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निकाय चुनाव में बीजेपी के लिए पहाड़ साबित होगा प्रतापगढ़, राजा भैया समेत कई चुनौती

ऐसे में रजवाड़ों की धरती यानी प्रतापगढ़ जिले में बीजेपी की रणनीति पर सबकी नजर है। यहां के हर इलाके में आज भी कुछ नाम गूंजते हैं और उनकी तूती बोलती है।

By Gaurav Dwivedi
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इलाहाबाद। भारतीय जनता पार्टी के लिए यूपी के हर जिलों की अपेक्षा प्रतापगढ़ की राह सबसे मुश्किल है। यहां जीत की राह में पत्थर नहीं पहाड़ है, जिसे तोड़ना लगभग नामुमकिन सा है। ये बात बीजेपी खुद जानती है और विधानसभा चुनाव में परिणाम और प्रमाण दोनों देख चुकी है। ऐसे में रजवाड़ों की धरती यानी प्रतापगढ़ जिले में बीजेपी की रणनीति पर सबकी नजर है। यहां के हर इलाके में आज भी कुछ नाम गूंजते हैं और उनकी तूती बोलती है। राजा भैया, प्रमोद तिवारी, मोना सिंह, राजकुमारी रत्ना सिंह, अक्षय प्रताप, कुंवर हरिवंश प्रताप जैसे नाम के आगे बीजेपी के बड़े-बड़े चेहरे कई चुनाव में बौने साबित हुए हैं। ऐसे में साफ है बीजेपी की प्रतापगढ़ में राह आसान नहीं है।

राजा भैया जीत का दूसरा नाम

राजा भैया जीत का दूसरा नाम

प्रतापगढ़ का सबसे कद्दावर नाम है भदरी युवराज रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का। कुंडा के बाहुबली विधायक राजा भैया का राजनीतिक इतिहास स्वर्ण अक्षरों से लिखा है। ये ना कभी चुनाव हारते हैं और ना ही उनके समर्थन में लड़ने वाला सख्श ही चुनाव हारता है। राजा भैया का एक पूरा बड़ा इलाका है। जहां राजा ने जिसे आशीर्वाद दिया उसकी ही विजय होती है। ऐसे में बीजेपी के लिए प्रतापगढ़ के कुंडा इलाके में बगैर राजा भैया के सपोर्ट के सीट जीतना लोहे के चने चबाने जैसा है। हालांकि चुनावी समीकरण कहते हैं कि राजा भैया का लगाव सपा से कम हुआ है और भाजपा से कहीं ना कहीं उनकी नजदीकी बढ़ी है लेकिन ये सिर्फ कयास ही साबित हो सकता है। क्योंकि सीएम योगी के साथ सिर्फ एक बार मंच साझा करने के बाद दुबारा राजा भैया कभी बीजेपी के मंच पर नजर नहीं आए। सबसे बड़ी बात की अभी हाल में ही राजा भैया के पिता को योगी सरकार ने किले में नजरबंद रखा था। ऐसे में इस बात की कहीं ना कहीं टीस तो क्षत्रिय खून में उबल ले ही रही होगी।

प्रमोद तिवारी नाम ही काफी है

प्रमोद तिवारी नाम ही काफी है

प्रतापगढ़ को वर्तमान परिदृश्य में पहचान दिलाने वाली एक बड़ी शख्सियत का नाम है प्रमोद तिवारी। कांग्रेस के इस दिग्गज नेता ने राज्यसभा सदस्य के साथ नेता प्रतिपक्ष जैसी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इनका भी राजनीतिक जीत का स्वर्णिम युग रहा है। ये भी लगातार चुनाव जीतते रहे और जिसे चाहा उसे चुनावी विजय दिलाई। बीते विधानसभा चुनाव रहे हों या लोकसभा हमेशा प्रमोद तिवारी का दम चुनाव में हार-जीत तय करता है। अपने जमीनी काम के लिए मशहूर प्रमोद की इलाके के घर-घर में पूजा की जाती रही है। गांव-गाव में पक्की सड़क, बिजली पहुंचाकर बेल्हा के दिल में उतरे प्रमोद निश्चित तौर पर बीजेपी की प्रतापगढ़ में राह मुश्किल करेंगे।

ये नाम भी मोड़ते हैं दिशा

ये नाम भी मोड़ते हैं दिशा

प्रतापगढ़ की राजनीति को दिशा देने वाले कुछ और बड़े नाम हैं जिनसे भाजपा को पार पाना मुश्किल है। दूसरे शब्दों मे कहें तो इन नामों को हराकर या साथ लेकर ही भाजपा जीत सकती है। जैसे कालाकांकर रियासत की वंशज राजकुमारी रत्ना सिंह, यह महिला सांसदों में सबसे अमीर सांसदों की सूची में पहले स्थान पर रह चुकी हैं। अक्षय प्रताप सिंह, राजा भैया के चचेरे भाई और प्रतापगढ़ में अपनी हनक के लिये जाने जाते हैं। सांसद भी रह चुके हैं। मोना सिंह, प्रमोद तिवारी की बेटी और मौजूदा रामपुर खास की विधायक। यह न सिर्फ भाजपा प्रत्याशी पर हावी रहती हैं बल्कि भाजपा से छोटी सीट छीनने में एक्सपर्ट हैं।

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English summary
Raja Bhaiya including many challenges for BJP in Municipal Corporation Election, Pratapgarh
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