से भी अधिक होता है।
ज्योतिषिय गुण
मोती चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है। जिन लोगों की जन्मकुंडली में चंद्रमा कमजोर हो उन्हें मोती धारण करने की सलाह दी जाती है। चंद्रमा यदि मंगल या राहु के साथ हो तो व्यक्ति को बैचेनी और अनमनापन बना रहता है। ऐसी स्थिति में चांदी की माला या चांदी की अंगूठी में मोती धारण करने से लाभ मिलता है। मस्तिष्क संबंधी रोगों, मानसिक विकार, सिरदर्द, माइग्रेन में भी मोती पहनना लाभ देता है। मोती की भस्म का चेहरे पर लेप करने से रंग में निखार आता है। चेहरा चमकदार बनता है और आकर्षण शक्ति बढ़ती है।