बिलासपुर में बच्चों के लिए 300 बेड का हॉस्पिटल हो रहा है तैयार, कोरोना के थर्ड वेव की पहले से तैयारी
रायपुर। कोरोना की तीसरी लहर भले ही अभी दूर हो लेकिन चिंता हर घर तक पहुंच चुकी है। चिंता जरूरी भी है क्योंकि बच्चों से कीमती हमारे लिए कुछ भी नहीं है। जिले में 0 से 14 वर्ष तक के 4.50 लाख से ज्यादा बच्चे हैं। इन्हें सुरक्षित रखने स्वास्थ्य विभाग और मेडिकल कॉलेज सिम्स ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। बच्चों के लिए छोटे मास्क, ऑक्सीमीटर और मुंह पर लगाने वाले ऑक्सीजन मास्क सहित बिस्तरों की व्यवस्था की जा रही है। सिम्स में 80 सहित शहर में बच्चों को भर्ती करने के लिए कोविड के 300 बेड शुरू करने की तैयारी चालू हो गई है। बेड की संख्या धीरे-धीरे और बढ़ती जाएगी। सभी 300 बिस्तरों पर ऑक्सीजन सप्लाई तो रहेगी ही। एचडीयू, एनआईसीयू और पीआईसीयू बिस्तर भी रहेंगे। साथ ही 40 वेंटिलेटर की व्यवस्था लगभग हो गई है।
कोविड अस्पताल में 120 बिस्तर तैयार हो रहे, नहीं होने देंगे परेशानी
सीएमएचओ डॉ. प्रमोद महाजन का कहना है कि ईश्वर करे सभी बच्चे सुरक्षित रहें। लेकिन अगर कोरोना की चपेट में आ जाते हैं तो उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। हमने संभागीय कोविड अस्पताल में अलग से 40 बेड लगभग तैयार करवा दिए हैं। 80 बेड और तैयार हो रहे हैं। संभवत: एक सप्ताह के अंदर बच्चों के लिए अलग से 120 कोविड बेड तैयार हो जाएंगे।
इसके अलावा कर्मचारियों की ट्रेनिंग भी शुरू करवा दी है। निजी अस्पतालों में भी 100 बिस्तरों की व्यवस्था हो चुकी है। महादेव में 50 और एक निजी अस्पताल में 50 बिस्तर बच्चों के नाम से तैयार हो रहे हैं। बच्चों के नाप के सर्जिकल मास्क, ऑक्सीमीटर और ऑक्सीजन मास्क के अलावा उनकी कोरोना जांच के लिए भी अलग से व्यवस्था बनाई जा रही है। पहले तो हमारी कोशिश है कि तीसरी लहर को आने से रोकेंगे। अगर बच्चे प्रभावित होते हैं तो चिंता न करें। स्वास्थ्य विभाग हर कदम पर उनके साथ है।
शंका होने पर सबसे पहले टेस्ट कराएं: डॉ. अशोक
कोरोना की तीसरी लहर में सबसे अधिक बच्चों पर प्रभाव होने की बात चल रही है। ऐसे में दैनिक भास्कर ने शहर के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक कुमार अग्रवाल और डॉ. शिखा अग्रवाल से बातचीत की। डॉ. अशोक के. अग्रवाल के अनुसार बड़ों की तरह बच्चों में भी कोविड बिना लक्षण के व लक्षण के साथ प्रभाव दिखा सकता है। शंका होने पर सबसे पहले टेस्ट कराएं। लक्षणविहीन को 14 दिन के लिए होम आइसोलेट कर उसकी निगरानी करें। इसके अलावा नियमानुसार टीकाकरण अवश्य कराएं। टीके को लेकर अपने अंदर किसी भी तरह की शंका न रखें।
सिम्स में एनआईसीयू, पीआईसीयू सहित 80 बिस्तर चालू होंगे
सिम्स अधीक्षक डॉक्टर पुनीत भारद्वाज और पीडियाट्रिक विभाग के एचओडी डॉक्टर राकेश नहरेल ने बताया कि तीसरी लहर बच्चों को प्रभावित करेगी। इसलिए हमने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। सिम्स में कोविड के 80 बेड बच्चों के लिए बनाए जा रहे हैं। इनमें 30 एचडीयू, 15 एनआईसीयू, 10 पीआईसीयू और 20 आइसोलेशन बेड रहेंगे लेकिन ऑक्सीजन सप्लाई सभी बेड पर रहेगी।
आइसोलेशन बेड इसलिए बना रहे हैं ताकि जिन कोरोना संदेही बच्चों को भी भर्ती कर सकें। डॉक्टर नहरेल बताते हैं कि इसके अतिरिक्त गंभीर बच्चों के लिए नीचे ग्राउंड फ्लोर में पांच बिस्तर चालू करेंगे ताकि इमरजेंसी केस आए तो बिना देर किए बच्चों का नीचे ही इलाज शुरू हो सके।
इससे पहले भी हम पांच बिस्तर बच्चों के लिए चला ही रहे थे। उन पर कोरोना पीड़ित बच्चों का लगातार इलाज भी किया गया है। 15 वेंटिलेटर भी रहेंगे। धीरे-धीरे और बिस्तर बढ़ाए जाएंगे। अभी तो 80 बिस्तरों का प्रपोजल भेज दिया है। अनुमति मिलते ही सब कुछ चालू हो जाएगा।
फेफड़ों की पुरानी बीमारी है तो गंभीरता से लें: डॉ. शिखा
चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. शिखा अग्रवाल ने बताया कि कम गंभीर बच्चों में बुखार, गले में खरास, नाक बहना, साधारण खांसी, नाक बहना, सांस लेने में तकलीफ रहेंगे। ऐसे में बच्चों को घर पर ही आइसोलेट करें और उनके शरीर का तापमान, ऑक्सीजन, सेंचुरेशन, सांस की गति, हृदय की गति का ध्यान रखें।
असामान्य नजर आने पर डॉक्टर से संपर्क करें। बच्चे के खाने-पीने का पूरा ध्यान रखें। अगर बच्चे में फेफड़े, हृदय या गुर्दे व स्नायुतंत्र की बीमारी हो तो गंभीरता से लेने की जरूरत है। कुछ बच्चों में कोविड निमोनिया के रूप में असर दिखाता है। इसमें सांस की गति बढ़ जाती है। सांस लेने में कराहने की आवाज, छाती में गड्ढे पड़ता है और शरीर नीला नजर आता है।