Holi 2023: सृष्टि में पहली खोली किसने खेली थी ? क्या है इसके पीछे की कहानी?
Holi ki Katha: होली के दिन शिव की पूजा करने से इंसान के सारे कष्टों का अंत होता है और उसे सुख चैन की प्राप्ति होती है। महादेव हर भक्त की प्रार्थना सुनते हैं।
Holi 2023 Katha: होली पर्व है विश्वास का, होली त्योहार है प्रेम का, होली उत्सव है अपनेपन का, तो वहीं होली समर्पण है रंगों का, होली आते ही तन-मन दोनों ही झूमने लगते हैं। लोगों के घरों में महीने भर पहले से पकवान बनने लगते हैं, होली का त्योहार हर वर्ग के लोगों का होता है। वैसे तो होली को लेकर बहुत सारी कथाएं प्रचलित है लेकिन क्या आप जानते हैं कि संसार में पहली बार होली किसने खेली थी? अगर नहीं तो चलिए आपको बताते हैं इसके बारे में विस्तार से। दरअसल इस संसार में पहली बारे होली उसी ने खेली जिसके कंधों पर सृष्टि का पूरा दारोमदार है, यानी कि आपके , हमारे और हम सबके चहेते भगवान शिव।
हरिहर पुराण में भगवान शिव का जिक्र
जी हां महादेव ने ही पहली बार अबीर-गुलाल का प्रयोग किया था। हरिहर पुराण में इस बात का जिक्र है। इसके मुताबिक मां सती के जाने के बाद भगवान शिव घोर तपस्या में लीन हो गए थे। ऐसे में तारकासुर का वध करने के लिए उन्हें तपस्या से बाहर निकालना बहुत जरूरी था इसलिए प्रेम के देवता कामदेव और उनकी पत्नी रति ने नृत्य के जरिए शिव की तपस्या को भंग करने की कोशिश की थी, जिस पर शिव को गुस्सा आ गया था और उन्होंने भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के पुत्र को भस्म कर दिया था , ऐसे में रति ने विलाप करना शुरू कर दिया था।
कामदेव और रति ने एक भोज का आयोजन किया
रति ने क्षमा मांगते हुए शिव से गुहार लगाई कि वो कामदेव को जीवित कर दें, जिसके बाद शिव ने उन्हें माफ करते हुए कामदेव को जीवित कर दिया था। जिसके बाद कामदेव और रति ने एक भोज का आयोजन किया, जिसमें सृष्टि के सभी भगवान और देवतागण शामिल हुए। कामदेव के जिंदा होने पर रति ने काफी नृत्य किया और देवताओं का स्वागत चंदन का टीका लगाकर और अबीर से किया।
फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मना उत्सव
वो दिन फाल्गुन पूर्णिमा का था, तब से ही इस दिन को रंगों के उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा और होली पर रंग और संगीत की महफिल सजने लगी इसलिए रंग खेलने से पहले थोड़ा सा रंग ईश्वर के चरणों में जरूर अर्पित करना चाहिए , ऐसा करने से घर के लोगों में प्रेम बना रहता है। इस बार होलिका दहन 7 मार्च को और रंगों वाली होली 8 मार्च को है, होली के पर्व के साथ ही फाल्गुन माह का अंत हो जाएगा।
Holi 2023: होली में क्यों होता है अबीर-गुलाल का प्रयोग?
Recommended Video