क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

Chandan Yatra Mahotasava: भगवान कृष्ण को 21 दिन लगेगा चंदन का लेप

By Pt. Gajendra Sharma
Google Oneindia News

नई दिल्ली। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि से ज्येष्ठ कृष्ण अष्टमी तिथि तक चंदन यात्रा महोत्सव आयोजित किया जाता है। ये 21 दिन वैष्णव भक्तों के लिए वर्ष के सबसे महत्वपूर्ण दिन होते हैं क्योंकि इन दिनों में समस्त वैष्णव भक्त अपने आराध्य भगवान कृष्ण के पूरे शरीर पर चंदन का लेप लगाकर रखते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि वैशाख-ज्येष्ठ की भीषण गर्मी से भगवान को बचाया जा सके। इस वर्ष यह महोत्सव 25 अप्रैल से 15 मई 2020 तक मनाया जाएगा। इस बार लॉकडाउन के चलते संभव है कि मंदिरों में भव्य पैमाने पर यह उत्सव ना मनाया जाए, लेकिन घरों में तो समस्त वैष्णव भक्त अपने आराध्य पर चंदन का लेप अवश्य करेंगे।

क्या है चंदन यात्रा की मान्यता

क्या है चंदन यात्रा की मान्यता

चंदन यात्रा महोत्सव के संबंध में मान्यता है कि भगवान जगन्न्ाथ ने स्वयं राजा इंद्रद्युम्न को यह आदेश दिया था कि वैशाख माह में चंदन महोत्सव मनाया जाए। भक्ति के विभिन्न् अंगों में भगवान के शरीर को चंदन सहित अन्य सुगंधित लेप लगाना भी शामिल है। वैशाख का महीना बहुत गर्म होता है। इसलिए चंदन का लेप लगाकर भगवान को शीतलता प्रदान की जाती है। वृंदावन के सभी मंदिरों में अक्षय तृतीया के दिन भगवान के विग्रहों को चंदन के लेप से पूरा ढंक दिया जाता है। यह उत्सव 21 दिनों तक चलता है।

चैतन्य महाप्रभु से जुड़ी कथा

भगवान को चंदन लगाने के पीछे एक और कथा कही जाती है। उसके अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त चैतन्य महाप्रभु के गुरु ईश्वर पुरी के गुरु माधवेंद्र पुरी, भगवान कृष्ण को वैशाख माह में चंदन का लेप लगाया करते थे। उनका मानना था कि भगवान कृष्ण सृष्टि के कण-कण में विद्यमान हैं। इसलिए जब भगवान को चंदन लगाकर शीतलता प्रदान की जाती है तो उसका प्रभाव प्रत्येक जीव पर पड़ता है और उन्हें भी शीतलता की गहरी अनुभूति होती है। अक्षय तृतीया के दिन से शुरू होने वाले इस चंदन लेप की परंपरा ने अब 'चंदन यात्रा महोत्सव" का रूप ले लिया है।

यह पढ़ें: Ramadan 2020: जानिए 'रोजा' का सही मतलब और नियमयह पढ़ें: Ramadan 2020: जानिए 'रोजा' का सही मतलब और नियम

गोवर्धन प्रवास

गोवर्धन प्रवास

चंदन यात्रा की परंपरा के प्रवर्तनकर्ता गौडीय संप्रदाय के प्रमुख आचार्य माधवेंद्र पुरी एक बार गोवर्धन प्रवास पर थे। उसी समय गोपाल ने स्वप्न में दर्शन देकर उन्हें प्रकट करने का अनुरोध किया। माधवेंद्र पुरी ने गांव वालों की मदद से उस स्थान को खोदा और वहां मिले गोपालजी के अर्धविग्रह को गोवर्धन पर्वत पर स्थापित किया। कुछ दिन बाद गोपाल ने पुरी को कहा कि जमीन में बहुत समय तक रहने के कारण उनका शरीर जल रहा है। इसलिए वे जगन्नाथपुरी से चंदन लाकर उसके लेप से उनके शरीर का ताप कम करें।

गोपीनाथजी का एक मंदिर था

करीब दो हजार किलोमीटर की यात्रा कर माधवेंद्र पुरी जगन्नाथपुरी गए। ओडिशा व बंगाल की सीमा पर वे रेमुन्न् गांव पहुंचे जहां गोपीनाथजी का एक मंदिर था। रात को उस मंदिर में पुजारी ने भगवान गोपीनाथ को खीर का भोग लगाया। यह देखकर पुरी ने सोचा कि अगर वे उस खीर को खा पाते तो वैसी ही खीर अपने गोपाल को भी बनाकर खिलाते। ऐसा सोचकर वे रात को सो गए। उधर भगवान गोपीनाथ ने पुजारी को रात में स्वप्न में बताया कि मेरा एक भक्त यहां आया है, उसके लिए मैंने खीर चुराई है, उसे वह दे दो। भगवान की भक्त के लिए यह चोरी इतनी प्रसिद्ध हुई कि उनका नाम ही खीर-चोर गोपीनाथ पड़ गया।

अपने गोपाल के लिए चंदन मांगा

अगले दिन माधवेंद्र पुरी के जगन्न्ाथपुरी पहुंचने से पहले ही खीर चोर की खबर चारों तरफ फैल गई। जगन्नाथपुरी में माधवेंद्र पुरी ने पुजारी से मिलकर अपने गोपाल के लिए चंदन मांगा। पुजारी ने माधवेंद्र पुरी को वहां के महाराजा के पास भेजा। महाराजा ने एक मन विशेष चंदन की लकड़ी पुरी को भेंट कर दी। वापस लौटते समय जब पुरी गोपीनाथ मंदिर के पास पहुंचे तो गोपाल फिर उनके स्वप्न में आए और कहा कि वो चंदन गोपीनाथ को ही लगा दें क्योंकि गोपाल और गोपीनाथ एक ही हैं। माधवेंद्र पुरी ने गोपाल के निर्देशानुसार चंदन गोपीनाथ को ही लगा दिया। तब से इस लीला के सम्मान में जगन्न्ाथपुरी में भी चंदन यात्रा उत्सव आरंभ हुआ।

लॉकडाउन में भक्त क्या करें

लॉकडाउन में भक्त क्या करें

श्रीकृष्ण भक्तों के लिए ये 21 दिन बहुत खास होते हैं। इस दौरान मंदिरों में तो भगवान को चंदन लगाया ही जाता है, कृष्ण भक्तों को अपने घर के विग्रहों को भी चंदन का लेप लगाना चाहिए। फिलहाल लॉकडाउन भी चल रहा है, इसलिए इस बार अपने घरों में रहकर ही भगवान कृष्ण को चंदन का लेप लगाएं, इससे भगवान को शीतलता प्राप्त होती है। वे प्रसन्न् होते हैं और भक्तों की इच्छाएं पूरी करते हैं। भगवान को चंदन लगाने के बाद जो लेप बचे उसमें से भक्त और उसका पूरा परिवार भी अपने मस्तक पर चंदन लगाए। इससे गर्मी जनित अनेक रोगों में राहत मिलती है।

यह पढ़ें: इस साल अलग-अलग दिन मनेगी परशुराम जन्मोत्सव और अक्षय तृतीयायह पढ़ें: इस साल अलग-अलग दिन मनेगी परशुराम जन्मोत्सव और अक्षय तृतीया

Comments
English summary
On the auspicious third day of the waxing moon in the month of Vaishaka, the festival of akshay tritiya, is observed all over India, to commemorate various pastimes of the lord.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X