सशक्त उत्तराखंड @ 25 चिंतन शिविर:सीएम धामी ने अधिकारियों को जगाया तो सीएस संधु ने दिखाया आईना
मसूरी में तीन दिवसीय सशक्त उत्तराखंड @ 25 चिंतन शिविर शुरू
लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय अकादमी मसूरी में आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तीन दिवसीय सशक्त उत्तराखंड @ 25 चिंतन शिविर के प्रथम सत्र का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस चिंतन शिविर के आयोजन को लेकर हम बहुत दिनों से सोच रहे थे। उन्होंने कहा कि इन तीन दिनों तक हमें चिंतन के साथ चिंता भी करनी है कि प्रदेश का विकास कैसे हो? मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें चीजों को नोट करने की आदत डालनी चाहिए। एक दिन में हमारे अंदर हजारों विचार आते हैं। ऐसे में हर चीज याद नहीं रखी जा सकती। उन्होंने कहा कि आप के लिए कोई काम मुश्किल नहीं है।
अपनी जिम्मेदारी एक दूसरे पर डालने की प्रवृत्ति को त्यागना होगा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मैंने महसूस किया है कि विभाग अपनी जिम्मेदारी एक दूसरे पर डालने की कोशिश करते हैं, इस प्रवृत्ति को हमें त्यागना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने सरलीकरण का मंत्र दिया है। हमें यहां सोचना होगा कि कितने विभागों ने कार्य का सरलीकरण किया। प्रक्रियाओं सरलीकरण कर के समाधान का रास्ता निकलना है । उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के सभी अधिकारी अच्छा काम करते हैं और फीडबैक भी आते रहते हैं। उन्होंने कहा कि मैं ज्यादा से ज्यादा जनता के बीच रहने की कोशिश करता हूं। अभी कुछ दिनों से आदत बनाई है कि जिलों में भ्रमण के दौरान सुबह 6 से 8 बजे तक लोगों से बात करता हूँ और फीडबैक लेता रहता हूं और इस दौरान सबके बारे में पता चलता रहता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देखने में आता है कि कई अधिकारी फ़ाइल को ठीक से आगे नहीं बढ़ाते। ये आदर्श स्थिति नहीं है। कई दफा हम अपने स्तर से फैसले नहीं लेते। फ़ाइल नीचे से चलते हुए कई बार मेरे पास तक आ जाती है जिस पर सभी की एक ही टिप्पणी होती है कि उच्च अनुमोदन हेतु प्रेषित। जबकि जरूरत यह है कि हम अपना निर्णय भी उस पर लिखें। उन्होंने कहा कि हमारी जो काम करने की प्रणाली है। इसमें बदलाव की जरूरत है। हमें बेस्ट प्रैक्टिस करने की आदत डालनी होगी और 10 से 5 वाले कल्चर से बाहर आना होगा।
सरलीकरण, समाधान और संतुष्टिकरण के मंत्र पर कार्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें सरलीकरण, समाधान और संतुष्टिकरण के मंत्र पर कार्य करना होगा। हमारा फ़ोकस समाधान पर होना चाहिए। एसीआर भरे जाने के समय यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि जो टास्क दिया गया था वो हुआ या नहीं। हम इस कार्य को इसी वर्ष से प्रारम्भ करेंगे। उन्होंने कहा कि अभी यह आम धारणा है कि जो योजना हम बनाते हैं वो योजनाएं देहरादून बेस्ड बन रही हैं। हमें पर्वतीय जिलों को विकास के खाके में शामिल करना ही होगा। वर्तमान में भारत सरकार-नीति आयोग आदि सब हमें सहयोग करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में देहरादून और आसपास के इलाके पहले से कहीं ज्यादा कंजस्टेड हो जाएंगे। हमें उसके अनुरूप सुविधाओं को विकसित करना होगा।स्मार्ट सिटी को लेकर शिकायतें आती हैं।इसको ठीक करना है। हम यह नहीं कह सकते यह काम हमारे। समय का नहीं है।अच्छा ख़राब जो भी है अब यह हमारी ज़िम्मेदारी है।इसको ठीक करना है। उन्होंने कहा कि हमारा चिंतन व्यवहारिक होना चाहिए। प्रदेश के हित में होना चाहिए। वर्ष 2025 तक केवल श्रेष्ठ राज्य की बात कहकर कुछ नहीं होने वाला बल्कि इसे हमको करकर दिखाना है। हमें 2025 तक एक सशक्त उत्तराखंड बनाना है। हमें विकास की योजनाएं अपने भूगोल के अनुसार बनानी होंगी।
...ऐसी सोच रखने वाले नौकरशाहों को स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले लेना चाहिए
उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू ने कहा कि आगामी तीन दिनों तक हम राज्य को लेकर महत्वपूर्ण मंथन करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें मंथन केवल तीन दिन नहीं बल्कि समय-समय पर करते रहने चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया अब तेजी से बदल रही है। बदलती परिस्थितियों के हिसाब से हमें परिवर्तन लाने होंगे। पहले पंच वर्षीय योजना बनती थी लेकिन समय के साथ हमें इस मॉडल से बाहर आना पड़ा है। यही वजह है कि पंच वर्षीय कार्यक्रम की जगह नीति आयोग की जरूरत पड़ी है। उन्होंने कहा कि हमें नियमित चिंतन शिविरों की बहुत आवश्यकता है। मुख्य सचिव ने कहा कि कई बार देखने में आता है कि अफसर फैसले लेने से डरते हैं और यस के बजाए नो कहने में अधिक दिलचस्पी लेते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी सोच रखने वाले नौकरशाहों को स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी काम के प्रति बेहद सकारात्मक हैं। अगर कोई शासनादेश या नियम किसी विकास योजना या अच्छे कार्य में आड़े आ रहा है तो उसको बदलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी आदेशों को आम भाषा एक व्यक्ति क़ानून को मिसयूज न कर पाए इस सोच के चलते 99 लोगों को फायदा न होने देने की सोच गलत है। उन्होंने कहा कि नौकरशाह एक मुद्दा रोज लें कर फिर उसको सुलझाएं। उन्होंने कहा कि कायर नौकरशाह ही ज्यादा आपत्ति लगाते हैं। किसी चीज पर फैसला न लेना जनता को परेशान करने के समान है।
चिंतन हमें केवल तीन दिन नहीं बल्कि हर रोज करना है
मुख्य सचिव ने कहा कि पर्यटन, योगा, हाइड्रो पावर, हॉर्टिकल्चर वो तमाम क्षेत्र हैं जिनमें अभी बहुत कुछ करने की गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण से लोग भाग रहे हैं। जिस तरह से सड़कों का जाल बिछ रहा है हम दिल्ली एनसीआर का हिस्सा होंगे। इस लिहाज से हमें अपने देहरादून व अन्य शहरों में सुविधाओं को विकसित करना होगा। उन्होंने कहा कि चिंतन हमें केवल तीन दिन नहीं बल्कि हर रोज करना है। उन्होंने कहा कि काम करने का एटीट्यूड बहुत महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर लाल बहादुर प्रशाशनिक अकादमी के निदेशक श्रीनिवास आर कतीकीथला ने अकादमी में चलाई जा रही गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि आधी आबादी को ध्यान में रखकर हमें योजनाएं बनानी होंगी। उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण पर बल दिया और समाज में होने वाली घटनाओं के अनूरूप नीतियों को बनाने पर बल दिया। नियोजन सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने राज्य की अर्थव्यवस्था पर अपना प्रेजेंटेशन दिया। इस अवसर पर सभी वरिष्ठ अधिकारी गण उपस्थित रहे।