Joshimath sinking:रात में राहत शिविर, दिन में दरकते घर, ऐसी है प्रभावितों की भावुक करने वाली कहानी
जोशीमठ में जिन लोगों को अपना घर खाली करने को कहा जा रहा है। वो दिल पर पत्थर रखकर किसी तरह रात को राहत शिविर में पहुंच रहे हैं। लेकिन सुबह होते ही फिर से अपने दरकते घर को देखने आ जा रहे हैं।
जोशीमठ में 600 से ज्यादा मकान असुरक्षित हो चुके हैं। ऐसे में प्रशासन लगातार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में जुटा है। अब तक 75 भवनों पर लाल निशान लगाए जा चुके हैं। साथ ही 81 परिवार अब तक शिफ्ट किए जा चुके हैं। लेकिन जिन लोगों को अपना घर खाली करने को कहा जा रहा है। वो दिल पर पत्थर रखकर किसी तरह रात को राहत शिविर में पहुंच रहे हैं। लेकिन सुबह होते ही फिर से अपने दरकते घर को देखने आ जा रहे हैं।
जोशीमठ की ये तस्वीरें भावुक करने वाली है
इस तरह जोशीमठ की ये तस्वीरें भावुक करने वाली है। हर कोई इस उम्मीद के साथ अपने जर्जर हो रहे भवनों की और से देख रहा है कि कहां से वे शुरुआत करें और अपनी जिदंगी भर की कमाई छोड़कर जाएं। जोशीमठ में इस तरह की दर्द भरी कहानी कई जगह नजर आ रही है।
अपने सामने अपना घर बर्बाद होते देख रहे
उत्तराखंड के चमोली का जोशीमठ दरक रहा है। हर कोई जोशीमठ पहुंचकर वहां के हालात देखना चाहता है। लेकिन प्रभावित लोग अब जानने वालों, मीडिया और प्रशासन के सवालों के जवाब देते देते थक गए हैं। एक साल से भी ज्यादा समय होने को है और वे अपने सामने अपना घर बर्बाद होते देख रहे हैं। ऐसे में उनकी मानसिक स्थिति क्या हो चुकी है। ये समझना मुश्किल है।
घर बुरी तरह से टूट चुका,असुरक्षित घोषित
वार्ड नंबर 7 में दुर्गा प्रसाद सकलानी अपने परिवार के साथ रहते हैं। उनका घर बुरी तरह से टूट चुका है और असुरक्षित घोषित किया गया है। दुर्गा प्रसाद सकलानी के तीन भाइयों के परिवार में 14 लोग हैं। प्रशासन ने इन्हें घर से कुछ दूर एक कैफे में रहने के लिए कहा है। कैफे वाले ने तीनों परिवारों को एक-एक कमरा दिया है। वे लोग रात को सोने के लिए कैफे में चले जाते हैं, और दिन में ये लोग अपने धरकते घर में आ जाते हैं।
परिवार के सामने अब धर्मसंकट खड़ा हो गया
घर के साथ ही इस परिवार की गौशाला है। जिसमें 14 पशु हैं। घर में खाना बनाने और खाने के अलावा लोग अपने पशुओं की भी देखरेख कर रहे हैं। दिन में अधिकारी आकर इन्हें यहां से हटने को कह रहे हैं। दिन में ये परिवार खाना बनाने और अपने मवेशियों को देखने आ रहे हैं, रात को सोने राहत शिविर में चले जाते हैं। लेकिन प्रशासन अब किसी को भी दरकते घर में रहने की इजाजत नहीं दे रहे हैं। ऐसे में परिवार के सामने अब धर्मसंकट खड़ा हो गया है।
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सारा सामान, मवेशी, जरुरत का सामान कहां लेकर जाएं
परिवार
वालों
का
कहना
है
कि
जिदंगी
भर
की
कमाई
और
घर
का
सामान
छोड़कर
कैफे
में
कैसे
रहें।
सबसे
ज्यादा
चिंता
अब
मौसम
की
है।
आने
वाले
दिनों
में
जोशीमठ
में
अब
बर्फ
पड़ने
वाली
है,
बर्फबारी
से
पहले
लगभग
2
महीने
का
राशन
और
अन्य
जरूरी
सामान
वे
घर
में
रखते
हैं।
ये
सारा
सामान,
मवेशी,
जरुरत
का
सामान
कहां
लेकर
जाएं।
इसका
जवाब
किसी
के
पास
नहीं
है।
कई ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब किसी के पास नहीं
ऐसे में प्रभावित लोग अब मानसिक रूप से भी बीमार हो रहे हैं। प्रशासन की तरफ से डॉक्टर भी आ रहे हैं जो कि बुखार, जुकाम आदि हल्की फुल्की परेशानियों की दवा देकर जा रहे हैं। लेकिन जिन परिस्थितियों में लोग रह रहे हैं। उसको समझना अब आसान नहीं है। साथ ही इनके कई ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब किसी के पास नहीं हैं।