यूपी चुनाव: जानिए कहां और क्यों ऊंट पर सवार होकर आया 60 साल का वोटर?
जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बुधवार को संगीनों के साए में जमकर मतदान हुआ। अर्ध सैनिक बलों की तैनाती से मतदान केन्द्रों तक मतदाता ही पहुंच पाए।
लखनऊ। जिले के नक्सल प्रभावित इलाके में मतदान के उत्साह का अजब गजब नजारा देखने को मिला। नक्सल गांव निकरिका के प्राथमिक विद्यालय पर बने बूथ पर वोट देने के लिए साठ साल के कल्लू ऊंट की सवारी करके पहुंच गए। उनको देखते ही कैमरा चौंका तो उन्होंने हाथ जोड़कर अभिवादन किया। उन्हें ऐसा लगा कि कोई अधिकारी उनकी फोटो खींच रहा है। बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बलों को खड़ा देखकर पहले तो उनको लगा कि ऊंट से मतदान केन्द्र के बाहर आकर उन्होंने गलती कर दी।
लेकिन जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उनका गांव बेदउर छह किमी दूर है। पैदल वहां से मतदान करने के लिए बूथ पर आना संभव नहीं था। इसलिए ऊंट पर सवार हो गए। उन्होंने यह भी बताया कि गांव के डेढ सौ लोगों के सामने दूरी का संकट है। कुछ पैदल तो कुछ साइकिल और बाइक से वोट देने पहुंच रहे हैं। अर्धसैनिक बलों ने मतदाताओं को लाइन में लगाकर एक-एक करके वोट डलवाया।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में संगीनों के साए में हुआ जमकर मतदान
जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बुधवार को संगीनों के साए में जमकर मतदान हुआ। अर्ध सैनिक बलों की तैनाती से मतदान केन्द्रों तक मतदाता ही पहुंच पाए। भीड़ जुटाकर चुनाव को प्रभावित करने वाले तत्वों की इस बार एक नहीं चल पायी। भीड़ लगने वार अर्धसैनिक बलों के साथ ही पुलिस फोर्स की ओर से लोगों को हटा दिया गया। सबसे अधिक नक्सल प्रभावित मड़िहान विधानसभा क्षेत्र के खोराडीह, निकरिका, दरवान, चौखड़ा, मड़िहान में सुबह से ही मतदान के लिए लाइन लगी रही। पढ़ें- यूपी विधानसभा चुनाव 2017: अखिलेश अगर हारे तो क्या होगा और जीते तो क्या?
न तो किसी को किसी का भय रहा ना ही किसी का वोट देने का दबाव ही चेहरे पर दिखा। युवाओं के साथ ही महिलाएं और बुजुर्ग भी वोट देने में पीछे नहीं रहे। जोनल और सेक्टर मजिस्ट्रेटों ने क्षेत्रों का भ्रमण करके जायजा लिया। इसी तरह अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी महिलाएं और युवा झुंड के झुंड बूथों तक पहुंच कर मतदान किए।
नक्सल प्रभावित भवानीपुर गांव में मतदान धीमा रहा
जिले में नक्सली घटनाओं को लेकर चर्चा में आए मड़िहान विधानसभा के भवानीपुर गांव में बुधवार को विधानसभा चुनाव के मतदान की प्रक्रिया धीमी रही। यहां पूरे दिन बूथ पर लाइन नहीं लगी। सुरक्षाकर्मियों ने बताया कि छिटपुट लोगों की आवाजाही हो रही है और लोग वोट दे रहे हैं। दरअसल वर्ष 2001 में होली के दिन दोपहर में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो गई थी। इसमें 16 लोग मारे गए थे।
इसमें एक 14 वर्ष का बालक भी शामिल रहा। पुलिस ने नक्सली मारे जाने का दावा किया था। सामाजिक संगठनों की ओर से इनकाउंटर बताया गया। इसकी जांच पड़ताल हुई लेकिन कुछ स्पष्ट रूप से सामने नहीं आ पाया। इसलिए यह गांव चुनावों में भी पुलिस और प्रशासन के निशाने पर होता है। गांव के प्राथमिक विद्यालय पर सुबह सवा दस बजे तक 646 में से मात्र 157 वोट पड़ सका था। न तो लाइन लगी थी ना ही लोग यहां आ जा रहे थे। पीठासीन अधिकारी ने भी स्वीकार किया कि मतदान प्रतिशत धीमा है।