शारीरिक कष्टों से जूझ रहे व्यक्तियों को शीतला अष्टमी व्रत करने से होंगे चमत्कारिक लाभ
शीतला अष्टमी व्रत, हिंदुओं में इस व्रत की विशेष मान्यता है। यह व्रत प्रत्येक वर्ष होली के आठवें दिन मनाया जाता है और इस बार यह व्रत अप्रैल 2021 की 4 तारीख को पड़ रहा है।
नई दिल्ली। शीतला अष्टमी व्रत, हिंदुओं में इस व्रत की विशेष मान्यता है। यह व्रत प्रत्येक वर्ष होली के आठवें दिन मनाया जाता है और इस बार यह व्रत अप्रैल 2021 की 4 तारीख को पड़ रहा है। इस दिन शीतला माता की पूजा-अर्चना की जाती है और उन्हें बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। शीतला अष्टमी को कृष्ण पक्ष सप्तमी के अगले दिन मनाया जाता है।
शीतला अष्टमी 2021 का दिन व पूजा का समय
शीतला अष्टमी 2021 इस बार 4 अप्रैल रविवार के दिन मानाई जाएगी। पूजा का मुहूर्त सुबह 6.08 बजे से शाम 6.41 तक है।
शीतला
अष्टमी
का
महत्व
यह
माना
जाता
है
कि
इस
दिन
शीतला
माता
का
व्रत
करने
से
भक्तों
पर
मां
शीतला
की
कृपा
बरसती
है
और
मां
उन्हें
सारे
शारीरिक
कष्टों
से
बचाती
हैं।
मान्यता
है
कि
भगवान
शिव
के
पसीने
की
बूंद
जब
धरती
पर
गिरी
थी
तो
उससे
ज्वारासुर
नाम
के
राक्षस
का
जन्म
हुआ
था,
जो
कि
सभी
रोगों
का
वाहक
है।
जबकि
जो
व्यक्ति
मां
शीतला
की
पूजा-अर्चना
करते
हैं
एवं
उनका
व्रत
रखते
हैं।
मां
उनकी
सारी
शारीरिक
पीड़ा
हर
लेती
है।
इसलिए
किसी
भी
प्रकार
के
शारीरिक
कष्टों
से
जूझ
रहे
लोगों
को
इस
व्रत
को
रखने
से
अद्भुत
लाभ
होता
है।
भक्तों
में
यह
भी
विश्वास
है
कि
मां
शीतला
खसरा,
चेचक
जैसी
बीमारियों
को
दूर
कर
सकती
हैं,
इसलिए
भक्त
इन
रोगों
के
प्रकोप
को
दूर
करने
के
लिए
शीतला
माता
की
पूजा
करते
हैं।
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शीतला
अष्टमी
पर
किए
जाने
वाले
धार्मिक
अनुष्ठान
इस
दिन
घरों
में
ताजा
भोजन
नहीं
बनना
चाहिए।
भक्त
इस
दिन
एक
दिन
पहले
बने
भोजन
को
ही
खाते
हैं
और
उसी
को
मां
शीतला
को
अर्पित
करते
हैं।
शीतला
अष्टमी
से
एक
दिन
पहले
यानि
शीतला
सप्तमी
को
लोग
गुड़
और
चावल
का
पकवान
तैयार
करते
हैं
और
उसी
से
मां
शीतला
का
भोग
लगाता
हैं।
शीतला
माता
के
बारे
में
स्कंद
पुराण
में
माता
शीतला
का
वर्णन
है,
जिसमें
उन्हें
रोगों
से
बचाने
वाली
देवी
बताया
गया
है।
माता
शीतला
अपने
हाथों
में
कलश,
सूप,
झाड़ू
और
नीम
के
पत्ते
धारण
किए
हुए
रहती
हैं
और
गधे
की
सवारी
करती
हैं।