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Ashtadhatu Navgrah: नवग्रहों को बैलेंस करके भाग्योदय करती है अष्टधातु

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र में अष्टधातु का बड़ा महत्व है। कई पाप ग्रहों का दुष्प्रभाव और पीड़ा दूर करने के लिए अष्टधातु की अंगूठी या अष्टधातु का कड़ा पहना जाता है। भगवान की कई मूर्तियां भी अष्टधातु की बनाई जाती है। इसका कारण है इसकी शुद्धता। अष्टधातु का अर्थ है आठ धातुओं का मिश्रण। इनमें आठ धातुएं सोना, चांदी, तांबा, सीसा, जस्ता, टिन, लोहा, तथा पारा शामिल किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर धातु में ऊर्जा होती है। धातु अगर सही समय में और ग्रहों की सही स्थिति को देखकर धारण की जाए तो उसका सकारात्मक प्रभाव पहनने वाले को मिलता है। इसी सिद्धांत के आधार पर विभिन्न् ग्रहों की पीड़ा दूर करने के लिए उनके संबंधित रत्नों को भी अष्टधातु में पहनने का विधान है। आइए जानते हैं अष्टधातु का प्रयोग कब और क्यों किया जाना चाहिए।

अष्टधातु को अत्यंत पवित्र माना जाता है

अष्टधातु को अत्यंत पवित्र माना जाता है

  • अष्टधातु को अत्यंत पवित्र और शुद्ध धातु सम्मिश्रण माना गया है। इसमें कोई भी नकारात्मक ऊर्जा नहीं होती है। यदि जन्मकुंडली में राहु अशुभ स्थिति में हो या उसकी महादशा चल रही हो तो बहुत कष्ट देता है। ऐसी स्थिति में दाहिने हाथ में अष्टधातु का कड़ा धारण करने से राहु की पीड़ा शांत होती है।
  • अष्टधातु का संबंध मनुष्य के स्वास्थ्य से भी है। इसे हृदय को बल देने वाला और उसकी कार्यप्रणाली में सुधार लाने वाला बताया गया है।
  • अष्टधातु से हृदय की अनियमित धड़कन संतुलित और नियमित होती है। अष्टधातु का कड़ा या अंगूठी धारण करने से अनेक रोगों में आराम मिलता है।

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अष्टधातु को भाग्योदयकारक बताया गया है

अष्टधातु को भाग्योदयकारक बताया गया है

  • अष्टधातु की अंगूठी या कड़ा पहनने से मानसिक तनाव दूर होता है और मन मस्तिष्क में शांति व्याप्त होती है। यह वात, पित्त और कफ को संतुलित करके अनेक रोगों को दूर भगाता है।
  • अष्टधातु की कोई वस्तु धारण करने से व्यक्ति का मस्तिष्क उर्वर होता है। उसके निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। सही समय पर सही निर्णय लेने से उसकी तरक्की और आर्थिक संपन्न्ता के मार्ग खुलते हैं।
  • अष्टधातु को भाग्योदयकारक बताया गया है, बिजनेस में प्रॉफिट और तरक्की के लिए अष्टधातु की अंगूठी या लॉकेट धारण करें।
  • अष्टधातु से नवग्रह संतुलित होते हैं

    अष्टधातु से नवग्रह संतुलित होते हैं

    • अष्टधातु की अंगूठी या कड़ा पहनने से नवग्रह संतुलित होते हैं।
    • अष्टधातु की गणेशजी की मूर्ति अपने घर के पूजा स्थान में या ईशान कोण में स्थापित करने से घर में सब शुभ होता है।
    • किसी भी कार्य में रूकावट नहीं आती।
    • विद्यार्थी, शिक्षक और एजुकेशन फील्ड से जुड़े लोग यदि अष्टधातु की सरस्वती माता की मूर्ति की नियमित पूजा करें तो उनके ज्ञान, बुद्धि में वृद्धि होती है और इस क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकते हैं।
    • कई रोगों में अष्टधातु के बर्तन में रखा हुआ पानी पीया जाता है, लेकिन यह प्रयोग किसी योग्य आयुर्वेदाचार्य के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।

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English summary
Ashta Dhatu Mudrika has been considered significant in astrology and religious performances, and it has many advantages.
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