केरल में महिला टीचर कर रहीं टैरेस फार्मिंग, छोटी सी छत पर उगाए 100 पौधे
कम जगह में जैविक खेती करने वाले किसानों की सफलता प्रेरित करती है। केरल की एक शिक्षिका घर की छत पर गार्डनिंग (terrace gardening) कर रही हैं। इन्होंने 800 स्क्वायर फीट की छोटी सी जगह पर फल और सब्जियों की 100 किस्में उगा रह
कोट्टायम,
19
मई
:
टैरेस
गार्डनिंग
(terrace
gardening)
आज
कल
लोकप्रिय
विकल्प
है।
लेकिन,
क्या
विज्ञान
पढ़ने
के
बाद
खेती
का
विकल्प
चुना
जा
सकता
है
?
यह
भले
ही
चौंकाने
वाला
सवाल
हो
लेकिन
अब
खेती-किसानी
से
जुड़ने
वाले
लोग
तकनीक
और
विज्ञान
का
भरपूर
इस्तेमाल
कर
रहे
हैं।
ऐसी
ही
एक
शिक्षिका
हैं,
जिन्होंने
केमेस्ट्री
पढ़ाने
के
साथ-साथ
जैविक
खेती
शुरू
की
है।
ये
शिक्षिका
फलों
और
सब्जियों
की
100
किस्मों
को
मात्र
800
वर्ग
फुट
में
उगाती
हैं।
रसायन
शास्त्र
की
शिक्षिका
बिंदू
सीके
पिछले
एक
साल
से
खेती
कर
रही
हैं।
भारत
की
मिट्टी
में
विदेशी
पौधों
की
सफल
गार्डनिंग
करने
वाली
केरल
की
टीचर
बिंदू
की
टैरेस
गार्डनिंग
इंस्पायर
करती
है।
पढ़िए
प्रेरक
कहानी
(सभी
फोटो
वीडियो
ग्रैब;
साभार
YouTube
@ChilliJasmine)
छत पर हेल्दी सब्जियों की खेती
COVID-19 लॉकडाउन के दौरान शौकिया तौर पर जैविक खेती शुरू करने वाली बिंदू बताती हैं कि खेती उनके लिए शौक से बढ़कर है। वे बताती हैं कि उन्हें खेती से प्यार है। अपनी सब्जियों और फलों के पौधों की जांच करने के लिए सुबह सबसे पहले अपनी छत पर जाती हैं। बिंदू कहती हैं कि उनका टैरेस गार्डन लगभग 800 वर्ग फुट में फैला है। इसमें 100 से अधिक सब्जियों की प्रजातियां और 60 विभिन्न फलों के पेड़ हैं। अधिकांश पौधे विदेशी हैं।
सब्जियों और फल की खेती
केमेस्ट्री टीचर बिंदू और उनका परिवार पिछले साल अपने नए घर में शिफ्ट हुआ। नेचर लवर बिंदू बताती हैं कि नए घर में छत पर बगीचा लगाने की जगह देखकर खुशी मिली। वे बताती हैं कि घर के चारों ओर कमरे और बिल्डिंग बन चुकी है, लेकिन उन्हें विश्वास था कि छत पर अधिक उपज मिलेगी। पौधों की देखभाल करना भी आसान होगा।
टैरेस गार्डन में मिर्चों की कई किस्में
टमाटर, बैगन, फूलगोभी, मिर्च, पालक, सलाद खीरा, गाजर, बीन्स, चुकंदर, और भिंडी जैसी सब्जियां अपने बगीचे में उगाने वाली बिंदू बताती हैं कि उनके पास शिमला मिर्च, बैंगनी मिर्च, उज्ज्वला मिर्च, बज्जी मिर्च, और काली मिर्च सहित 10 किस्म की मिर्च हैं। उन्होंने बताया कि उनके टैरेस गार्डन में पांच अलग-अलग प्रकार की थाई चिली (bird's eye chilli) भी हैं।
खेती में सफलता की शानदार मिसाल
कोट्टायम में टैरेस गार्डनिंग से मशहूर बनीं बिंदू, ब्रोकली, तोरी, चीनी गोभी, और केल जैसी विदेशी सब्जियां भी उपजाती हैं। उन्होंने बताया कि गार्डन में बैंगन की आठ किस्में, पालक के सात प्रकार, चार प्रकार की भिंडी जैसी चीजें लगा रखी हैं। सब्जियों की खेती की शुरुआत में उन्होंने अलग-अलग नर्सरी से पौधे या ऑनलाइन बीज और पौध खरीदे। बकौल बिंदू, किसी भी नर्सरी के पास से गुजरते समय अक्सर वहां रुकती हैं। ज्यादातर बीज और पौधे नर्सरी से लेते हैं। विदेशी किस्म जैसे ज़ूचिनी के बीज ऑनलाइन खरीदे।
आगरा के मौसम में कई दुर्लभ उत्पाद
बिन्दु के टैरेस गार्डन में कई प्रकार के फलों के पेड़ भी देखे जा सकते हैं। वे बताती हैं कि फलों के पेड़ों का संग्रह असामान्य है। उन्होंने अपनी छत पर लिली पिली, ऑस्ट्रेलियन बीच चेरी, जबोटिकबा (ब्राज़ीलियाई ग्रेपट्री), जंगल जलेबी, इज़राइली अंजीर, लोंगान जैसे फलों का उत्पादन किया हैं। आगरा के मौसम में संतरे, स्ट्रॉबेरी, ड्रैगन फ्रूट जैसी चीजें उपजाना कठिन है, लेकिन बिंदू ने इन चीजों के अलावा तरबूज, स्टार फ्रूट, अमरूद की कई किस्मों सहित, कस्टर्ड सेब, चेरी और आम भी उपजाए हैं।
आगरा के मौसम में कई दुर्लभ उत्पाद
बिंदू कहती हैं कि संतरे और स्ट्रॉबेरी जैसे फल, ठंडे क्षेत्रों में सबसे अच्छे होते हैं। केरल के वातावरण में इनकी खेती करना मुश्किल है। हालांकि, उन्होंने अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया। आइडिया का कर गया। बकौल बिंदू, संतरे गर्म तापमान के अनुकूल हो सकते हैं। हमने इसकी प्लांटेशन कराई है। फलों के पेड़ जमीन पर नहीं लगाए जाने के कारण इन पड़ों का विकास सीमित लेकि अच्छी गुणवत्ता वाले दायरे में होकी है। हैं, वे केवल एक इष्टतम स्तर तक बढ़ते हैं।
दो बार है सिंचाई, केमिकल भी स्वदेशी !
जैविक खेती कर रहीं बिंदू बताती हैं कि कीटनाशक तैयार करने के लिए, नीम का तेल, साबुन, सिरका, या सोडा पाउडर एक साथ मिलाने के बाद पौधों पर छिड़काव किया जा सकता है। फलों और सब्जियों की खेती विभिन्न कंटेनरों और ग्रो बैग्स में की जाती है। उन्होंने कहा कि बैग में फल-सब्जी बहुत लंबे समय तक नहीं उगाए जा सकते। ऐसे में उन्होंने पौधों को धीर-धीरे कंटेनरों में लगाना शुरू कर दिया। वे बताती हैं कि बाजार से महंगे गमलों की खरीद के अलावा घरों में रखी हुई प्लास्टिक पेंट की बाल्टी, थर्मोकोल बॉक्स जैसी चीजों में भी बागवानी की जा सकती है। बिंदू बताती हैं कि पौधों को दिन में दो बार पानी दिया जाता है।
सलाह लेने आते हैं लोक
टेरेस गार्डन से जरूरत की अधिकांश चीजें घर पर मिल जाती है। खपत भी घरेलू है। बहुत सारी सब्जियां या फल के उत्पादन होने पर दोस्तों या परिवार के सदस्यों को बांटा जाता है। उन्होंने कहा, मुझे खुशी है कि मैं रासायनिक मुक्त फल और सब्जियां उगाने में सक्षम रही। बता दें कि बिंदू का एक YouTube चैनल भी है। इसका नाम 'चिली जैस्मीन' है। बिंदू बताती हैं कि कुछ लोग टैरेस गार्डन के बारे में सलाह लेने आते हैं। टैरेस गार्डन के उत्पाद के बारे में बिंदू ने बताया कि अतिरिक्त उपज दोस्तों और परिवार को उपहार में देती हैं। छत का बगीचा उपचार वाला स्थान है। उन्होंने कहा कि अपने पौधों से बात करना अच्छा लगता है। यह सांत्वना का स्थान है।
वीडियो से लोकप्रियता बढ़ी, जल्द तैयार होती है किस्म
बिंदू सीके का टैरेस गार्डन केरल के कोट्टायम के अयमानम में है। इस इलाके में तापमान 28 डिग्री से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। बिंदू ने जबसे अपना YouTube चैनल 'चिली जैस्मीन' शुरू किया है। दर्शकों और प्रशंसकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। उन्हें विभिन्न बीजों के साथ प्रयोग करना पसंद है। ऐसे में एक रसायन शास्त्र की शिक्षिका होने के नाते खेती में प्रयोग भी करती हैं। उन्होंने कहा कि इसके फायदे हैं। उन्होंने बताया, आमतौर पर संतरे के पौधे मीठे फल देने में तीन से पांच साल लगते हैं, लेकिन उनकी हाइब्रिड मैंगो वेराइटी फलने में केवल छह महीने लगते हैं।