जानिए नवरात्र में क्यों महत्वपूर्ण है महानवमी?
अधिकांश घरों में नवरात्र व्रत रखकर मां दुर्गा की उपासना की जाती है। नौ दिनों तक चलने वाले शक्ति के पर्व में कुछ जातक पूरे नौ दिनों तक व्रत रखते है, किन्तु अष्टमी व नवमी को ज्यादातर भक्त व्रत रखकर मॉ भगवती की आराधना करते है।
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क्यों महत्वपूर्ण है अष्टमी व नवमी तिथि?
अष्टमी तिथि के देवता शिव जी है और नवमी तिथि की देवी आदि शक्ति मॉ दुर्गा है। शास्त्रों के अनुसार शिव अर्द्धनारीश्वर है यानि शिव पुरूष-स्त्री दोनों का प्रतीक है। जिस कारण नवरात्र में अष्टमी व नवमी दोनों तिथियों का विशेष महत्व है। नवरात्र में अष्टमी व नवमी तिथयों को पूजन करने से सम्पूर्ण प्रकृति की ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
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भविष्य पुराण में भगवान श्री कृष्ण और धर्मराज युधिष्ठिर के संवाद में दुर्गाष्टमी व नवमी के पूजन का उल्लेख मिलता है। मॉ भगवती का पूजन अष्टमी व नवमी को करने से कष्टों का निवारण होता है, शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और इच्छित मनोकामनायें पूर्ण होती है। ये दोनों तिथि परम कल्याणकारी, पवित्र, सुख को देने वाली होती है। यह पूजन सतयुग, त्रेता, द्वापर आदि युगों से निरन्तर चला आ रहा है, जो कलियुग में विशेष फलदायी है।
नवरात्रि 2016: जानिए नवमी के हवन और पूजा का समय
नवरात्र के आठवें दिन की महागौरी है। मॉ जगदम्बा ने कठिन तपस्या कर गौरवर्ण को प्राप्त मॉ महागौरी के नाम से सम्पूर्ण जगत में विख्यात हुयी। मॉ दुर्गा की शास्त्रीय विधि से पूजा करने वाले सभी लोग रोग मुक्त होकर धन वैभव को प्राप्त करते है। नौंवे दिन मॉ सिद्धिदात्री की पूजा होती है। मॉ सिद्धिदात्री ने देवताओं और भक्तों सभी मनवांछित मनोरथों को सिद्ध कर दिया, जिससे पूरे जगत में मॉ सिद्धिदात्री के रूप में प्रसिद्ध हुयी। परम करूणामयी मॉ सिद्धिदात्री का पूजन व अर्चन करने से भक्तो के सारे मनोरथ सिद्ध होते है।
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इस प्रकार अष्टमी को विविध प्रकार से मॉ भगवती का पूजन कर रात्रि को जागरण करते हुये भजन, कीर्तन आदि का उत्सव मनाकर पूजा हवन कर नौं कन्याओं को भोजन खिलाकर पूर्णाहूति कर दशमी तिथि को व्रत परायण करना चाहिए। नवरात्र में मॉ दुर्गा का विधिवत पूजन करने से घर से सारी नकारात्मक ऊर्जा का लोप हो जाता है और पूरे वर्ष घर में सुखद, समृद्धिदायक व शान्त वातावरण बना रहता है।