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उत्तराखंड में टिकट बंटवारे के बाद बगावत से बचने के लिए भाजपा ने बनाई ये खास रणनीति,जानिए क्या

सभी 70 सीटों पर देरी से होंगे प्रत्याशियों के ऐलान

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देहरादून, 10 जनवरी। उत्तराखंड में चुनाव तारीखों का ऐलान होते ही सभी सियासी दल टिकट बंटवारे को लेकर रणनीति बनाने में जुटे हैं। इसके लिए सभी दल एक दूसरे दलों की रणनीति पर भी फोकस कर रहे हैं। जिससे किसी दल के अंदर टिकट बंटवारे के बाद अगर बगावत होती है तो दूसरा दल उसका सियासी लाभ ले सके। सत्ताधारी भाजपा की बात करें तो भाजपा ने इस बगावत को कम करने के लिए टिकटों को बांटने के लिए एक नई रणनीति बनाई है, जो कि देरी में की जाएगी। जिससे पार्टी के अंदर नाराज लोगों को बागी होने के लिए कम समय मिले।

21 जनवरी तक जारी होंगे सभी नाम

21 जनवरी तक जारी होंगे सभी नाम

भाजपा अपने सभी टिकटों को 21 जनवरी के आसपास ही सूची जारी करेगी। हालांकि जिन सीटों पर ज्यादा परेशानी नहीं है, उन सीटों को 14 जनवरी तक मुहर लग सकती है। इनमें मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष और सीनियर नेताओं के करीब 32 टिकट हैं​ जिनमें ज्यादा विवाद की स्थिति नहीं है। इसके बाद जिन सीटों पर विवाद की स्थिति है, उनमें एक बार फिर पार्टी विचार विमर्श और मंथन करेगी। साथ ही सभी दावेदारों से भी विकल्प पर बातचीत हो सकती है। भाजपा के सामने ऐसी 12 से ज्यादा सीटें हैं जहां प्रत्याशी चयन में पार्टी को पसीना छूट सकता है। इनमें हल्द्वानी, केदारनाथ, बद्रीनाथ, धर्मपुर, गंगोत्री, प्रतापनगर, नैनीताल, यमुनोत्री, कैंट, चौबट्टाखाल, लैंसडाउन, बाजपुर आदि कई प्रमुख सीटें हैं। इन पर पार्टी के अंदर अभी खींचतान जारी है। ऐसे में पार्टी इन सीटों को पहली लिस्ट में शामिल कर बड़ा रिस्क नहीं लेना चाहेगी।

21 से 28 जनवरी महत्वूर्ण तारीख

21 से 28 जनवरी महत्वूर्ण तारीख

पार्टी के लिए हाल ही में शामिल हुए बड़े चेहरों को एडजस्ट करना बड़ी चुनौती है। जिनको टिकट न मिला तो बागी लड़ना भी तय है। ऐसे में भाजपा की पहली सूची से ज्यादा दूसरी सूची पर सबकी निगाहें लगी रहेंगी। जो कि 21 जनवरी के आसपास ही आ सकती है। उत्तराखंड में सभी 70 सीटों के लिए 21 जनवरी को अधिसूचना जारी होगी। इसके बाद 25 से 28 जनवरी तक नामांकन होंगे। 29 जनवरी को नामांकन की जांच और 31 जनवरी को नाम वापसी हो सकेगी। 14 फरवरी को वोटिंग और 10 मार्च को नतीजे आएंगे। ऐसे में भाजपा की कोशिश होगी कि जिन सीटों पर ज्यादा विवाद की स्थिति है, उनको नामांकन प्रक्रिया होने के दौरान ही तय किए जाएंगे। जिससे दावेदारों को कम ही समय मिले। ऐसे में बागियों को भी कम समय मिलता है।

कांग्रेस में गुटबाजी का दिखेगा ​टिकट बंटवारे पर असर

कांग्रेस में गुटबाजी का दिखेगा ​टिकट बंटवारे पर असर

कांग्रेस इस बार टिकटों को लेकर ज्यादा मजबूती से अपना पक्ष रखने में जुटी है। इतना ही नहीं स्क्रीनिंग कमेटी की दो बार दिल्ली में बैठक हो चुकी है। ऐसे में 12 जनवरी के आसपास पहली सूची जारी हो सकती है। जिसमें 40 से ज्यादा नाम आने तय माने जा रहे हैं। कांग्रेस की दूसरी सूची भाजपा की पहली सूची जारी होने के बाद ही आना तय है। दोनों दल एक दूसरे के प्रत्याशियों को देखकर ही दावेदारों के नाम पर मुहर लगाएगी। कांग्रेस के अंदर जिन सीटों पर सबसे ज्यादा माथापच्ची होना तय है। इनमें पुरोला, यमुनोत्री, ​रामनगर, रायपुर, कैंट, मसूरी, डीडीहाट,सल्ट, नैनीताल, हल्द्वानी, रुद्रप्रयाग, ऋषिकेश आदि प्रमुख सीटें हैं। कांंग्रेस के सामने इस बार टिकटों के फॉर्मूले को ​लेकर भी संतुलन ​बैठाने की ​बड़ी जिम्मेदारी है। ​जिसके बाद किसी तरह के बगावत से बचा जा सके। हालांकि दो गुटों में बंटी पार्टी में इस बार टिकटों को लेकर महाभारत न हो, ये संभव नहीं है। ऐसे में कुछ दिनों बाद पार्टी में विवाद और बगावत होना तय है।

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English summary
After the distribution of Uttarakhand ticket, BJP made this strategy to avoid rebellion, know what
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