अयोध्या में राम लला के मंदिर निर्माण के लिए जमीन देने वाले नागा बाबा का निधन
अयोध्या। गोपालगंज जिले के बेलवनवा स्थित हनुमान मंदिर के संस्थापक और अयोध्या में बड़े हनुमान मंदिर के महंत श्री रामाश्रय दास उर्फ नागा बाबा नहीं रहे। शुक्रवार को सुबह अयोध्या में उनका निधन हो गया। 101 वर्षीय नागा बाबा कुछ समय से बीमार चल रहे थे। अयोध्या के निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उनके निधन की जानकारी मिलते ही बेलवनवा तथा आसपास के इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए काफी संख्या में उनके भक्त अयोध्या के लिए रवाना हो गए।
अयोध्या में मंदिर आंदोलन शुरू होने के बाद राममंदिर के निर्माण के लिए नागा बाबा ने अपने मंदिर की डेढ़ एकड़ भूमि राम मंदिर न्यास को दान कर दी थी। नारायणपुर गांव निवासी जगदेव मिश्र के पुत्र रामाश्रय दास का जन्म 1917 में हुआ था। बचपन से ही आध्यात्म और धर्म में उनकी गहरी रुचि थी। अभाव में अपना बचपन गुजारने वाले रामाश्रय दास 12 वर्ष की उम्र में ही अयोध्या के संत सीताराम दास से दीक्षित होकर उनके साथ चले गए।
अयोध्या में उन्होंने धार्मिक शिक्षा ग्रहण की। 25 वर्ष की उम्र में उन्हें पांच एकड़ में फैले बड़े हनुमान मंदिर, अयोध्या का महंत घोषित किया गया। अयोध्या में मंदिर के महंत होने के बाद भी उनका जन्मभूमि से लेकर लगाव बना रहा। 70 के दशक के अंत मे उन्होंने गोपालगंज जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर उत्तर एनएच 28 के किनारे बेलवनवा गांव के पास एक भव्य हनुमान मंदिर की नींव रखी। जनसहयोग से बाबा ने इस मंदिर को 100 फीट ऊंचा भव्य रूप दिया।
कुचायकोट प्रखंड के नारायणपुर गांव निवासी जगदेव मिश्रा के पुत्र रामाश्रय दास का जन्म सन 1917 में हुआ था। बचपन से ही अध्यात्म और धर्म में उनकी गहरी रुचि थी । बेहद अभाव में अपना बचपन गुजारने वाले रामाश्रय दास 12 वर्ष की उम्र में ही अयोध्या के एक संत सीताराम दास से दीक्षित होकर उनके साथ अयोध्या चले गए । वही धार्मिक शिक्षा ग्रहण की।
25 वर्ष की उम्र में उन्हे पांच एकड़ में फैले बड़े हनुमान मंदिर अयोध्या का महंथ घोषित किया गया। अयोध्या में मंदिर के महंत होने के बाद भी उनका अपने जन्मभूमि को लेकर लगाव बना रहा । इसी लगाव के चलते सत्तर के दशक के अंत मे उन्होंने गोपालगंज जिला मुख्यालय से 15 किमी उत्तर एनएच 28 के किनारे बेलवनवा गांव के पास एक भव्य हनुमान मंदिर की नींव रखी। जनसहयोग से नागा बाबा ने इस मंदिर को सौ फीट ऊंचा भव्य रूप दिया । इस मंदिर को एक पर्यटक स्थल के रुप में विकसित करने की प्रक्रिया आज भी जारी है। अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन शुरू होने के बाद राममंदिर के निर्माण के लिए नागा बाबा ने अपने मंदिर की डेढ़ एकड़ भूमि राम मंदिर न्याय को दान कर दी।