40 वर्ष बाद बना है रक्षाबंधन पर ऐसा संयोग
[पं अनुज के शुक्ल] प्राचीन काल से ही भारत में रक्षाबंधन का महत्व रहा है। इस त्योहार को सिर्फ हिन्दू ही नहीं बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी मनाते हैं। अगर हिन्दू धर्म की बात करें तो इसमें चार वर्ण होते हैं- ब्राहमण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र। इन चारों वर्णो में ब्राहमण का प्रधान त्यौहार रक्षा बन्धन ही है। क्षत्रियों के लिये सबसे बड़ा त्योहार विजयदशमी है, वैश्यों का दीपावली और शूद्रों का प्रधान त्यौहार होली माना जाता है। खास बात यह है कि इस साल ग्रहों का ऐसा संयोग 40 साल बाद बन रहा है।
रक्षा बन्धन हिन्दू पंचाग के अनुसार हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। आज का दिन भाई-बहन के प्यार को जताने का प्रतीक है। बहन अपने भाईयों की कलाई में राखी बांधती हैं और उनकी दीर्घायु व प्रसन्नता के लिये प्रार्थना करती है। और भाई अपनी बहन की हर विपत्ति पर रक्षा करने का वचन देते हैं। इन राखियों के मध्य भावनात्मक प्रेम भी छिपा होता है। इस बार रक्षा बन्धन का त्यौहार 20 और 21 अगस्त को पड़ रहा है।
इस
साल
ग्रहों
का
यह
योग
40
वर्ष
बाद
बन
रहा
है।
इससे
पहले
13
व
14
अगस्त
1973
ई0
को
ऐसा
संयोग
बना
था।
20
अगस्त
को
प्रातः
10:30
बजे
से
रात्रि
8:40
बजे
तक
भद्रा
रहेगी।
लिहाजा
यदि
आपको
राखी
बांधनी
या
बंधवानी
है
तो
रात्रि
8:45
के
बाद
ही
बंधवायें।
20
अगस्त
को
21
अगस्त
को
उदया
तिथि
पूर्णिमा
होने
से
पूरे
दिन
रक्षाबन्धन
का
पर्व
मनाया
जा
सकता
है।
हालांकि
बेहद
शुभ
मुहूर्त
की
बात
करें
तो
वह
21
अगस्त
की
सुबह
7:35
बजे
तक
ही
रहेगा।
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विधि-विधानः
पूर्णिमा
के
दिन
प्रातः
काल
हनुमान
जी
व
पित्तरों
को
धोक
देकर
जल,
रोली,
मोली,
धूप,
फूल,
चावल,
प्रसाद,
नारियल,
राखी,
दक्षिणा
आदि
चढ़ाकर
दीपक
जलाना
चाहिए।
भोजन
के
पहले
घर
के
सब
पुरूष
व
स्त्रियां
राखी
बांधे।
बहने
अपने
भाईयों
को
राखी
बांधकर
तिलक
करें
व
गोला
नारियल
दें।
भाईयों
को
चाहिए
कि
वे
बहन
को
प्रसन्न
करने
के
लिये
रूपया
अथवा
यथाशक्ति
उपहार
दें।
राखी
में
रक्षा
सूत्र
अवश्य
बांधें।
येन
बद्धो
बली
राजा
दानवेन्द्रो
महाबलः।
तेन
त्वामानुवध्नामि
रक्षे
मा
चल
मा
चल।।
बहने राखी बांधते समय उपरोक्त मन्त्र का उच्चारण करें।