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Sawan Somvati Amavasya 2020: पीपल के पेड़ की पूजा चमका देगी भाग्य

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। श्रावण माह की अमावस्या के दिन सोमवती अमावस्या का शुभ संयोग बना है। आश्विन माह में आने वाली सर्वपितृ अमावस्या की तरह ही श्रावणी अमावस्या भी पितरों को मोक्ष देने वाली और बुरे ग्रहों की पीड़ा से मुक्ति दिलाने वाली होती है। इसके साथ सोमवार का संयोग हो जाने से इसके फल में अनंत गुना वृद्धि हो गई है। इस अमावस्या को श्रावणी अमावस्या, हरियाली अमावस्या आदि नामों से भी जाना जाता है। यह अमावस्या 20 जुलाई 2020, सोमवार को आ रही है।

हरियाली अमावस्या के दिन अनेक शुभ संयोग बने हैं

हरियाली अमावस्या के दिन अनेक शुभ संयोग बने हैं

हरियाली अमावस्या के दिन अनेक शुभ संयोग बने हैं। भगवान शिव की पूजा का माह श्रावण, दिन सोमवार, नक्षत्र पुनर्वसु, तिथि अमावस्या। ये अनेक शुभ संयोग मिलकर इस दिन को बहुत विशेष बना रहे हैं। इस दिन पितरों के निमित्त यदि पिंड दान, तर्पण, पितृ पूजा, नारायण बली पूजा, नाग बली पूजा, कालसर्प दोष मुक्ति पूजा, शनि शांति निवारण पूजा, शनि शांति हवन, नवग्रह शांति हवन करवाया जाए तो जीवन के अनेक कष्टों से मुक्ति आसानी से पाई जा सकती है।

यह पढ़ें: Sawan 2020: सोमवती अमावस्या पर अपने संकट के अनुसार करें शिव पूजायह पढ़ें: Sawan 2020: सोमवती अमावस्या पर अपने संकट के अनुसार करें शिव पूजा

क्या करना चाहिए

क्या करना चाहिए

  • हरियाली-सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदी में जल से स्नान करके, उसके किनारे बैठकर पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, श्राद्धकर्म करवाने से पितरों को शांति मिलती है। यह कर्म करने के बाद पितरों के नाम से गरीबों को भोजन करवाएं, गाय को चारा खिलाएं, गरीबों को वस्त्र आदि भेंट करना करें।
  • सोमवती अमावस्या के दिन दोपहर 12 बजे के पूर्व पीपल के पेड़ की 21 परिक्रमा करते हुए जल अर्पित करें। पेड़ का पूजन कर मौली के 21 फेरे लपेटें। शाम को सूर्यास्त से पूर्व पीपल के पेड़ के नीचे आटे से पांच दीपक बनाकर प्रज्जवलित करें। इससे धन संबंधी समस्या समाप्त होती है। ध्यान रहे यह प्रक्रिया सूर्यास्त के बाद बिलकुल न करें।
  • अमावस्या के दिन दृष्टिहीन, अपंग, मंदबुद्धि, अंग-भंग हुए लोगों को वस्त्र भोजन भेंट करें। इससे जीवन में आने वाले संकटों से रक्षा होती है।
  • हरियाली अमावस्या की रात्रि में किसी नदी, तालाब में दीपदान करना चाहिए। इससे पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
  • सोमवती-हरियाली-श्रावणी अमावस्या के दिन भगवान शिव का तिल से अभिषेक करने से कालसर्प दोष और शनि के दोष से मुक्ति मिलती है।
सोमवती अमावस्या व्रत की कथा

सोमवती अमावस्या व्रत की कथा

एक गरीब ब्राह्मण दंपती था। उनकी एक सुंदर, सुशील और सर्वगुण संपन्न् पुत्री थी। लेकिन पुत्री का विवाह नहीं हो पा रहा था। इससे ब्राह्मण दंपती दुखी रहते थे। एक दिन उस ब्राह्मण के घर एक संत पधारे। वो उस कन्या के सेवाभाव से अति प्रसन्न् हुए और कन्या को लंबी आयु का आशीर्वाद दिया। ब्राह्मण को दुखी देख संत ने कारण पूछा तो ब्राह्मण ने कहा महाराज मेरी पुत्री का विवाह नहीं हो पा रहा है। कृपया कोई उपाय बताएं। संत ने कहा तुम्हारी पुत्री के भाग्य में विवाह सुख नहीं है, इसके भाग्य में वैधव्य लिखा है। ब्राह्मण ने पूछा विवाह सुख का उपाय पूछा तो संत ने कहा यहां से कुछ ही दूरी पर एक गांव में सोना नाम की एक संस्कारवान धोबिन स्त्री अपने बहू-बेटे के साथ रहती है। वह सोमवती अमावस्या का व्रत विधि पूर्वक करती है। यदि यह कन्या उसकी सेवा करे और वह महिला अपनी मांग का सिंदूर इसके माथे पर लगा दे तो कन्या का विवाह भी हो जाएगा और इसका वैधव्य भी मिट जाएगा। संत ने यह भी बताया कि वह महिला कहीं आती-जाती नहीं है, अपने घर पर ही रहती है।

धोबिन की सेवा करने की बात

यह बात सुनकर ब्राह्मणी ने अपनी बेटी को धोबिन की सेवा करने की बात कही। अगल दिन कन्या प्रात:काल उठ कर सोना के घर जाकर, साफ-सफाई और अन्य सारे करके अपने घर वापस आ गई। ऐसा कई दिन चलता रहा। एक दिन उस स्त्री ने अपनी बहू से पूछा कि- तुम सुबह जल्दी उठकर सारे काम कर लेती हो और पता भी नहीं चलता। बहू ने कहा- मां जी, मैंने तो सोचा कि आप ही सुबह उठकर सारे काम खुद कर लेती हैं। मैं तो देर से उठती हूं। इस पर दोनों सास-बहू निगरानी करने लगी कि कौन है जो सुबह ही घर का सारा काम करके चला जाता है।

...घर से निराजल ही चली थी

...घर से निराजल ही चली थी

उस स्त्री ने देखा कि एक कन्या मुंह अंधेरे घर में आती है और सारे काम करके चली जाती है। जब कन्या जाने लगी तो वह स्त्री उसके पैरों पर गिर पड़ी, पूछने लगी कि आप कौन है और इस तरह छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं? तब कन्या ने साधु द्बारा कही गई सारी बात बताई। सोना पति परायण थी, उसमें तेज था। वह तैयार हो गई। सोना धोबिन के पति थोड़ा अस्वस्थ थे। उसने अपनी बहू से अपने लौट आने तक घर पर ही रहने को कहा। सोना ने जैसे ही अपनी मांग का सिंदूर उस कन्या की मांग में लगाया, उसका पति मर गया। उसे इस बात का पता चल गया। उस दिन सोमवती अमावस्या थी। वह घर से निराजल ही चली थी, यह सोचकर कि रास्ते में कहीं पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसकी परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी।

माथे से वैधव्य का दुर्भाग्य भी टल गया

उधर कन्या का विवाह संपन्न् हो गया और उसके माथे से वैधव्य का दुर्भाग्य भी टल गया। इसके बाद सोना धोबिन अपने घर लौटने लगी तो रास्ते में उसे पीपल को पेड़ मिला। उस दिन सोमवती अमावस्या थी। उसने ईंट के टुकड़ों से 108 बार भंवरी देकर 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की और जल ग्रहण किया। ऐसा करते ही उसके पति के मुर्दा शरीर में वापस जान आ गई। इसीलिए सोमवती अमावस्या के दिन से जो स्त्री पीपल के पेड़ की पूजा करती है उसके संकट टल जाते हैं और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।

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English summary
On Somvati Amavsaya, you must donate and do Annadann to poor kids. Doing Maun(remaining silent) is considered to be very fruitful on this day. Somvati Amavsaya celebreted on 20TH July 2020, Read Peepal Tree Puja Vidhi.
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