महाकुंभ में बसंत पंचमी का महत्व, राशियों के हिसाब से पूजन
इलाहाबाद। बसंत पंचमी के अवसर पर 2 करोड़ लोग आज इलाहाबाद में चल रहे महाकुंभ में डुबकी लगायेंगे। इतनी भारी संख्या में लोग इस पर्व को मना रहे हैं। क्या आप इस पर्व का महत्व जानते हैं? हम आपको यहां बता रहे हैं कि बसंत पंचमी क्यों महत्वपूर्ण है और किस राशि के लोग किस मंत्र का जाप करें। पवमाघ शुक्ल पंचमी से बसंत ऋतु की शुरूआत होती है, जो फाल्गुन कृष्ण पंचमी को पूर्ण होती है। बसंत पंचमी प्यार के मौसम का त्यौहार है। यह सर्दियों के विदाई और गर्मी के आगमन का संकेत है। हरे पौधों में नयें सिरे से देखो तो शान्त व सुखद हवा में बसंत के कई किस्मों के फूल खिलते और लहराते देखा जाता है। यह दिन नवीन ऋतु के आगमन का संकेत देता है।
कुम्भ में बसंत पंचमी का महत्व-
श्रद्धा के धरातल पर बसी प्रयाग नगरी करोड़ों श्रद्धालुओं के विश्वास की उर्जा से जगमगा रही है। कुम्भ का तृतीय और अन्तिम शाही स्नान बसंत पंचमी के दिन है। प्रयाग में गंगा व जमुना प्रत्यक्ष रूप से दिखाई पड़ती है, किन्तु सरस्वती अदृश्य रूप में है। इन्ही तीनों के सम्मलिन के स्थल को संगम कहा जाता है। सरस्वती पूजा का खास दिन होने के कारण ही बसंत पंचमी को महाकुम्भ का अन्तिम शाही स्नान सम्पन्न होता है। क्योंकि वाणी की देवी सरस्वती के बिना त्रिवेणी पूरी नहीं होती है। इसलिए त्रिवेणी में इस दिन स्नान-दान का विशेष माहत्व है।
बसंत पंचमी से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण जानकारियां
- बसंत पंचमी माघ महीने के 5वें दिन मनाई जाती है।
- बसंत पंचमी का दिन सभी कार्यो के लिए शुभ माना जाता है।
- लेखन, कला, साहित्य और विद्यार्थियों के लिए विशेष शुभ माना जाता है, क्योंकि आज के दिन ज्ञान की देवी माॅ सरस्वती का प्राकटय हुआ था।
- बसंत पंचमी के दिन महान लेखक व कवि निराला जी का जन्म हुआ था।
- इस दिन कन्याओं को पीले चावलों का भोजन व पाले वस्त्र दान किये जाते है।
- कलियुग में बसंत के दिन दान का विशेष महत्व है।
- बसंत पंचमी के दिन विवाह, भवन निर्माण, जलाशय का निर्माण, फैक्ट्री का निर्माण और कालेज का निर्माण करना बेहद लाभकारी सिद्ध होता है।
- इस ऋतु में पीले पुष्पों से शिवलिंग की पूजा करने से अल्पायु योग की समाप्ति होकर दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
- बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की द्वादश नामावली का पाठ करने से माॅ भगवती प्रसन्न होकर सुख व समृद्धि प्रदान करती है।
- बसंत पंचमी के दिन किसान लोग नयें अन्न में गुड़ व घी मिलाकर अग्नि व पितृ तर्पण करते है।
मां सरस्वती को क्या है, प्रिय?
ज्ञान की देवी सरस्वती की उत्पति सत्व गुण से हुयी थी, इसलिए इन्हे श्वेत वर्ण की सामग्री विशेष प्रिय है। जैसे- श्वेत पुष्प, श्वेत चन्दन, दूध, दही, मक्कखन, श्वेत वस्त्र और श्वेत तिल के लड्डू आदि। वाणी की देवी मां सरस्वती का पूजन छात्र अपनी राशि के अनुसार करें तो सद्बुद्धि, विद्या और ज्ञान की गंगा बहेगी।
किस राशि के लोग क्या करें?
मेष-
"ऐं"
मन्त्र
की
एक
माला
का
जाप
करें।
वृष-
"आं
लृ"
इस
मन्त्र
की
2
माला
का
जाप
करें।
मिथुन-
"ऐं
रूं
स्वों"
इस
मन्त्र
की
1
माला
का
जाप
करें।
कर्क-
"ऊँ
ऐं
नमः"
निम्न
मन्त्र
की
2
माला
का
जाप
करें।
सिंह-
"ऊँ
ऐं
ह्रीं
सरस्वत्यै
नमः"
इस
मन्त्र
की
एक
माला
का
जाप
करें।
कन्या-
"वद
वद
वाग्वादिन्यै
स्वाहा"
निम्न
मन्त्र
का
51
बार
जाप
करें
तुला-
"
ह्रीं
ऊँ
ह्रसौं
ऊँ
सरस्वत्यै
नमः"
इस
मन्त्र
से
108
बार
जाप
करें।
वृश्चिक-
"ऊँ
ह्रीं
ऐं
ह्रीं
ऊँ
सरस्वत्यै
नमः"
मन्त्र
से
51
बार
जाप
करें।
धनु-
"ऐं
वाचस्पते
अमृते
प्लुवः
प्लुः"
मन्त्र
की
2
माला
का
जाप
करें।
मकर-
निम्न
मन्त्र
से-
"ऐं
वाचस्पतेअमृते
प्लवः
प्लवः"
108
बार
मां
सरस्वती
की
आराधना
करें।
कुम्भ-
"ऊँ
ह्रीं
हस्त्रैं
ह्रीं
ऊँ
सरस्वत्यै
नमः"
मन्त्र
से
51
बार
मां
सरस्वती
का
जाप
करें।
मीन-
यदि
निम्न
मन्त्र
से-
"श्रीं
ह्रीं
सरस्वत्यै
स्वाहा"
इस
राशि
के
विद्यार्थी
108
बार
विद्या
की
देवी
सरस्वती
का
जाप
करें
तो
निश्चय
रूप
से
विद्या,
ज्ञान
और
बुद्धि
का
विकास
होगा।