Chaitra Navratri 2018: नवरात्रि में देवी को लगाएं ये भोग, मिलेगा मनचाहा वरदान
नई दिल्ली। 18 मार्च से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। नौ देवियों को उनकी प्रिय वस्तु का नैवेद्य लगाकर देवी से मनचाहा वरदान, आशीर्वाद पाया जा सकता है। भगवान को नैवेद्य लगाना हिंदू पूजा पद्धति का प्रमुख भाग है। पूजा चाहे साधारण हो, पंचोपचार, दशोपचार या षोडशोपचार हो, नैवेद्य उसमें शामिल रहता ही है। नैवेद्य के बिना प्रत्येक पूजा अधूरी है। नैवेद्य भी देवी या देवता की प्रिय वस्तु का लगाया जाए तो ज्यादा अच्छा होता है। कहते हैं भगवान किसी भौतिक वस्तु के भूखे नहीं हैं, वे तो केवल भावनाओं के भूखे हैं। सच्चे मन से भगवान को जो भी अर्पित कर दिया जाए वे उसे सहर्ष स्वीकार करते हैं और अपने भक्तों को मनचाहा आशीर्वाद देते हैं।वै से तो प्रत्येक देवी-देवता को कोई भी मिष्ठान्न् या फल का भोग लगाया जा सकता है, लेकिन हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रत्येक देवी-देवता के लिए कुछ नैवेद्य निर्धारित किए गए हैं, जो उनकी प्रिय मिठाई या फल होता है। 18 मार्च से प्रारंभ हो रही चैत्र नवरात्रि में प्रत्येक दिन एक-एक देवी को उनकी प्रिय वस्तु का नैवेद्य अर्पित करेंगे तो आप पर भी देवी की कृपा बरसेगी और आप धन, सुख, वैभव से संपन्न् हो सकेंगे।
शैलपुत्री
नवरात्रि का प्रथम दिन शैलपुत्री का दिन है। इन देवी को सफेद मिठाई बेहद प्रिय है, लेकिन इस मिठाई को बनाने में शुद्ध घी का प्रयोग हो तो ज्यादा अच्छा है। घी से बना भोग देवी को अर्पित करेंगे तो आप निरोगी बने रहेंगे। इस प्रयोग से परिवार पर देवी की कृपा बनी रहेगी और बीमारियों पर होने वाला खर्च कम होगा।
ब्रह्मचारिणी
नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी का दिन है। माता को चीनी, मिश्री और दूध से बनी मिठाई अत्यंत प्रिय है। इन्हें प्रसाद में इन चीजों का नैवेद्य लगाएंगे तो परिवार पर से संकट समाप्त होंगे। घर-परिवार में धन और धान्य की कभी कमी नहीं होगी। परिवार के सदस्यों के बीच मधुरता बनी रहेगी।
चंद्रघंटा-कुष्मांडा-स्कंदमाता
- चंद्रघंटा : देवी का तीसरा रूप है चंद्रघंटा। इन देवी को भी दूध से बनी चीजें खासतौर पर पसंद है। इन्हें मखाने और किशमिश डली हुई खीर का नैवेद्य लगाएंगे तो आपकी सभी इच्छाएं पूर्ण होंगी। देवी प्रसन्न् होती है तो व्यक्ति को मानसिक सुख और शांति प्रदान करती है। परिवार में कहीं मतभेद चल रहे हैं तो इससे दूर होंगे।
- कुष्मांडा : देवी का चतुर्थ स्वरूप है मां कुष्मांडा। इन देवी को गुड़ और शुद्ध घी से बने मालपुए बेहद पसंद हैं। देवी की इस प्रिय वस्तु का नैवेद्य लगाएंगे तो मां प्रसन्न् होकर मनोकामना पूर्ण करेगी। देवी की कृपा से व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता मजबूत होती है और भ्रम दूर होता है। स्टूडेंट्स यह प्रयोग जरूर करें।
- स्कंदमाता : नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता का पूजन किया जाता है। मां स्कंदमाता को पके हुए केले प्रिय हैं। इसलिए देवी को केले का नैवेद्य लगाकर प्रसाद जितना ज्यादा हो सके वितरित करें। देवी का प्रिय भोग लगाने से मन में पवित्रता आती है। किसी प्रकार का दुख नहीं रह जाता और सुखों की प्राप्ति होती है।
- कात्यायिनी: देवी का छठा स्वरूप है कात्यायिनी। इनकी सबसे प्रिय वस्तु है शहद। देवी को शहद का भोग लगाने से आपके जीवन में भी मिठास भर जाएगी। जीवन में किसी प्रकार का दुख नहीं रहेगा। पारिवारिक जीवन में मिठास आएगी। पति-पत्नी और संतानों के संबंध मधुर बनेंगे। ऐसे में घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा।
- कालरात्रि : देवी के कालरात्रि स्वरूप की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है। यह देवी का सबसे भयंकर स्वरूप है, लेकिन सभी दुखों को दूर करने वाला स्वरूप है। देवी कालरात्रि को गुड़ और उससे बनी चीजें अत्यंत प्रिय हैं। इन्हें गुड़, गुड़ से बने गुलगुले, गुड़ के मालपुए का नैवेद्य लगाएं। इससे देवी प्रसन्न् होंगी और मनचाहा वरदान प्रदान करेंगी।
- महागौरी : देवी का आठवां स्वरूप माता महागौरी है। इन्हें नारियल और नारियल से बनी मिठाई प्रिय है। नवरात्रि के आठवें दिन देवी को नारियल से बनी मिठाई का भोग लगाकर गरीबों को प्रसाद वितरित करें। इससे जीवन में धन का अभाव दूर होता है। प्रॉपर्टी खरीदने के योग बनते हैं।
- सिद्धिदात्री : देवी का नवम रूप है मां सिद्धिदात्री। इन्हें सफेद तिल और उससे बनी मीठी चीजें पसंद हैं। सिद्धिदात्री देवी की पूजा में सफेद तिल या इससे बनी खाद्य वस्तु, मिठाई, लड्डू का नैवेद्य लगाएं। देवी को विभिन्न् प्रकार के हलुए का भोग भी लगाया जा सकता है। इससे सारी मनोकामना पूरी होती है। जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रह जाती।
कात्यायिनी-कालरात्रि-महागौरी-सिद्धिदात्री
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