तो क्या RLD और समाजवादी पार्टी के बीच पड़ गई दरार ? जानिए क्यों लग रही अटकलें
लखनऊ, 21 सितंबर: उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी के बीच क्या सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। क्या आम चुनाव से पहले इन दोनों पार्टियों के बीच दरार पड़ गई है। इसकी अटकलें उस समय लगनी शुरू हो गईं थी जब रालोद के एक वरिष्ठ नेता यह बयान दिया था कि रालोद यूपी में नगर निकाय का चुनाव अकेले लड़ेगी। हालांकि बाद में यह मुद्दा शांत हो गया था लेकिन विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान रालोद और सपा में बढ़ती दूरियां सबको खटक रही हैं। हालांकि रालोद अपनी तरफ से सफाई दे रही है लेकिन विरोधी पार्टियां इसमें अपना सियासी फायदा तलाशने में जुट गई हैं।
सत्र के दौरान दोनों दिख रहे अलग थलग
राष्ट्रीय लोक दल ने मंगलवार को यूपी में मूल्य वृद्धि और अन्य सार्वजनिक मुद्दों के विरोध में विधानसभा भवन के बाहर प्रदर्शन किया था। इसमें सपा के विधायक शामिल नहीं थे। सपा के विधायकों की अनुपस्थिति के बाद गठबंधन में दरार की अटकलों को हालांकि रालोद ने खारिज कर दिया। रालोद के नेताओं का दावा है कि दोनों पार्टियों के बीच दरार की अफवाह फैलाना बीजेपी की चाल थी। दोनों पार्टियों ने मानसून सत्र के पहले दिन सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था। हमारा कार्यक्रम सपा से पहले तय था इसलिए हमारे विधायक सपा के विरोध में हिस्सा नहीं ले सके।
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने मतभेद की खबरों का किया खंडन
रालोद के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने कहा कि रालोद विधायकों ने विधान भवन में किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के सामने धरना दिया। कहा, "हमने यूपी सरकार की जनता विरोधी, किसान विरोधी, मजदूर विरोधी नीतियों और अन्य मुद्दों का विरोध किया। लोकतंत्र में, कभी-कभी विपक्ष में राजनीतिक दल सरकार के खिलाफ इस तरह से विरोध करते हैं जो उनके संबंधित प्रमुखों द्वारा तय किया जाता है और इसे उनके बीच दरार के निशान के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि वे सभी एक ही पृष्ठ पर हैं जब इसे उजागर करने की बात आती है।''
रालोद ने मतभेदों को अफवाह बताया
राय ने रालोद और सपा के बीच मतभेदों की खबरों को अफवाह करार दिया और कहा, "हमने भाजपा सरकार की जनता विरोधी और किसान विरोधी नीतियों के लिए विरोध किया। सपा का मौन प्रदर्शन उनकी योजना का हिस्सा था जो सफल रहा। इसका मतलब यह नहीं है कि हम (रालोद और सपा) में मतभेद हो गए हैं। जब लोगों के मुद्दों पर भाजपा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की बात आती है तो हम हमेशा उनके साथ होते हैं।"
सूत्रों ने कहा कि सपा की विरोध योजना एक निजी मामला था और रालोद नेताओं को इसके बारे में तभी पता चला जब सपा प्रमुख ने इसकी अगुवाई की। रालोद के एक नेता ने कहा, "हमें विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए नहीं कहा गया था। अगर कहा गया होता तो रालोद के आठ में से सात विधायक भी वहां होते।"
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