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खुद को जिंदा साबित करने के लिए भरा BDC का पर्चा, कहा- 'तेरहवीं हो गई, मगर मैं जिंदा हूं'

खुद को जिंदा साबित करने के लिए भरा BDC का पर्चा, कहा- 'तेरहवीं हो गई, मगर मैं जिंदा हूं'

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वाराणसी। उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 2021 को लेकर नामांकन प्रक्रिया का दौर जारी है। नामांकन प्रक्रिया के दौरान एक से बढ़कर एक चौंकाने वाली खबरें भी सामने आ रही है। तो वहीं, अब उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसे सुनकर आप भी चौंक जाएंगे। दरअसल, यहां एक व्यक्ति ने खुद को जिंदा साबित करने के लिए बीडीसी का पर्चा भरा है।

खुदा को जिंदा साबित करने के लिए भरा नामांकन

खुदा को जिंदा साबित करने के लिए भरा नामांकन

ये पूरा मामला वाराणसी जिले के चौबेपुर के छितौनी गांव का है। दरअसल, सरकारी कागजों में 20 साल पहले मुर्दा हो चुके संतोष कुमार ने जिला प्रशासन की नींद तोड़ने के लिए पंचायत चुनाव में खड़ने होने का निर्णय लिया। इसके लिए संतोष कुमार ने बीडीसी चुनाव का नामांकन भर दिया। संतोष का कहना है कि भीख मांगकर चुनाव में नामांकन भरने के लिए पैसे जुटाए और प्रस्तावक भी भीख मांगकर मिला है।

मानवाधिकार आयोग ने लिया मामले का संज्ञान

मानवाधिकार आयोग ने लिया मामले का संज्ञान

इतना ही नहीं, संतोष कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वो खुद को जिंदा साबित करने की लड़ाई पिछले 20 साल से लड़ रहे हैं। लेकिन उनकी किसी भी स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हुआ। वहीं, अब मानवाधिकार आयोग ने उनके मामले का संज्ञान लेते हुए वाराणसी के डीएम को तलब किया है। जिससे उन्हें कुछ उम्मीद बंधी है। संतोष ने बताया कि इससे पहले भी उन्होंने लोकसभा और विधानसभा में नामांकन किया था। लेकिन वो हर बार रिजेक्ट हो गए।

नाना पाटेकर का रह चुका है रसोइया

नाना पाटेकर का रह चुका है रसोइया

हालांकि, संतोष ने मीडिया को बताया कि वो 2017 के विधानसभा चुनाव में वाराणसी से चुनाव लड़ चुके हैं। बावजूद इसके बदलती सरकार और ट्रांसफर होते अधिकारियों के आश्वासन के बावजूद वो अब तक सरकारी फाइलों में मृत ही हैं। संतोष का कहना है कि वो यह चुनाव इसलिए लड़ रहें हैं, क्योंकि उन्हें खुद को जिंदा साबित करना है। संतोष ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, वो बॉलीवुड एक्टर नाना पाटेकर के रसोइया के तौर पर उनके साथ लंबे समय तक जुड़े रहे।

पाटीदारों 12.5 एकड़ हड़प ली जमीन

पाटीदारों 12.5 एकड़ हड़प ली जमीन

लेकिन जब वो साल 2003 में मुंबई से अपने गांव लौटे तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। क्योंकि पाटीदारों ने उन्हें कागजों पर मृतक दिखाकर 12.5 एकड़ जमीन हड़प ली। उन्होंने जिला प्रशासन से जुडे सभी अधिकारियों से गुहार भी लगाई, लेकिन उनकी कोई बात नहीं बनी। इसलिए अब उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया है। तो वहीं, वो इस लड़ाई में वो अब अकेले नहीं हैं, बल्कि कई युवा अब उनका साथ देने के लिए आग आए हैं।

युवा भी साथ देने आए आगे

युवा भी साथ देने आए आगे

वाराणसी के रहने जितेंद्र बताते हैं कि जब से उन्हें संतोष के बारे में पता चला है तो अब वो उनके संघर्ष में उनके साथ हैं। संतोष दो दशक से सरकारी कागज में मृत हैं और इनकी जमीन पर पाटीदार ने कब्जा कर रखा है। इनके जज्बे को देखते हुए हम आगे आकर इनकी मदद कर रहें हैं। इनके क्षेत्र में जाकर चुनाव के लिए प्रचार-प्रसार भी करेंगे।

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English summary
UP Panchayat Election 2021: santosh filed nomination paper of BDC election to prove he is alive
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