ना मनोज सिन्हा, ना आदित्यनाथ, इस खास वजह से केशव मौर्य बनेंगे सीएम
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लगातार इस बात के संकेत देते रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री साफ-सुथरी छवि का शख्स होगा जो प्रदेश से जुड़ा हो।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिले स्पष्ट जनाधार के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि आखिर प्रदेश की कमान किसे सौंपी जाएगी। बीजेपी में मुख्यमंत्री पद के कई दावेदारों के बीच केशव प्रसाद मौर्य का नाम सबसे आगे है। केशव प्रसाद मौर्य को मुख्यमंत्री बनाए जाने के पीछे सियासी गुणा-गणित का भी असर है। बीजेपी ने इसके पहले दूसरे राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी यही रणनीति अपनाई थी और नए चेहरे सामने लाए।
केशव प्रसाद का है बड़ा योगदान
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संघ से जुड़ाव और साफ छवि भी है एक वजह
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ओबीसी और ईबीसी वोट बैंक का असर
बीजेपी को प्रदेश में मिली ऐतिहासिक जीत के पीछे ओबीसी और ईबीसी वोटबैंक की भूमिका काफी है। बीजेपी ने शुरुआत से ही ओबीसी वोटबैंक पर निशाना लगाया था। केशव मौर्य खुद भी ओबीसी से आते हैं। चुनाव से ठीक पहले उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे यह भी एक वजह मानी जाती है। प्रदेश में बीजेपी के पिछले रिकॉर्ड को देखें तो पार्टी मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के समय में भी गैर-यादव ओबीसी और आर्थिक रूप से पिछड़ों (EBC) के लिए एकमात्र विकल्प बनकर उभरी थी। बीजेपी ने हालिया चुनाव में इस वोटबैंक पर सेंध लगाने के लिए पूरा जोर लगाया था। इससे केशव मौर्य की दावेदारी मजबूत है।
मनोज सिन्हा का भी नाम
बीजेपी में केशव प्रसाद मौर्य को मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है लेकिन और भी नेता हैं जो इस पद की रेस में हैं। इनमें सबसे पहला नाम आता है केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा का। पूर्वांचल से आने वाले सिन्हा के कामकाज की तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं और पूर्वांचल में उनका खासा प्रभाव रहा है। हालांकि बीजेपी फिर से एकजुट हुए अपने वोटबैंक को छिटकने से रोकने की वजह से सिन्हा को नजरअंदाज कर सकती है। वह संघ से जुड़े रहे हैं और कहा जाता है कि संघ की पैरवी पर ही उन्हें मंत्री बनाया गया था।
कट्टर हिंदू छवि वाले योगी आदित्यनाथ
बीजेपी के कद्दावर नेता और गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ के वर्चस्व से हर कोई वाकिफ है। यूपी चुनाव से पहले सिर्फ पूर्वांचल में सीमित रहे योगी को बीजेपी स्टार प्रचारक बनाया और उन्होंने पश्चिमी यूपी में पार्टी के लिए धुआंधार प्रचार किया। उन्होंने सबसे ज्यादा रैलियां कीं और वोट जुटाने की हर संभव कोशिश की है। बीजेपी जीतती है तो उसरा श्रेय योगी आदित्यनाथ को भी मिलेगा। वह बीजेपी से मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। चुनाव से पहले भी उन्हें सीएम उम्मीदवार घोषित करने की मांग उठी थी। हालांकि आदित्यनाथ ने खुद को सीएम पद की रेस से बाहर बताया है। उनकी कट्टर हिंदूवादी छवि को देखते हुए भी इस पद के लिए उनका दावा कामजोर माना जा रहा है।
बीजेपी के खास रणनीतिकार दिनेश शर्मा
लखनऊ के मेयर और बीजेपी नेता दिनेश शर्मा पार्टी के चुनिंदा चेहरों में शामिल हैं। दिनेश शर्मा को पार्टी ने लगातार बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी हैं। चाहे वह पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाना हो या फिर गुजरात का पार्टी प्रभारी चुनना। 2014 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय सदस्यता प्रभारी बनाया गया था। इस दौरान उन्होंने पार्टी के सदस्यता अभियान को गति दी और बीजेपी को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का दर्जा दिलाया। 2014 में राजनाथ सिंह को जब लखनऊ से उम्मीदवार बनाया गया तो दिनेश शर्मा ने अपनी दावेदारी वापस ले ली थी। पार्टी उन्हें इन सब कामों का इनाम दे सकती है।
श्रीकांत शर्मा भी बेदाग छवि के नेता
बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा को भी मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है। साफ छवि के श्रीकांत शर्मा ने पहली बार चुनाव लड़ा है। वृंदावन से चुनाव लड़ने वाले शर्मा को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और अरुण जेटली का करीबी होने का फायदा मिल सकता है। बीजेपी प्रदेश में ऐसा चेहरा चाहती है जो विवादों में न रहा हो, ऐसे में श्रीकांत शर्मा इसमें सबसे ज्यादा फिट हैं। इससे पहले बीजेपी ने पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे सर्बानंद सोनोवाल को असम का मुख्यमंत्री बनाया था।