बंगाल में तीन फेज की 91 सीटों में BJP कितनी जीतेगी, अमित शाह ने ये बताया
कोलकाता: बंगाल में अबतक हुए तीन चरणों के चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री और पार्टी नेता अमित शाह ने फिर से बड़ा दावा किया है। राज्य की कुल 294 विधानसभा सीटों में से अबतक 91 विधानसभा सीटों पर चुनाव हो चुके हैं और शाह का दावा है कि इनमें से अधिकतर सीटें भारतीय जनता पार्टी जीतने जा रही है। गौरतलब है कि मंगलवार को ही दिए एक इंटव्यू में उन्होंने दावा किया है कि इसबार भाजपा को यहां उत्तर प्रदेश में 2017 में मिली सफलता से भी बड़ी जीत हासिल होने जा रही है। शाह ने बुधवार को कभी किसान आंदोलन की वजह सुर्खियों में आए सिंगूर में भी रोड शो किया और फिर यह बात दोहराई है कि उनकी पार्टी राज्य में 200 से ज्यादा सीटें जीतने जा रही है।
'पहले
तीन
फेज
में
63
से
68
सीटों
तक
जरूर
जीतेंगे'
भाजपा
नेता
अमित
शाह
ने
कहा
है,
'भारतीय
जनता
पार्टी
का
अनुमान
है
कि
हम
पहले
तीनों
चरणों
के
चुनाव
में
63
से
68
सीटों
तक
जरूर
जीतेंगे
और
तृणमूल
कांग्रेस,
कम्युनिस्ट
और
कांग्रेस
के
ऊपर
भारी
बढ़त
कायम
करेंगे।'
उन्होंने
कहा
है
कि
आने
वाले
5
चरणों
के
चुनाव
में
भी
भगवा
पार्टी
बढ़त
बनाएगी
और
200
सीटें
जीतने
के
अपने
लक्ष्य
को
पार
करेगी।
उन्होंने
कोलकाता
के
पास
हावड़ा
जिले
के
डोमजुर
में
एक
स्थानीय
भाजपा
समर्थक,
जो
कि
रिक्शा
चालक
है
उसके
घर
में
खाना
खाने
के
बाद
मीडिया
वालों
से
बातचीत
में
यह
दावा
किया
है।
गौरतलब
है
कि
27
मार्च
को
पहले
चरण
में
30
सीटों
पर
हुई
वोटिंग
के
बाद
उन्होंने
उनमें
से
26
सीटों
पर
अपनी
पार्टी
की
जीत
का
दावा
किया
था।
सिंगूर
में
किया
जोरदार
रोडशो
इससे
पहले
शाह
ने
कभी
बंगाल
में
जमीन-अधिग्रहण
विरोधी
आंदोलन
का
केंद्र
रहे
सिंगूर
में
एक
बड़ा
रोड
शो
किया।
खास
बात
ये
है
कि
तीन
दिन
पहले
ही
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
ने
भी
यहां
एक
विशाल
रैली
की
थी।
सिंगूर
में
जिस
औद्योगिकरण
का
2006
में
जोरदार
विरोध
हुआ
था,
अब
वहीं
के
लोग
रोजगार
के
लिए
उद्योग
लगाने
की
वकालत
कर
रहे
हैं
और
भाजपा
लोगों
से
उसी
के
नाम
पर
वोट
मांग
रही
है।
शाह
ने
कहा
है
कि
'हम
यहां
पर
उद्योग
लगाकर
इस
इलाके
का
विकास
करेंगे
और
हमने
अपने
संकल्प
पत्र
में
यहां
की
आलू
के
लिए
500
करोड़
रुपये
का
फंड
रखने
की
घोषणा
की
है,
जिसके
लिए
यह
इलाका
जाना
जाता
है।'
गौरतलब
है
कि
यहां
आलू
की
अच्छी
पैदावार
होती
है,
लेकिन
कोल्ड
स्टोरेज
और
प्रोसेसिंग
यूनिट
की
कमी
के
चलते
किसानों
को
उसका
उचित
लाभ
नहीं
मिल
पाता।
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