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Flashback 2021: सामाजिक सरोकार और बच्चों की बुलंद आवाज बने रहे कैलाश सत्यार्थी

By रोहित श्रीवास्तव
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साल 2021 खत्म होने के मुहाने पर खड़ा है, लेकिन दिसंबर 2019 से चीन से शुरू हुआ कोरोना महामारी का प्रकोप दुनिया में अभी भी बदस्तूर जारी है। यह एक ऐसा गंभीर संकट है जो न केवल मानव सभ्यता के लिए अप्रत्याशित और अनिश्चित है बल्कि इसने मानवता के अस्तित्व को चुनौती देने का काम किया है। बात भारत की करें तो कोरोना की दूसरी लहर में देश में जो विषम परिस्थितियाँ बनी वो किसी से छुपी नहीं हैं। लाखों परिवार इससे प्रभावित हुए। किसी ने अपना माँ, बाप, बेटा, बेटी खोया तो कोई मासूम अपने माता-पिता दोनों के साए से मरहूम हो गया। यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रत्यक्ष तौर पर ऐसे बच्चे और उनके परिवार इस महामारी के दंश को झेलने के लिए मजबूर हुए जो हाशिए पर हैं।

Kailash Satyarthi remains the voice of social concern and help the childrens during corona crisis

देशभर में बेशक एक ऐसा वर्ग रहा जो सामाजिक सरोकार एवं बच्चों से जुड़े मुद्दों को उठाता रहा लेकिन गत वर्ष 2021 में एक ऐसी आवाज जो बच्चों और आमजन से जुड़ी हर समस्या के समाधान के लिए मुखर रही वो आवाज थी नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी की। बात चाहे स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा दिलाने की पैरवी करने की हो, बच्चों के लिए वैश्विक बजट में फेयर शेयर कैम्पेन की हो, बच्चों को बाल श्रम से मुक्त करने की वैश्विक मुहिम की हो, एंटी ट्रैफिकिंग कानून बनाने की मांग हो या फिर अपने माता-पिता को खोने वाले अबोध बच्चों की आवाज बनने की हो, कैलाश सत्यार्थी ने उदाहरण स्थापित किया है कि दृढ़ संकल्प, मजबूत इरादे और करुणा की भावना के साथ देश के बच्चों और आमजन की सकरात्मक लड़ाई लड़ी जा सकती है। वह कैलाश सत्यार्थी ही थे जिन्होंने महामारी के दौरान न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत और दुनियाभर के करोड़ों बच्चों की दयनीय स्थिति को उजागर करने का काम किया और साथ ही इससे निपटने के लिए समाधान भी बताए।

फेयर शेयर टू इंड चाइल्‍ड लेबर मुहिम

वर्ष 2021 में कोरोना से उपजे संकट से भारत सहित पूरी दुनिया में बाल श्रमिकों की संख्या में इजाफा हुआ है। इस पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सत्‍यार्थी के नेतृत्‍व में दुनियाभर के नोबेल पुरस्कार विजेताओं, वैश्विक नेताओं और अन्य अतंरराष्ट्रीय संस्थाओं ने "फेयर शेयर टू इंड चाइल्ड लेबर" अभियान की शुरुआत की। इस अभियान का लक्ष्‍य बच्चों के लिए दुनियाभर के संसाधनों एवं सामाजिक सुरक्षा की नीतियों में प्रभावी हिस्‍सेदारी सुनिश्चित करना है। इस मुहिम का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि इसका समर्थन संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस, अंतरराष्‍ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक गाय राइडर, विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के महानिदेशक श्री टेड्रोस घेब्रायसे, स्‍वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफन लोफवेन, अंतर संसदीय संघ के महासचिव मार्टिन चुंगॉन्ग, यूएन सस्‍टेनेबल डिवेलपमेंट सोल्‍यूशन्‍स नेटवर्क के अध्‍यक्ष जैसे वैश्विक नेताओं ने किया है।

Kailash Satyarthi remains the voice of social concern and help the childrens during corona crisis

स्‍वास्‍थ्‍य को मौलिक अधिकार बनाने की पैरवी

देश ने कोरोना की दूसरी लहर में एक भयानक मंजर देखा। कोरोना की इस घातक लहर में स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से चरमरा गया। कई लोगों ने समय पर ऑक्सिजन और इलाज न मिलने से दम तोड़ दिया। ऐसे में कई लोगों ने मौजूदा स्वास्थ्य के ढांचे में बदलाव लाने की बात कही। कैलाश सत्यार्थी भी उन्हीं आवाजों में एक थे। सत्यार्थी ने केन्द्र सरकार से स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाने का विचार करने का आग्रह किया। सत्यार्थी का मानना है कि ग़रीब, वंचित और आमजन को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाएं, इसके लिए स्वास्थ्य तंत्र को और मज़बूत बनाना होगा। इसके लिए स्वास्थ्य को संवैधानिक अधिकार का दर्जा देना होगा। सत्यार्थी की अपील का राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी पुरजोर समर्थन किया था और केंद्र सरकार को इस पर विचार करने का अनुरोध किया था।

अनाथ हुए बच्चों की तात्कालिक मदद

कोरोना की दूसरी लहर में अनाथ हुए बच्चों और उनके अभिभावकों की मदद करने की पहल करने वालों में सत्यार्थी सबसे आगे थे। सत्‍यार्थी के नेतृत्‍व में उनके संगठनों कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन (केएससीएफ) और बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) ने ऐसे बच्चों और उनके अभिभावकों की कानूनी और मानसिक रूप से मदद करने के उद्देश्य से 24 घंटे का हेल्पलाइन नम्‍बर शुरू किया। उन्होंने सरकार से भी बेसहारा हुए बच्चों की आर्थिक सहायता करने की अपील की। जिसके बाद सरकार भी सक्रिय हुई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे बच्चों की हर रूप में मदद करने के लिए कई घोषणाएं की।

13 हजार से अधिक बच्‍चों को ट्रैफिकिंग और बाल श्रम से कराया मुक्‍त

कोरोना काल में कैलाश सत्यार्थी के संगठन बचपन बचाओ आंदोलन ने सरकारी एजेसियों के साथ मिलकर 13 हजार से बच्चों को ट्रैफिकिंग और बाल श्रम की बेड़ियों से मुक्त कराया है। वे अभी तक 1 लाख से ज्यादा बच्चों को आधिकारिक तौर पर मुक्त करवा चुके हैं।

Kailash Satyarthi remains the voice of social concern and help the childrens during corona crisis

मुक्ति कारवां अभियान के तहत जनजागरण कार्यक्रम

कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फ़ाउंडेशन द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान के तहत पूर्व में रहे बाल मजदूर अब लोगों को अपने ही गाँव और आसपास के क्षेत्रों में बाल श्रम, ट्रैफिकिंग और बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे हैं। वे एक ऐसे इंटेलिजेंस नेटवर्क का निर्माण भी करते हैं जिससे ट्रैफिकर की असामाजिक और अवैध गतिविधियों पर नजर रखी जा सके और कोई भी बच्चा ट्रैफिकिंग का शिकार न बन सके।

वर्ष 2021 में कैलाश सत्यार्थी द्वारा किए गए कार्यों का लेखा-जोखा बताता है कि वे आज भी उसी ऊर्जा और लगन के साथ उन सभी मुद्दों के लिए संघर्षरत और प्रयासरत हैं जिनके लिए उन्हें 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वे शायद ऐसे पहले नोबेल शांति पुरस्कार विजेता हैं जो नोबेल मिलने के बाद भी अपने कर्मक्षेत्र में सक्रिय हैं। यह बात इससे भी प्रमाणित होती है कि उन्हें इसी वर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपना एसडीजी (सतत विकास लक्ष्‍य) एडवोकेट नियुक्‍त किया है। एसडीजी एडवोकेट के रूप में सत्यार्थी संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास लक्ष्य को सन् 2030 तक हासिल करने में अहम किरदार निभाएंगे।

(रोहित श्रीवास्तव युवा पत्रकार हैं. आप सामाजिक न्याय एवं बाल अधिकारों के मुद्दों पर नियमित रूप से लिखते हैं।)

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English summary
Kailash Satyarthi remains the voice of social concern and help the childrens during corona crisis
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