UP Election: तीन साल के अंदर 6126 एनकाउंटर, क्या योगी सरकार ने गुंडाराज को खत्म कर दिया ?
लखनऊ, 22 अक्टूबर। “अगर उत्तर प्रदेश को गुंडाराज से बचाना है, तो भाजपा जरूरी है।” उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हों या भाजपा के अन्य बड़े नेता, चुनावी सभाओं में इसी मुद्दे को जोरशोर उठा रहे हैं। गुंडाराज से मुक्ति, भाजपा का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है।
बुधवार को योगी आदित्यनाथ ने सामाजिक सम्मेलन में इस विषय पर जोरदार भाषण दिया। इसके पहले केन्द्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अनुराग ठाकुर भी कह चुके हैं कि सपा-बसपा राज में कायम गुंडाराज को योगी आदित्यनाथ ने ही खत्म किया है। क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में गुंडा राज को सचमुच खत्म कर दिया ?
क्या यूपी में गुंडाराज खत्म हो गया ?
माना जाता है कि योगी राज में 'ऑपरेशन क्लीन' के तहत तीन साल (20 मार्च 2017 से 10 जुलाई 2020) में कुल 6126 एनकाउंटर किये गये जिसमें 122 खूंखार अपराधी मारे गये। इनमें पांच लाख से लेकर पांच हजार के इनामी बदमाश शामिल थे। इस अभियान में 13 पुलिसकर्मी भी शहीद हुए। 13 हजार से अधिक अपराधी जेल में ठूंसे गये। जिस तरह से यूपी पुलिस ने मुठभेड़ में विकास दुबे को ढेर किया उसकी पूरे देश में चर्चा हुई। इन तथ्यों के आधार पर भाजपा का दावा है कि सीएम योगी ने उत्तर प्रदेश में गुंडाराज को खत्म कर दिया है। इसके अलावा सड़कछाप लफंगों को काबू में रखने के लिए सीएम योगी ने एंटी रोमियो स्क्वाड का गठन किया था। इन तमाम कोशिशों के बाद भी उत्तर प्रदेश में अपराध की समस्या बनी रही। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के 2020 के आंकड़े के मुताबिक उत्तर प्रदेश में हर दो घंटे में रेप का एक मामला दर्ज किया गया। 2018 में यहां रेप के 4322 मामले दर्ज किये गये थे। मतलब हर दिन करीब राज्य में करीब 12 रेप हो रहे थे। ऐसी स्थिति में कैसे कहा जा सकता है कि यूपी में गुंडा राज्य खत्म हो गया ? एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2016 की तुलना में 2018 में अपराध की दर 11 फीसदी बढ़ गयी थी। लेकिन योगी सरकार ने इन आंकड़ों को नकार दिया था।
पहले गुंडा टैक्स लगता था, अब नहीं !
योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को एक सामाजिक सम्मेलन में कहा, "2017 से पहले राज्य के व्यापारियों से गुंडा टैक्स वसूला जाता था। पेशेवर अपराधियों और माफिया समूहों ने आमलोगों की जीन हराम कर रखा था। हमारी सरकार ने अपराधियों पर काबू पाया। व्यापार के लिए बेहतर माहौल दिया। अगर सत्ता उनके हाथ (सपा, बसपा) में आएगी तो बेकसूर लोगों, व्यापारियों और सांभ्रांत लोगों के जीवन पर फिर खतरा मंडराने लगेगा। इसलिए हमारी (भाजपा) जरूरत है। अगर आप जातियों के आधार पर विभाजित होंगे तो अराजक तत्व फिर हावी हो जाएंगे। फिर कोई जाति सुरक्षित नहीं रह पाएगी।" जैसे बिहार में राजद के खिलाफ जंगलराज के मुद्दे को उछाला जाता है वैसे ही उत्तर प्रदेश में सपा- बसपा के खिलाफ जंगलराज के मुद्दे को उछाला जा रहा है। योगी आदित्यनाथ गुंडाराज का भय दिखा कर ही लोगों से भाजपा के लिए समर्थन मांग रहे हैं। उन्होंने डर है कि अगर जातीय विभाजन हुआ तो हिंदुत्व का 'कार्ड' बेअसर हो जाएगा। इसलिए वे हिफाजत के नाम पर सभी जातियों को एकजुट रहने की हिदायत दे रहे हैं। भाजपा पहले हिंदुत्व के नाम पर पिछड़ी जातियों को अपने साथ जोड़ती थी। अब 'गुंडाराज' के नाम जातीय गोलबंदी कर रही है।
योगी आदित्यनाथ के सामने कठिन चुनौतियां
जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर से पुलिस का मनोबल तो बढ़ा है लेकिन थानास्तर पर अभी भी भ्रष्टाचार कायम है। स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार से आम लोग परेशान हैं। लेकिन भाजपा योगी सरकार के कामकाज पर बुकलेट बांट कर यह संदेश दे रही है कि कैसे यूपी से गुंडाराज खत्म किया गया है। इस बुकलेट के मुताबिक माफिया तत्वों की 1866 करोड़ रुपये की वैध सम्पत्ति जब्त की गयी है। लेकिन इन सब के बावजूद सीएम योगी के सामने कई चुनौतियां मुंह बाये खड़ी हैं। बेरोजगारी, कानून व्यवस्था, कोरोना संकट और किसान आंदोलन ने योगी आदित्यनाथ की चुनावी राह को कठिन बना दिया है। उन्हें एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर से जूझना होगा। भाजपा अब योगी सरकार की कमियों पर पर्दा डालने के लिए जातीय समीकरण का सहारा ले रही है। योगी सरकार में 29 मंत्री ओबीसी वर्ग के हैं। इन सभी मंत्रियों को अपनी-अपनी जाति को साधने की जिम्मेदारी दी गयी है। भाजपा ने अन्य पिछड़े वर्ग और अत्यंत पिछड़े वर्ग की 22 जातियों पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रखा है। इनको अपने पाले में करने के लिए वह जिलास्तर पर सामाजिक सम्मेलन आयोजित कर रही है। ऐसे में सत्ता को बरकरार रखना, योगी आदित्यनाथ के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।