अयस्क की कीमतों में 350 फीसदी बढ़ोत्तरी के बाद सीएम भूपेश बघेल के पास पहुंचे उद्योगपति
रायपुर। एनएमडीसी (नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) द्वारा एक वर्ष के अंदर लौह अयस्क की कीमतों में की गई 350 फीसद वृद्धि के खिलाफ उद्योगपति मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की शरण में पहुंच गए हैं। उद्योगपतियों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर इस मामले में राज्य के साथ ही केंद्र सरकार के भी हस्तक्षेप करने की मांग की है। उद्योगपतियों का कहना है कि अगर एनएमडीसी नहीं माने तो सरकार प्रिएमशन एक्ट के तहत खदानों का अधिकार वापस ले ले। बताया जा रहा है कि आने वाले दो से तीन दिनों में इस संबंध में उद्योगपतियों की एनएमडीसी अधिकारियों से चर्चा भी हो सकती है।
उद्योगपतियों के अनुसार, कीमतों में बेतहाशा वृद्धि ने उद्योग जगत को मुश्किल में डाल दिया है। जिस लौह अयस्क की कीमत मार्च 2020 में 2100 रुपये टन थी, वह अभी मई 2021 में 9,100 रुपये टन पर पहुंच गई है। जीएसटी लगने के बाद लौह अयस्क की कीमत 12,000 रुपये टन हो जा रही है। ऐसे में लौह अयस्क के लिए एनएमडीसी पर निर्भर उद्योगों की लागत में भारी वृद्धि हुई है और इसका असर समग्र रूप से महंगाई पर पड़ेगा।
आम उपभोक्ताओं को ही इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा। कीमतें बढ़ने के बारे में एनएमडीसी के स्थानीय अधिकारी का कहना है कि वे इस बारे में कुछ नहीं बोल सकते। आयरनओर की कीमतें हैदराबाद मुख्यालय से ही तय होती है।
उद्योगपतियों का कहना कीमतें बढ़ने के पीछे ये है मुख्य कारण
1. इन दिनों आयरनओर की किल्लत पैदा हो गई है।
2. किल्लत होने के पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि अभी भी बिना एक्सपोर्ट ड्यूटी के रा मटेरियल चाइना जा रहा है।
3. एनएमडीसी कुछ ऐसे उद्योगों को भी आयरनओर दे रहा है जिनकी खुद की खदाने है और इसकी वजह से बाकी उद्योगों के लिए कम पड़ जाता है।
4.उड़ीसा की नीलाम हो चुकी खदानें भी अभी तक शुरू नहीं हो पाई हैं।
यह है प्रिएमशन एक्ट
एनएमडीसी द्वारा लगातार आयरन ओर की कीमतों में बढ़ोतरी की जा रही है। स्पंज आयरन उद्योगपतियों ने खनन मंत्रालय की लीज पालिसी के अंतर्गत राइट आफ प्रिएमशन एक्ट को लागू करने की मांग की है। इसके तहत मूल्य नियंत्रण से बाहर होने और स्थानीय उद्योगों को महंगे रा मटेरियल्स की आपूर्ति करने पर स्थानीय उद्योगों की बेहतरी के लिए यह नियम लागू होता है। इस नियम के तहत राज्य सरकार खदानों को अपने अधिकार में ले सकती है।
सरकार का दखल देना जरूरी
आयरनओर की कीमतें इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि अब सरकार का इसमें दखल देना जरूरी है। राज्य के साथ ही केंद्र सरकार को भी इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। छोटे उद्योगों की हालत तो और खराब होते जा रही है और वे बंद होने के कगार पर पहुंचते जा रहे है।
- अनिल नचरानी, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन एसोसिएशन