मम्मी, अखिलेश 40 सीट देकर दबंग के सलमान की तरह कहते हैं प्यार से दे रहे हैं रख लो
मम्मी ले तो लें साइकिल पर लिफ्ट... लेकिन वो अखिलेश भैया तो हमें देखकर साईकिल में जोर-जोर से पैडल मार के निकल जाते हैं। हम रह जाते हैं हाथ हिलाते हुए...
नई दिल्ली। राहुल गांधी सोच रहे थे कि पंजाब में तो उनकी हालत ठीक-ठाक है और उत्तर प्रदेश में सपा के साथ आने से उनके हालात बदल जाएंगे। इससे आने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हालत में कुछ सुधार हो जाएगा। अब गठबंधन की उम्मीदों के साथ राहुल गांधी के सपने भी टूट रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में अखिलेश अपनी साइकिल पर राहुल को नहीं बैठा रहे हैं, इससे राहुल परेशान हैं। समझ में नहीं आ रहा अब यूपी चुनाव का क्या करें? परेशान राहुल अपने मोबाइल पर कभी ' क्या से क्या हो गया, बेवफा तेरे प्यार में...' तो कभी 'छन से जो टूटे कोई सपना' बजाते हैं और टीपू भैया को मन ही मन गरियाते हैं। ना जाने क्या सोचते हुए राहुल बाबा बुरा सा मुंह बनाकर घर से निकल रहे थे कि मम्मी सोनिया ने तलब कर लिया....
सोनिया- अरे राहुल...
राहुल- जी मम्मी!
सोनिया- बेटा, मैं अपनी खराब तबीयत की वजह से पार्टी से दूर रहती हूं लेकिन इससे मुझे कोई शिकायत नहीं है। दुख तबीयत का नहीं बल्कि इस बात का है कि तू मुझसे ना कोई सलाह लेता है और ना ही कोई बात बताता है। ऐसा क्यों..?
राहुल- मम्मी, दरअसल.. बात ये है कि मैं आजकल उत्तर प्रदेश के चुनाव में उलझा हुआ हूं तो इसलिए टाइम नहीं मिल पाता है। वो सब छोड़िए... आप बताइए क्या पूछना है आपको?
सोनिया- अरे छोड़ना नहीं है, यही तो पूछना है कि क्या चल रहा है चुनाव में? भई, मुझे कई शिकायतें हैं तुमसे।
राहुल- जी मम्मी, बताइए क्या शिकायत है?
सोनिया- पांच स्टेट में इलेक्शन है और हमारी क्या सिचुएशन क्या है, इसका कुछ अंदाजा ही नहीं हो पा रहा है।
राहुल- देखिए मम्मी, हम सब जगह अच्छा कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में तो मैं बहुत मेहनत कर रहा हूं।
सोनिया- यूपी से याद आया... मुलायम सिंह जी से गठबंधन का क्या हुआ?
राहुल- मम्मी, अब मुलायम सिंह का जमाना गया। सपा अब अखिलेश की पार्टी है और गठबंधन की बात चल रही है।
सोनिया- कहां बात चल रही है। प्रदेश की सारी सीटों पर तो सपा ने उम्मीदवार उतर दिए, फिर तुम मिलान से लड़ोगे या अपने मामा के गांव लुसियाना से?
राहुल- मम्मी अब आपसे क्या छुपाना... गठबंधन नहीं हो पा रहा है।
सोनिया- अकेले क्या कर पाओगे? अखिलेश की साइकिल पर लिफ्ट ले लो तो फायदे में रहोगे।
राहुल- मम्मी ले तो लें लिफ्ट... लेकिन ये अखिलेश तो हमें देखते ही साईकिल में जोर-जोर से पैडल मार के निकल जाता है। हम रह जाते हैं हाथ हिलाते हुए...
सोनिया- लेकिन गुलाम नबी आजाद साहब कह रहे थे कि सब फाइनल हो गया गठबंधन को लेकर। फिर आखिर मामला क्या है? साफ-साफ बताओ मुझे राहुल...
राहुल- मम्मी, दरअसल गलती मेरी ही है। सब ठीक चल रहा था.. पिता से परेशान अखिलेश को हमने हाथ दिया तो उन्होंने पकड़ भी लिया था। हमने तय कर लिया था कि साथ-साथ लड़ेंगे...
सोनिया- अरे बता ना फिर हुआ क्या?
राहुल-
मम्मी,
आप
तो
समझती
ही
हैं
कि...
''बंद
मुट्ठी
लाख
की
और
खुल
जाए
तो
खाक
की''
मैं
गया
था
एक
रैली
में..
लोगों
से
बात
करते-करते
मैंने
जेब
में
हाथ
डाला
तो
देखा
कि
जेब
में
तो
कुछ
है
ही
नहीं।
फिर
मैंने
फटी
जेब
पब्लिक
को
दिखा
दी।
ये
वीडियो
मीडिया
में
चली
तो
अखिलेश
तक
भी
पहुंच
गई।
सोनिया- हां तो बेटा.. इसमें परेशानी क्या है?
राहुल- मम्मी, वो हमें 90 से 100 सीटें देने की बात कह रहे थे लेकिन जैसे ही देखा कि हमारी जेब खाली है तो 40-45 सीट देने को कहने लगे। मैंने अखिलेश को फोन किया तो बोले कि खाली जेब कैसे चुनाव लड़ोगे? टीपू भैया हमसे बोले कि चुनाव में तो बहुत खर्चा होता है और तुम्हारी जेब के तो ओर-छोर का कुछ पता ही नहीं हैं। मम्मी... अखिलेश ने 40 सीटें देने की बात भी ऐसे की जैसे दंबग में सलमान खान सोनाक्षी को पैसे देता है... बोले, प्यार से दे रहे हैं रख लो, वर्ना इन पर भी अपने उम्मीदवार उतार देंगे।
सोनिया- इतनी ज्यादा बेइज्जती???
राहुल- हां मम्मी.. अब बताओ हम क्या करें?
सोनिया- वो अगर चुलबुल पांडे स्टाइल में बोले हैं तो कह दो तुम भी सोनाक्षी के स्टाइल में.. 'नहीं लेंगे हम गठबंधन में 40-45 सीट, हार जाएंगे तो क्या हुआ, हार से डर नहीं लगता अखिलेश बाबू, बेइज्जती से लगता है।' पार्टी कार्यकर्ताओं को कह दो राहुल, हम चुनाव अकेले लडेंगे।
राहुल- ठीक है मम्मी... और वैसे भी हमें अब कोई नहीं हरा सकता।
सोनिया- हरा क्यों नहीं सकता कोई हमें?
राहुल- मम्मी, अमेरिका में ट्रंप अकंल ने शपथ ली तो वो हाथ ऐसे कर रहे थे जैसे हमारा चुनाव प्रचार कर रहे हों। जब ट्रंप भी हमारी तरफ है तो हम कैसे हार सकते हैं.. बताओ ममा?
सोनिया- ओ माय गॉड....
राहुल- क्या हुआ.. सिर क्यों पीट रही हैं आप?
सोनिया- पार्टी को और तुमको देखकर राहुल, कुछ-कुछ होता है राहुल.. तुम नहीं समझोगे...
(यह एक व्यंग्य लेख है)
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