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Shree Chandra Prabhu Chalisa Paath: यहां पढे़ं चन्द्र प्रभु चालीसा , जानें महत्व और लाभ

By ज्ञानेंद्र शास्त्री
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दोहा

वीतराग सर्वज्ञ जिन, जिनवाणी को ध्याय |
लिखने का साहस करूँ, चालीसा सिर-नाय ||१||

 Shree Chandra Prabhu Chalisa Paath: यहां पढे़ं चन्द्र प्रभु चालीसा , जानें महत्व और लाभ

देहरे के श्री चंद्र को, पूजौं मन-वच-काय ||
ऋद्धि-सिद्धि मंगल करें, विघ्न दूर हो जाय ||२||
जय श्री चंद्र दया के सागर, देहरेवाले ज्ञान-उजागर ||३||
शांति-छवि मूरति अति-प्यारी, भेष-दिगम्बर धारा भारी ||४||

देवों के तुम देव कहावो, कष्ट भक्त के दूर हटावो ||६||
समंतभद्र मुनिवर ने ध्याया, पिंडी फटी दर्श तुम पाया ||७||
तुम जग में सर्वज्ञ कहावो, अष्टम-तीर्थंकर कहलावो ||८||
महासेन के राजदुलारे, मात सुलक्षणा के हो प्यारे ||९||
चंद्रपुरी नगरी अतिनामी, जन्म लिया चंद्र-प्रभ स्वामी ||१०||

पौष-वदी-ग्यारस को जन्मे, नर-नारी हरषे तब मन में ||११||
काम-क्रोध-तृष्णा दु:खकारी, त्याग सुखद मुनिदीक्षा-धारी ||१२||
फाल्गुन-वदी-सप्तमी भाई, केवलज्ञान हुआ सुखदाई ||१३||
फिर सम्मेद-शिखर पर जाके, मोक्ष गये प्रभु आप वहाँ से ||१४||
लोभ-मोह और छोड़ी माया, तुमने मान-कषाय नसाया ||१५||
रागी नहीं नहीं तू द्वेषी, वीतराग तू हित-उपदेशी ||१६||
पंचम-काल महा दु:खदाई, धर्म-कर्म भूले सब भाई ||१७||
अलवर-प्रांत में नगर तिजारा, होय जहाँ पर दर्शन प्यारा ||१८||
उत्तर-दिशि में देहरा-माँहीं, वहाँ आकर प्रभुता प्रगटाई ||१९||
सावन सुदि दशमी शुभ नामी, प्रकट भये त्रिभुवन के स्वामी ||२०||
चिहन चंद्र का लख नर-नारी, चंद्रप्रभ की मूरती मानी ||२१||
मूर्ति आपकी अति-उजियाली, लगता हीरा भी है जाली ||२२||
अतिशय चंद्रप्रभ का भारी, सुनकर आते यात्री भारी ||२३||
फाल्गुन-सुदी-सप्तमी प्यारी, जुड़ता है मेला यहाँ भारी ||२४||
कहलाने को तो शशिधर हो, तेज-पुंज रवि से बढ़कर हो ||२५||
नाम तुम्हारा जग में साँचा, ध्यावत भागत भूत-पिशाचा ||२६||
राक्षस-भूत-प्रेत सब भागें, तुम सुमिरत भय कभी न लागे ||२७||
कीर्ति तुम्हारी है अतिभारी, गुण गाते नित नर और नारी ||२८||
जिस पर होती कृपा तुम्हारी, संकट झट कटता है भारी ||२९||
जो भी जैसी आश लगाता, पूरी उसे तुरत कर पाता ||३०||
दु:खिया दर पर जो आते हैं, संकट सब खोकर जाते हैं ||३१||
खुला सभी हित प्रभु-द्वार है, चमत्कार को नमस्कार है ||३२||
अंधा भी यदि ध्यान लगावे, उसके नेत्र शीघ्र खुल जावें ||३३||
बहरा भी सुनने लग जावे, पगले का पागलपन जावे ||३४||
अखंड-ज्योति का घृत जो लगावे, संकट उसका सब कट जावे ||३५||
चरणों की रज अति-सुखकारी, दु:ख-दरिद्र सब नाशनहारी ||३६||
चालीसा जो मन से ध्यावे,पुत्र-पौत्र सब सम्पति पावे ||३७||
पार करो दु:खियों की नैया, स्वामी तुम बिन नहीं खिवैया ||३८||
प्रभु मैं तुम से कुछ नहिं चाहूँ, दर्श तिहारा निश-दिन पाऊँ ||३९||
करूँ वंदना आपकी, श्री चंद्रप्रभ जिनराज |
जंगल में मंगल कियो, रखो 'सुरेश' की लाज ||४०||

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चन्द्र प्रभु चालीसा का महत्व

चन्द्र प्रभु चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। चन्द्र प्रभु की कृपा से सिद्धि-बुद्धि,धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है। चन्द्र प्रभु के प्रभाव से इंसान धनी बनता है, वो तरक्की करता है। वो हर तरह के सुख का भागीदार बनता है, उसे कष्ट नहीं होता। मां की कृपा उसके पूरे कुल पर होती है। उसके चेहरे पर खुशी और संतोष नजर आता है। वो सफलता के पथ पर आगे बढ़ता है।

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English summary
Shree Chandra Prabhu Chalisa Paath: Know the Shree Chandra Prabhu Chalisa lyrics meaning, importance and benefits in Hindi.
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