UPPSC: PCS-2017 की कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की सबसे खास व प्रदेश की सबसे बड़ी भर्ती पीसीएस (2017) को लेकर नए-नए घटनाक्रम जुड़ते चले जा रहे हैं। नई कड़ी में अब पीसीएस 2017 की भर्ती में सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की विशेष याचिका पर सुनवाई करते हुए पीसीएस 2017 की कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को फिलहाल स्थगित कर दिया है, जिसमें हाईकोर्ट ने आयोग को यह निर्देश दिया था कि वह पीसीएस 2017 की उत्तर पुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन करे और एक प्रश्न को डिलीट व दो सवालों का जवाब संशोधित करने के बाद ही संशोधित परिणाम जारी करें। याद दिला दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही पीसीएस 2017 की मेंस परीक्षा को स्थगित कर दिया गया है और प्रतियोगी मेंस की तिथियों का इंतजार कर रहे हैं।
छात्रों
को
झटका
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
द्वारा
पीसीएस
प्री-2017
की
उत्तर
पुस्तिकाओं
के
पुनर्मूल्यांकन
का
जब
आदेश
आया
तो
यह
तय
था
कि
इस
परीक्षा
में
अब
पास
होने
वाले
छात्रों
की
संख्या
बढेगी।
लेकिन,
आयोग
ने
बड़ी
खामोशी
के
साथ
हाईकोर्ट
के
फैसले
को
सुप्रीम
कोर्ट
में
चैलेंज
किया।
जिस
पर
सुप्रीम
कोर्ट
ने
सुनवाई
करते
हुए
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
के
पुनर्मूल्यांकन
वाले
फैसले
पर
रोक
लगा
दी।
फिलहाल
सुप्रीम
कोर्ट
ने
अभ्यार्थियों
को
तगड़ा
झटका
देते
हुए
उन
छात्रों
को
नोटिस
भी
जारी
किया
है
जिनकी
याचिकाओं
पर
हाईकोर्ट
ने
30
मार्च
को
पुनर्मूल्यांकन
वाला
आदेश
दिया
था।
क्या
है
मामला
उत्तर
प्रदेश
लोक
सेवा
आयोग
ने
677
पदों
वाली
पीसीएस
2017
की
प्रारंभिक
परीक्षा
पिछले
साल
24
सितंबर
को
कराई
थी
और
17
नवंबर
को
उत्तर
कुंजी
जारी
की
थी।
इसके
बाद
आयोग
ने
दो
उत्तर
कुंजी
जारी
की
और
कुल
10
विवादित
प्रश्न
अपनी
ओर
से
हटाये,
लेकिन
विवाद
खत्म
नहीं
हुआ।
प्रतियोगियों
ने
हाईकोर्ट
में
प्रश्न
व
उत्तर
कुंजी
को
चैलेंज
कर
आयोग
को
कोर्ट
घसीटा
तो
मामला
खिंचता
गया।
इसमे
हाईकोर्ट
ने
प्रश्न
पत्र
में
गड़बड़ी
को
देखते
हुए
छात्रों
के
पक्ष
में
फैसला
सुनाया
और
पुनर्मूल्यांकन
का
आदेश
दिया।
हाईकोर्ट
ने
कहा
कि
विवादित
एक
प्रश्न
डिलीट
कर
व
दो
प्रश्न
के
जवाब
को
संशोधित
किया
जाए
और
फिर
उस
अनुक्रम
में
संशोधित
परिणाम
जारी
हो।
हाईकोर्ट
इसी
आदेश
पर
अब
सर्वोच्च
न्यायालय
ने
रोक
लगा
दी
है।
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