मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा- प्रधानमंत्री ने जैसे खुद को कहा प्रधान सेवक, उसी तरह मैं हरियाणा का मुख्य सेवक
चंडीगढ़, 28 जून। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि जिस प्रकार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं को प्रधानमंत्री ना कहते हुए देश का प्रधान सेवक कहा है, उसी प्रकार से हरियाणा प्रदेश में मेरी भूमिका मुख्य सेवक की है। मुख्यमंत्री अखिल भारतीय संत समिति के दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन समारोह में शामिल होने पटौदी स्थित आश्रम हरि मंदिर पहुँचे थे। अधिवेशन में धर्म रक्षा, राष्ट्र रक्षा व राष्ट्र निर्माण से संबंधित विषयों पर मंथन के लिए देश के विभिन्न राज्यों व 13 अखाड़ा परिषद के साधु संत शामिल थे। अधिवेशन में शामिल संतों ने मनोहर लाल को पगड़ी व माला भेंट कर उन्हें अपना आशीर्वाद दिया। मनोहर लाल ने कहा कि संतों के इस राष्ट्रीय अधिवेशन में आकर वे अभिभूत हैं कि आज उन्हें एक ही मंच पर पूरे देश के संत समाज के प्रमुख प्रतिनिधियों के दर्शन व आशीर्वाद प्राप्त हुआ है।
उन्होंने कहा कि आज की लोकतांत्रिक व्यवस्था में सत्ता के माध्यम से जनसेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म व कर्तव्य है। प्राचीनकाल में जब राजशाही का समय था तो राजा से कोई गलती होने पर धर्म के पुरोधा राजा के सर पर मयूर पंख रख कर उसे आभास दिलाते थे कि शासन व्यवस्था भले ही उसे दंडित ना करे, लेकिन धर्म उसे अवश्य दंड देगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे संत समाज को विश्वास दिलाते हैं कि वे धर्म की मर्यादा का ध्यान रखते हुए यह सुनिश्चित करेंगे कि उनकी वजह से समाज में किसी भी व्यक्ति को कोई कष्ट ना हो। उन्होंने कहा कि मनुष्य की प्रसिद्धि के हिसाब से उसका अपना धर्म होता है। एक विद्यार्थी का, एक पिता का, एक माता का व एक सेवक का अपना धर्म है, लेकिन जब हम संतों के चरणों में बैठते हैं तभी शासन की दिशा ठीक होती है।
उन्होंने कहा कि माता-पिता केवल शरीर का निर्माण करते हैं, लेकिन उस शरीर को एक सभ्य नागरिक का रूप देना व राष्ट्र निर्माण के लिए मार्गदर्शन देने का कार्य संत समाज करता है। ठीक उसी प्रकार शासन व्यवस्था भौतिक विकास तो कर सकती है, लेकिन सभ्य समाज का निर्माण केवल संत समाज ही कर सकता है। उन्होंने मंच से संत समाज को आश्वस्त करते हुए कहा कि वे किसी भी परिस्थिति में प्रदेश में वातावरण खराब नही होने देंगे। उन्होंने कहा कि मनोहर लाल के होते हुए हरियाणा में किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं होगा। आज हरियाणा सरकार अंत्योदय के भाव के साथ समाज के वंचित व पीड़ित वर्ग को ध्यान में रखते हुए अपनी नीतियां बना रही है व उनकी जीवनशैली में सुधार लाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष व सारसा गुजरात के सतकैवल्य ज्ञानपीठ के पीठाधीश्वर कुबेराचार्य स्वामी अविचलदास महाराज ने कहा कि अखिल भारतीय संत समिति देश के 127 संत संप्रदाय का प्रतिनिधित्व करती है। कई बार हमारे धार्मिक प्रयासों को राजनीति से जोड़कर देखा जाता है लेकिन संत का केवल एक ही कर्तव्य है धर्म की रक्षा करते हुए राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे। उन्होंने कहा कि समाज को जागृत करने के लिए इस अधिवेशन का आयोजन किया गया है। हमें हमारी भावी पीढ़ी को ध्यान में रखते हुए यह चिंतन करना होगा कि हमारे बच्चों में, हमारे घर में हिंदू संस्कार हैं या नहीं हमें इस पर ध्यान देना होगा।
अधिवेशन में कार्यक्र म के संयोजक व आश्रम हरि मंदिर पटौदी के अधिष्ठाता स्वामी धर्मदेव ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल संत प्रवृत्ति के हैं। भले ही उन्होंने भगवा धारण ना किया हो, लेकिन उनके विचार व राष्ट्र निर्माण में उनके द्वारा दिया जा रहा योगदान संतों की परिपाटी को ही लक्षित करता है। कार्यक्र म में देश के विभिन्न राज्यों से आए संत समाज के प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर पटौदी के विधायक सत्य प्रकाश जरावता, थानेसर के विधायक सुभाष सुधा, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार अमित आर्य, पटौदी के एसडीएम प्रदीप कुमार, तहसीलदार रीटा ग्रोवर सहित पटौदी व आसपास के क्षेत्र से बड़ी संख्या में आए श्रद्धालु उपस्थित रहे।