BJP के लिए फिर "उपयोगी" साबित हुए योगी, जानिए 2018 उपचुनाव की हार से कैसे लिया सबक
लखनऊ, 26 जून: उत्तर प्रदेश में दो सीटों रामपुर और आजमगढ़ में हुए लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी ने फतह हासिल कर ली है। इस बार बीजेपी के लिए केंद्रीय नेताओं ने प्रचार नहीं किया था। इसलिए पूरा दारोमदार योगी पर ही था। यूपी में 2018 में गोरखपुर और फूलपुर में हुए लोकसभा उपचुनावों में हार की टीस योगी का पीछा नहीं छोड़ रही थी। इन दोनों सीटों पर बीजेपी की हार के बाद योगी पर भी सवाल खड़े हो रहे थे लेकिन इस बार रामपुर और आजमगढ़ जैसे समाजवादी गढ़ में सेंध लगाकर योगी ने एक बार फिर अपनी उपयोगिता साबित कर दी है। योगी दोनों जगहों पर प्रचार करने के लिए पहुंचे थे और उन्होंने पूरी रणनीति के तहत बीजेपी को जिताने का काम किया। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो उपचुनाव में मिली जीत के बाद केंद्रीय स्तर पर भी उनका कद बढ़ना तय है।
रामपुर और आजमगढ़ दोनों जगहों पर किया प्रचार
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए रामपुर और आजमगढ़ का उपचुनाव नाक का सवाल था। हालांकि पहले कई ऐसे मौके आए जब बीजेपी को उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। एक बार तो गोरखपुर और फूलपुर में ही 2018 के उपचुनाव में बीजेपी को करारी हार मिली थी तब उनपर काफी सवाल उठे थे। हालांकि इस बार के चुनाव में योगी ने पुरानी गलतियां नहीं दोहराईं। इस बार योगी ने प्रशासनिक के साथ ही राजनीतिक कौशल का भी पूरी तरह से उपयोग किया। इन दोनों जिलों की जनता के बीच विकास को लेकर एक नई उम्मीद जगाने का काम किया। इसकी शुरूआत वो आजमगढ़ में सुहेलदेव विश्वविद्यालय की नींव रखकर कर चुके थे। इसी तरह रामपुर की जनता को भी उन्होंने विश्वास दिलाया कि सरकार हमेशा गरीबों के साथ खड़ी रहेगी और किसी की माफियागिरी नहीं चलने दी जाएगी।
रामपुर में आजम और आजमगढ़ में अखिलेश की रणनीति को ध्वस्त किया
योगी ने सधी हुई रणनीति के तहत आजमगढ़ और रामपुर में चुनावी बिसात बिछायी। इसके लिए उन्होंने दोनों जगहों पर चुनिंदा लोगों को दोनों जगहों पर प्रचार के लिए लगाया था। आजमगढ़ में रवि किशन पूरे समय तक डटे रहे। गोरखपुर के सांसद रवि किशन के अलावा आससपास के सभी जिलों के सांसदों को वहां जिम्मेदारियां सौंपी गईं थी जिसका लाभ बीजेपी को मिला। रामपुर में उन्होंने हमेशा आजम को निशाने पर रखा और उनको ही केंद्र में रखकर अपनी रणनीति बनाई वहीं आजमगढ़ में भी योगी ने अपने प्रशासनिक अनुभव का भरपूर इस्तेमाल किया।
सुरेश खन्ना को रामपुर और सूर्य प्रताप शाही को आजमगढ़ की कमान सौंपी
योगी आदित्यनाथ ने रामपुर और आजमगढ़ के चुनाव को किस गंभीरता से लिया था इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने कई कैबिनेट और राज्यमंत्रियों को वहां जिम्मेदारी सौंपी और उसकी मानिटरिंग की जिम्मेदारी अपने खास मंत्री सुरेश खन्ना को सौंपी। सुरेश खन्ना बराबर वहां का अपडेट सीएम योगी को देते रहे। इसी तरह आजमगढ़ में योगी ने पूर्वांचल के कद्दावर नेता सूर्य प्रताप शाही को कमान सौंपी थी। उनके नेतृत्व में दर्जनभर सांसद और नेताओं ने दिन रात प्रचार किया और बूथ स्तर तक अपनी पहुंच बनाई। एक तरह से कहा जाए तो संगठन और सरकार के बेहतर तालमेल की वजह से ही उनको आजमगढ़ में जीत मिल पायी।
2018 में गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव की हार से लिया सबक
यूपी में 2017 में विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी को शानदार बहुमत मिला था। इसके बाद योगी यूपी के मुख्यमंत्री बने और बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य को डिप्टी सीएम बनाया गया। हालांकि संयोग से योगी और केशव दोनों गोरखपुर और फूलपुर से सांसद थे। चुनाव के बाद 2018 में दोनों वरिष्ठ नेताओं ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद गोरखपुर और फूलपुर की सीट खाली हो गई थी। इन दोनों सीटों पर हुए उपचुनाव में सपा ने बीजेपी को हरा दिया था। तब योगी पर काफी सवाल भी उठे थे। हालांकि उसके बाद 2019 में हुए लोकसभा के आमचुनाव में दोनों सीटें बीजेपी की झोली में चली गईं थीं।