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झारखंड की विलुप्त होती आदिम जनजातियों को बचाने की पहल, फिल्म मेकर्स, प्रोडक्शन हाउस की मदद लेगी सरकार

राज्य में कई कारणों से आदिम जनजातियों के सामने अपने अस्तित्व को बचाने की चुनौती है. अब राज्य सरकार ने इस दिशा में पहल की है. कला, संस्कृति, खेलकूद विभाग (झारखंड सरकार) ने इसके लिए एक कदम आगे बढाया है. वह

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रांची,19 सितंबरः राज्य में कई कारणों से आदिम जनजातियों के सामने अपने अस्तित्व को बचाने की चुनौती है. अब राज्य सरकार ने इस दिशा में पहल की है. कला, संस्कृति, खेलकूद विभाग (झारखंड सरकार) ने इसके लिए एक कदम आगे बढाया है. वह इस काम में फर्म, प्रोडक्शन हाउस, फिल्म निर्माताओं से मदद लेगी. इसके लिए टेंडर (EoI) जारी कर प्रस्ताव मांगे हैं. संस्कृति निदेशालय ने अनुभवी फर्मों, फिल्म निर्माताओं से इस काम के लिए सामने आने को कहा है. वेबसाइट http://www.jharkhandculture.com से प्रस्ताव के लिए डाक्यूमेंट्स डाउनलोड करने और जरूरी जानकारी लेने को कहा है. 12 अक्टूबर तक इसके लिए समय सीमा तय की है.

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सबर और दूसरी जनजातियों के सामने संकट
गौरतलब है कि झारखंड में (2011 की जनगणना के आधार पर) विशेष जनजाति की आबादी दो लाख 92 हजार है. इसमें सबर जैसे जनजाति की आबादी 3 प्रतिशत ही है. राज्य में सबर के सामने चुनौती तो है ही, असुर, बिरहोर, बिरजिया, माल पहाड़िया, सौरिया पहाड़िया, कोरवा सबर, हिल खड़िया और परहिया आदिम जनजातियों की श्रेणी में आने वाले भी खतरे के दायरे में हैं. अशिक्षा, कुपोषण और अन्य कारणों से इनकी संख्या सीमित हो रही है. ऐसे में संस्कृति निदेशालय इनके ऊपर डाक्यूमेंट्री के जरिये प्रभावी पहल शुरू होने की उम्मीद कर रहा है.

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English summary
Government will take the help of film makers, production houses, an initiative to save the extinct primitive tribes of Jharkhand
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