पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी की जयंती पर कांग्रेस संकल्प विजय शंखनाद जनसभा के पीछे क्या है कांग्रेस का गणित
देहरादून, 16 अक्टूबर। उत्तराखंड में चुनाव से पहले कांग्रेस को पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत नारायण दत्त तिवारी याद आए हैं। तिवारी की जयंती पर कांग्रेस संकल्प विजय शंखनाद जनसभा का आयोजन करने जा रही है। यह कार्यक्रम हल्द्वानी में आयोजित होगा। कार्यक्रम में प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव, प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पूर्व सीएम हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह समेत सभी कांग्रेसी मौजूद रहेंगे। हाल ही में कांग्रेस में घर वापसी करने वाले यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य पहली बार कांग्रेस के मंच को साझा करते हुए नजर आएंगे।

तिवारी का रहा है कई सीटों पर प्रभाव
कांग्रेस उत्तराखंड में सत्ता में वापसी के लिए हर समीकरण साधने की कोशिश में जुटी है। कांग्रेस अपने पुराने वोटबैंक और विधानसभा सीटों को लेकर रणनीति बना रही है। जिन सीटों पर पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। साथ ही कुछ विधानसभा सीटों पर इस बार परिस्थितियां बदल चुकी हैं। जिन सीटों पर पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी का प्रभाव था, उनमें से रामनगर सीट पर तिवारी ने सीएम बनने के बाद उपचुनाव में जीत दर्ज की थी। इस सीट पर वर्तमान में कांग्रेस का कब्जा रहा है। जबकि इससे पहले 3 बार कांग्रेस और 2 बार भाजपा जीतकर आई है। पिछली बार कांग्रेस के रणजीत सिंह रामनगर से चुनाव हार गए थे। जो अब कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। हालांकि इस सीट पर हरीश रावत खेमा और रणजीत सिंह आमने सामने हैं। दूसरी अहम सीट हल्द्वानी की सीट है। जिस पर कांग्रेस की दिग्गज नेता दिवंगत डॉ इंदिरा ह्रदयेश विधायक थीं, लेकिन उनके निधन के बाद उनके बेटे सुमित का विरासत संभालने को लेकर चर्चांए हैं। नैनीताल सीट पर संजीव आर्य भाजपा के टिकट पर विधायक चुनकर आए थे जो अब कांग्रेस में वापस आ चुके हैं। ऐसे में इस बार तिवारी के प्रभाव वाली सीटों पर कांग्रेस की खासा नजर है। जिनको लेकर पार्टी अभी से रणनीति पर काम कर रही है।

कांग्रेस के लिए तिवारी हैं चुनाव में जरूरी
उत्तराखंड की राजनीति में कांग्रेस के लिए दिवंगत नारायण दत्त तिवारी का नाम काफी अहम है। तिवारी 21 साल में एक मात्र प्रदेश के सीएम रहे जिन्होंने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया। उत्तराखंड मे आज भी कई ऐतिहासिक फैसले और निर्णय महत्वपूर्ण माने जाते हैं, जो तिवारी के शासनकाल में हुए थे। तिवारी ने उत्तराखंड ही नहीं उत्तर प्रदेश और केन्द्र की राजनीति में अच्छा खासा नाम कमाया। तिवारी का कुमाऊं और तराई सीटों पर विशेष प्रभाव रहा है। जिनमें हल्द्वानी, नैनीताल, रामनगर, यूएसनगर की सीटें शामिल हैं। इन सीटों पर कांग्रेस तिवारी के जरिए जनता का समर्थन मांगने जा रही है।

तिवारी की विरासत को आगे बढ़ाना भी टारगेट
पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी के निधन के बाद उत्तराखंड में तिवारी की विरासत को आगे बढ़ाने वाला कोई बड़ा चेहरा नहीं है। तिवारी के रहते उनके पुत्र रोहित शेखर ने कुछ समय यूपी और उत्तराखंड में विरासत को संभालने की कोशिश की, लेकिन अचानक रोहित के निधन के बाद तिवारी की विरासत को संभालना अब कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है। जिसे पार्टी सामूहिक रुप से संभालने की कोशिश में जुटी है। तिवारी कांग्रेस के लिए बड़ा चेहरा रहे हैं। जिनके नाम से कांग्रेस तराई और कुमाऊं में अपना जनाधार दोबारा हासिल करने और कांग्रेस का वोटबैंक बढ़ाने पर जोर देने की कोशिश में जुटी है।