किसान लोन में राहत के लिए 30 जून के पहले करें आवेदन, बस 15 दिन का टाइम बाकी, जानिए योजना
कर्ज लेकर खेती करने वाले किसानों के लिए जरूरी खबर है। इन किसानों को सरकार ने 30 जून तक का समय दिया है। इसके तहत किसान वन टाइम सेटलमेंट स्कीम का लाभ ले सकते हैं। जानिए पूरा विवरण
जयपुर, 14 मई : लोन लेकर खेती-किसानी कर रहे लोगों के लिए जरूरी सूचना है। राजस्थान के किसानों को 30 जून तक वन टाइम सेटलमेंट स्कीम का लाभ लेने के लिए आवेदन करना होगा। इसके बाद इस स्कीम का फायदा नहीं मिलेगा। आवेदन करने के बाद किसानों को OTS स्कीम का फायदा मिलेगा। ये ऐसे किसानों के संबंध में है जिन्होंने खेतीबारी के लिए कोऑपरेटिव बैंक से लोन (bank farm loans) लिया है।
किसानों के लिए OTS स्कीम
दरअसल, सहकारी भूमि विकास बैंक (Cooperative Land Development Bank) से राजस्थान के किसान बड़ी संख्या में लोन लेते हैं। बड़ी संख्या में किसानों को लोन चुकाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अब राजस्थान सरकार में सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने कहा है कि 30 जून 2022 तक किसान एकमुश्त समझौता योजना यानी वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम (OTS) का लाभ ले सकते हैं।
1900 से अधिक किसानों को फायदा
सहकारिता मंत्री के मुताबिक कृषि कार्यों के लिए कर्ज लेने वाले किसान 30 जून 2022 तक नई OTS स्कीम का लाभ ले सकते हैं। इस योजना के तहत लोन के ब्याज और दंडनीय ब्याज 50% माफ किए जाएंगे। टीवीनाइनहिंदी डॉटकॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान के 19 सौ से अधिक किसान OTS स्कीम के तहत 12 करोड़ से अधिक रुपए की राहत पा चुके हैं।
30 जून के पहले आवेदन जरूरी
वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम के संबंध में राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान किसानों को लोन चुकाने में परेशानी के कारण सरकार ने एकमुश्त समझौता योजना (OTS) लागू की। ऐसे किसान जिन्होंने लोन लिया है, और लोन का समय 31 जुलाई 2021 को खत्म हो चुका है, लेकिन पैसे बकाया हैं। इन किसानों को 30 जून 2022 तक आवेदन जमा करना होगा। इसमें वन टाइम सेटेलमेंट के तहत ऋण मुक्त होने की अपील करनी होगी। यानी अगर किसानों को वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम का लाभ चाहिए तो 30 जून के पहले आवेदन करना होगा।
मौत होने पर वारिस कितना पैसा चुकाएगा
सहकारिता मंत्री आंजना ने आश्वस्त किया है कि जिन किसानों ने लोन लिया है लेकिन अब जीवित नहीं हैं, उनके परिवार को ब्याज और दूसरे खर्चों से मुक्त किया जाएगा। यानी इन लोगों को अतिरिक्त पैसे नहीं देने पड़ेंगे। हालांकि, जिन किसानों की मौत हुई है, उनके वारिस को बकाया मूलधन जमा करना पड़ेगा।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट
खबर के मुताबिक राजस्थान में किसान सहकारी बैंक यानी कोऑपरेटिव बैंक से बड़े पैमाने पर लोन लेते हैं। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अनुसार सहकारी बैंकों से किसानों ने 2019-20 के दौरान 9800 करोड़ रुपये से अधिक लोन लिया था। पूरे देश में एग्रीकल्चर लोन के संबंध में वित्त मंत्रालय ने बताया कि सहकारी बैंकों की ओर से ने 11.33 फीसद कृषि लोन (1.57 लाख करोड़ रुपये से अधिक) बांटे गए।
बैंक लोन लेने की अपील
सरकार का कहना है कि किसानों का लोन बैंकों से ही लेना चाहिए। ये सस्ता होता है और किसान क्रेडिट कार्ड जैसी स्कीम का फायदा भी मिलता है। लोन की राशि तय समय में लौटाने पर भविष्य का रास्ता साफ रहता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में लॉन्ग टर्म लोन लेने वाले किसान अगर समय पर लोन अदा करते हैं तो उन्हें ब्याज दरों में 5% की सब्सिडी दी जाती है। कृषि ऋण की योजना के तहत मिलने वाले पैसे से पशुपालन भी किया जा सकता है। डेयरी उद्योग में भी किसानों को आर्थिक मदद दी जाती है।
ये
भी
पढ़ें-
मोदी
सरकार
के
4350
करोड़
प्लस
रुपये
42
लाख
से
अधिक
'गलत
खातों'
में
गए,
वसूली
की
तैयारी