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Varalakshmi Vrat 2022: वरलक्ष्मी व्रत आज, जानिए पूजा विधि

By Gajendra Sharma
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नई दिल्ली, 05 अगस्त। प्रत्येक वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा अर्थात् रक्षाबंधन से ठीक पहले आने वाले शुक्रवार के दिन वरलक्ष्मी व्रत किया जाता है। यह व्रत आर्थिक संकटों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। वरलक्ष्मी व्रत दक्षिण भारत के राज्यों में बड़े पैमाने पर किया जाता है, लेकिन अब यह संपूर्ण भारत में किया जाने लगा है। क्योंकि इस व्रत के अद्भुत चमत्कारिक प्रभाव देखने को मिलते हैं।

विष्णु पुराण और नारद पुराण

विष्णु पुराण और नारद पुराण

विष्णु पुराण और नारद पुराण में वरलक्ष्मी व्रत के बारे में उल्लेख है किजो व्यक्ति यह व्रत करता है वह धन, वैभव, संपत्ति और उत्तम संतान से युक्त होता है। इस व्रत को करने से मां लक्ष्मी का पूर्ण वरदान प्राप्त होता है और व्यक्ति की अनेक पीढ़ियों से अभाव और गरीबी की छाया मिट जाती है। वर का अर्थ है वरदान और लक्ष्मी का अर्थ है धन-वैभव। वरलक्ष्मी व्रत करने वाले मनुष्य के परिवार को समस्त सुख और संपन्नता की प्राप्ति सहज ही हो जाते हैं।

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शुभ योग में मनेगा वरलक्ष्मी व्रत

शुभ योग में मनेगा वरलक्ष्मी व्रत

वरलक्ष्मी व्रत श्रावण पूर्णिमा अर्थात् रक्षाबंधन से ठीक पहले आने वाले शुक्रवार को किया जाता है। इस साल श्रावण पूर्णिमा 11 अगस्त 2022, गुरुवार को आ रही है, उससे पहले 5 अगस्त को शुक्रवार के दिन वरलक्ष्मी व्रत किया जाएगा। इस बार वरलक्ष्मी व्रत के दिन स्वाति नक्षत्र और शुभ योग रहेगा जिसमें पूजन करना समृद्धि में वृद्धि करने वाला रहेगा।

वरलक्ष्मी व्रत के लाभ

वरलक्ष्मी व्रत के लाभ

वरलक्ष्मी व्रत केवल विवाहित महिलाएं ही कर सकती हैं। कुंवारी कन्याओं के लिए यह व्रत करना वर्जित है। परिवार के सुख और संपन्नता के लिए विवाहित पुरुष भी यह व्रत कर सकते हैं। यदि पति-पत्नी दोनों साथ में यह व्रत रखें तो दुगुना फल प्राप्त होता है। व्रत के प्रभाव से जीवन के समस्त अभाव दूर हो जाते हैं। आर्थिक संकट दूर हो जाते हैं और व्रती के जीवन में धन का आगमन आसान हो जाता है। वरलक्ष्मी व्रत से आठ प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। ये हैं श्री, भू, सरस्वती, प्रीति, कीर्ति, शांति, संतुष्टि और पुष्टि। अर्थात वरलक्ष्मी व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में धन, संपत्ति, ज्ञान, प्रेम, प्रतिष्ठा, शांति, संपन्नता और आरोग्यता आती है। इसे करने से सौंदर्य और आकर्षण प्रभाव में भी वृद्धि होती है।

पूजन सामग्री

पूजन सामग्री

मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र, गुलाब और कमल के पुष्प, पुष्प माला, कुमकुम, हल्दी, चंदन चूर्ण, अक्षत, विभूति, मौली, दर्पण, कंघा, आम के पत्ते, पान के पत्ते, पंचामृत, दही, केले, दूध, जल, धूप बत्ती, दीपक, कर्पूर, घंटी, प्रसाद, एक बड़ा कलश।

पूजा विधि

वरलक्ष्मी व्रत की पूजा ठीक उसी प्रकार की जाती है जैसे दीपावली पर लक्ष्मी पूजन किया जाता है। चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर एक कलश सजाकर उस पर श्वेत रंग की रेशमी साड़ी सजाई की जाती है। वरलक्ष्मी को विभिन्न प्रकार के सुगंधित पुष्प, मिठाई अर्पित किए जाते हैं।

वरलक्ष्मी पूजन मुहूर्त

  • अभिजित मुहूर्त : दोपहर 12.06 से 12.59 तक
  • शुभ : प्रात: 6 से 7.38 तक
  • लाभ : दोप. 12.33 से 2.11 तक
  • अमृत : दोप. 2.11 से 3.49 तक
  • शुभ : 5.27 से 7.05 तक
  • अमृत : सायं 7.05 से 8.27 तक

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English summary
Varalakshmi Vratam or Vara Mahalakshmi Vrata is a festival celebrated to propitiate the Goddess Lakshmi. It is one of the major forms of pooja performed by several women in the states of Southern India. here is vrat Benefits and Puja Vidhi.
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