कुरुक्षेत्र को लैंड ऑफ भगवद्गीता से एक कदम आगे बढ़कर लैंड ऑफ श्री कृष्ण बनाना चाहिए: सीएम मनोहर लाल
कुरुक्षेत्र, 30 जून। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल गुरुवार को कुरुक्षेत्र के ज्योतिसर में भगवान श्री कृष्ण के "विराट स्वरूप प्रतिमा" के अनावरण समारोह में शामिल हुए। इसके उपरांत उन्होंने गीता ज्ञान संस्थान में श्रीमद्भागवत की वर्तमान प्रासंगिकता विषय पर आयोजित सेमिनार में भाग लिया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि कुरुक्षेत्र को आज से लैंड ऑफ भगवद्गीता से एक कदम आगे बढ़कर "लैंड ऑफ श्री कृष्ण" बनाना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण को जानने के लिए लोग मथुरा, वृंदावन जाते हैं, परंतु अब उन्हें कुरुक्षेत्र भी आना चाहिए। श्री कृष्ण की लीलाएं सभी स्थानों पर मिलती हैं। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को द्वापर में इसी धरती पर अपने विराट स्वरूप के दर्शन कराए थे, हमारा प्रयास उसी ऐतिहासिक घटना को 21 वीं सदी में जीवंत करने का है।
हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में गुरुवार को भगवान श्री कृष्ण के विराट स्वरूप का लोकार्पण किया गया। गीता संस्थान केंद्र से आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भगवान श्रीकृष्ण के विराट स्वरूप का लोकार्पण किया। इस अवसर पर गीता के श्लोक का उच्चारण भी किया गया। ज्ञानानंद महाराज ने मोहन भागवत को सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को द्वापर युग में इसी धरती पर अपने विराट स्वरूप के दर्शन कराए थे। हमारा प्रयास उसी ऐतिहासिक घटना को 21वीं सदी में जींवत करने का है। इंद्रदेवता के आदेश पर कुरुक्षेत्र में पहुंचे हैं। आज गुप्त नवरात्रि का महत्वपूर्ण दिन भी है। इस दिन किए जाने वाला कोई भी कार्य फलदायी होता है। भगवान श्री कृष्ण की विराट स्वरूप प्रतिमा का अनावरण हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने जो संदेश अर्जुन को सुनाया था, वह पूरे विश्व के लिए था। भगवान श्री कृष्ण का रथ ब्रहमसरोवर में बनाया गया तो आर्कषण बना। कुरुक्षेत्र डेवलपमेंट बोर्ड का गठन किया, परंतु धीरे धीरे उसका बजट बनाया। 48 कोस की प्रकिया के तहत 45 स्थानों का भ्रमण किया। सभी जिलों में समितियां बनी। स्थानीय लोगों ने भी योगदान दिया है। अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती की तरह ही श्रीकृष्ण उत्सव मनाने की योजना है। आज से लैंड ऑफ भगवद् गीता से एक कदम आगे लैंड ऑफ श्री कृष्ण बनाना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण को जानने के लिए मथुरा, वृंदावन जाते हैं, परंतु अब जानने के लिए कुरुक्षेत्र आना चाहिए। लीलाएं सभी स्थानों पर मिलती हैं। प्रतिमा सहित पूरे परिसर पर 200 करोड़ का खर्च आएगा। महाभारत का थीम होगा। विश्वस्तरीय संग्रहालय बनाया जाएगा। जब वह बनेगा तो देश और दुनिया के लिए संदेश होगा। स्वदेश दर्शन योजना पूरे देश के लिए बनेगी। कृष्णा सर्किट वन केंद्र सरकार ने बनाया है। पहले चरण में 75 करोड़ खर्च किया गया। कृष्णा सर्कट टू के लिए भी पैसा मिलेगा। कुरुक्षेत्र को दुनिया का आकर्षण केंद्र बनाएंगे। यहां पर रिसर्च और शिक्षा पर भी काम होगा।
सरसंघ संचालक मोहन भागवत ने संबोधन में कहा कि गीता किसी एक संप्रदाय का ग्रंथ नहीं है। यह बात सही है। भारत में हिंदू परपंरा में गीता है। हिंदू समाज उसका ट्रस्टी है। जब तक सृष्टि है, तब तक गीता की प्रासंगिकता है। गुरु नानक देव जी आपने दोष न लिवे करता। कृष्ण तो युद्ध लड़े ही नहीं, केवल रथ के पहिए ही दौड़ाए। भगवान की रीति है कि वो माध्यम से करवाता है। अर्जुन को लड़ने के लिए गीता का उपदेश दिया गया, परंतु गीता में अहिंसा का उल्लेख है। इसलिए कर्त्तव्य करों और निर्मल मन से करो। मोहन भागवत ने कहा कि गीता जीवन विद्या है। संपूर्ण विश्व से अपना जीवन बनता है। गीता की आज जरूरत है। सृष्टि में पर्यावरण बिगड़ गया है। जगह जगह कट्टरता है। आपस में द्वेष है। मनुष्य का मन संकुचित हो रहा है। संपूर्ण मानवता की एकता की बात तो करता है परंतु पड़ोस में ही गुट बनाकर लड़ता है। मुझे कुरुक्षेत्र में आने का सौभाग्य मिला।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि हरियाणा हरि का है। हरियाणा देवों की भूमि है। हरियाणा गीता का केंद्र है। कुरुक्षेत्र न केवल देश में नहीं बल्कि दुनिया के मैप् में स्थान मिलेगा। भगवत गीता एक मजहब का ग्रंथ नहीं है। पूरे मानव जीवन को संदेश देने वाली है गीता। मानव समाज जब तक रहेगा, तब तक गीता रहेगी। गीता ज्ञान संगठन के ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि कहीं न कहीं बुराई से भी अच्छाई निकल सकती है। धृतराष्ट्र की वाणी से पहला शब्द अधर्म नहीं निकला। आज एक महत्वपूर्ण दिवस है। भगवद् गीता का अवतरण स्थल ज्योतिसर अपनी पहचान खोता जा रहा था। 2014 में जब सरकार आई तो ज्योतिसर की चर्चा हुई। ज्योतिसर को उसका स्वरूप मिले, यह युग युगातंर के लिए एक प्रेरणा बनी रही।सरकार ने जो निर्णय लिया, वह सराहनीय है। दो साल कोविड के कारण गति धीमी हुई। आज ज्योतिसर में विराट स्वरूप की प्रेजेंटेशन अद्भुत थी। गीता भारत का गौरव है। सभी स्थान लुप्त होने की कगार पर थे। आज कुरुक्षेत्र को नई पहचान मिली है। कुरुक्षेत्र को महाभारत के नाम से जाना जाता था। भगवान श्री कृष्ण ने पूरे विश्व के लिए शांति का उद्घोष दिया। गीता के माध्यम से उपदेश दिया। इसलिए कुरुक्षेत्र की पहचान लैंड ऑफ द भगवद् गीता से होनी चाहिए। कुरुक्षेत्र वही स्थान है, जहां श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।
भगवान श्री कृष्ण का यह विराट स्वरूप 40 फुट लंबा और 35 टन वजनी है। विख्यात मूर्तिकार डॉ. राम सुतार और उनके पुत्र अनिल सुतार ने 80 कारीगरों की मदद से करीब 3 साल में इसे तैयार किया है। इस पर करीब 13 करोड़ 63 लाख रुपए खर्च हुए हैं। भगवान श्रीकृष्ण के विराट स्वरूप को उत्तर प्रदेश के नोएडा में तैयार किया गया। इसके बाद इसे ट्रक ट्रालों की मदद से कुरुक्षेत्र में लाया गया। विराट स्वरूप के चेहरे का ही वजन 6 टन से ज्यादा है। विराट स्वरूप में 9 चेहरे हैं। श्री कृष्ण के साथ इसमें श्री गणेश, ब्रह्मा जी, शिव जी, भगवान विष्णु का नरसिंह रूप, हनुमान जी, भगवान परशुराम, एग्रीव, अग्नि देव और पांव से लेकर मूर्ति से लिपट कर सिर के ऊपर छांव करते शेषनाग के दर्शन होंगे। विराट स्वरूप को 10 फुट ऊंचे प्लेटफार्म पर स्थापित किया गया है। विराट स्वरूप 4 धातुओं से मिलकर बना है। 85 प्रतिशत तांबा और 15 प्रतिशत अन्य तीन धातुओं का इस्तेमाल हुआ है। प्रतिमा को पवित्र ज्योतिसर स्थली पर लाइट एंड साउंड शो के ठीक सामने पूर्व-दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके स्थापित किया गया है। इस विराट स्वरूप को देखने के लिए दुनिया के कोने-कोने से पर्यटक पहुंचेंगे।
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