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Gangaur teej 2021 : गणगौर तीज आज, जानिए कथा,पूजा विधि और महत्व

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली, 15 अप्रैल। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को सुहागिन महिलाएं गणगौर तीज का व्रत करती हैं। ये व्रत पूरे देश में आज मनाया जा रहा है। माना जाता है कि आज के दिन माता पार्वती ने भगवान शंकर से सौभाग्यवती रहने का वरदान प्राप्त किया था तथा पार्वती ने अन्य महिलाओं को भी सौभाग्यवती रहने का वरदान दिया था। यह व्रत भगवान शिव और मां पार्वती के अद्भुत प्रेम का प्रतीक भी है। गणगौर की पूजा उत्तर भारतीय राज्यों में अधिक प्रचलित हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं शिव-पार्वती की मूर्ति बनाकर काजल, कुमकुम, हल्दी, मेंहदी, सिंदूर से सोलह सोलह बिंदी दीवार पर लगाकर आम के पत्ते या दुर्वा से गणगौर माता का गीत गाते हुए पूजा करती हैं।

Gangaur teej 2021 : जानिए गणगौर तीज की कथा, तिथी और महत्व

इस दिन व्रत रखा जाता है। आटे के 16 गुणे बनाकर उन्हें किसी सुहागिन स्त्री को भेंट दिया जाता है। पूजन के समय गणगौर माता पर महावर, सिंदूर चढ़ाने का विशेष महत्व है। चंदन, अक्षत, धूप-दीप, नैवेद्य किया जाता है। विवाहित स्त्रियों को गौर माता पर चढ़ाए गए सिंदूर को अपनी मांग में लगाना चाहिए।

गणगौर की व्रत कथा

एक बार भगवान शंकर पार्वती एवं नारदजी के साथ भ्रमण के लिए चल दिए। वे चलते-चलते चैत्र शुक्ल तृतीया के दिन एक गांव में पहुंचे। उनका आना सुनकर ग्राम की निर्धन औरतें उनके स्वागत के लिए थालियों में हल्दी अक्षत लेकर पूजन के लिए पहुंच गई। पार्वतीजी ने उनके पूजा भाव को समझकर सारा सुहाग रस उन पर छिड़क दिया। वे अटल सुहाग प्राप्त कर लौटीं। धनी वर्ग की औरतें थोड़ी देर बाद अनेक प्रकार के पकवान सोने-चांदी के थाल में सजाकर पहुंची। इन औरतों को देखकर भगवान शंकर ने पार्वती से कहा- तुमने सारा सुहाग रस तो निर्धन वर्ग की स्त्रियों को दे दिया। अब इन्हें क्या दोगी? पार्वती बोली- प्राणनाथ! उन स्त्रियों को ऊपरी पदार्थो से बना रस दिया गया है। परंतु मैं इन धनी वर्ग की स्त्रियों को अपनी अंगुली चीरकर रक्त का सुहाग दूंगी जो मेरे समान सौभाग्यवती हो जाएंगी। जब इन स्त्रियों ने पूजन समाप्त कर लिया तब पार्वतीजी ने अपनी अंगुली चीरकर उस रक्त को उनके ऊपर छिड़क दिया। जिस पर जैसे छींटे पड़े उसने वैसा ही सुहाग पा लिया।

पार्वती जी ने बालू की शिवजी की मूर्ति बनाकर पूजन किया

इसके बाद पार्वतीजी अपने पति शंकरजी से आज्ञा लेकर नदी में स्नान करने चली गई। स्नान करने के बाद बालू की शिवजी की मूर्ति बनाकर पूजन किया। भोग लगाया तथा प्रदक्षिणा करके दो कणों का प्रसाद खाकर मस्तक पर टीका लगाया। उसी समय उस बालू के लिंग से शिवजी प्रकट हुए और पार्वती को वरदान दिया कि आज के दिन जो स्त्री मेरा पूजन और तुम्हारा व्रत करेगी उसका पति चिरंजीवी रहेगा तथा मोक्ष को प्राप्त होगा। इतना सब करते-करते पार्वतीजी को काफी समय लग गया। पार्वतीजी नदी के तट से चलकर उस स्थान पर आई जहां पर भगवान शंकर और नारदजी को छोड़कर गई थी। शिवजी ने विलंब से आने का कारण पूछा तो पार्वती बोली- मेरे भाई-भावज नदी किनारे मिल गए थे। उन्होंने मुझसे दूध भात खाने तथा ठहरने का आग्रह किया। इसी कारण से आने में देर हो गई। ऐसा जानकर अंतर्यामी भगवान शंकर भी दूध-भात खाने के लालच में नदी तट की ओर चल दिए। पार्वती जी ने मौन भाव से भगवान शिवजी का ही ध्यान करके प्रार्थना की, भगवान आप अपनी इस अनन्य दासी की लाज रखिए। प्रार्थना करती हुई पार्वती उनके पीछे-पीछे चलने लगी। उन्हें दूर नदी तट पर माया का महल दिखाई दिया। वहां महल के अंदर शिवजी के साले तथा सलहज ने शिव पार्वती का स्वागत किया।

पार्वती रूठकर अकेले ही चल दी

वे दो दिन वहां रहे। तीसरे दिन पार्वती ने शिवजी से चलने के लिए कहा तो वे चलने को तैयार न हुए। तब पार्वती रूठकर अकेले ही चल दी। शिवजी को भी पार्वती के साथ चलना पड़ा। नारदजी भी साथ चल दिए। चलते-चलते भगवान शंकर बोले मैं तुम्हारे मायके में अपनी माला भूल आया हूं। माला लाने के लिए पार्वती तैयार हुई तो शंकरजी ने पार्वती को न भेजकर नारदजी को भेजा। वहां पहुंचने पर नारदजी को कोई महल दिखाई नहीं दिया। दूर-दूर तक जंगल था। सहसा बिजली कौंधी। नारदजी को शिवजी की माला एक पेड़ पर टंगी दिखाई दी। नारदजी ने माला उतारी और शिवजी के पास पहुंचकर यात्रा का कष्ट बताने लगे। शिवजी हंसकर बोले यह सब पार्वती की ही लीला है। इस पर पार्वती बोलीं मैं किस योग्य हूं। यह सब तो आपकी ही कृपा है। ऐसा जानकर महर्षि नारद ने माता पार्वती तथा उनके पतिव्रत प्रभाव से उत्पन्न घटना की प्रशंसा की। जहां तक उनके पूजन की बात को छिपाने का प्रश्न है वह भी उचित ही जान पड़ता है क्योंकि पूजा छिपाकर ही करनी चाहिए। चूंकि पार्वती ने इस व्रत को छिपाकर किया था उसी परंपरा के अनुसार आज भी पूजन के अवसर पर पुरुष उपस्थित नहीं रहते हैं।

गणगौर 2021 पूजन शुभ मुहूर्त- 15 अप्रैल 2021 दिन गुरूवार, सुबह 05 बजकर 17 से 06 बजकर 52 मिनट तक

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English summary
Gangaur teej 2021 on 15th April, Read Puja Vidhi and importance.
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