'या तो मेरा इलाज करा दो या मरने की इजाजत दे दो' मां-बेटी ने सरकार से लगाई गुहार
कानपुरः अनामिका मिश्रा और उनकी मां शशि मिश्रा ने कानपुर में भूख हड़ताल शुरू कर दी है, ये दोनों मस्तिष्क डिस्ट्रोफी की मरीज हैं। मां-बेटी से मेडिकल हेल्थ के लिए सरकार से मदद मांगी। कुछ समय पहले दोनों ने सरकार को खत्त लिखा था लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
अनामिका मिश्रा ने कहा कि मैंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश को खत्त लिखा है। अनामिका ने कहा है कि ''या तो उन्होंने मेडिकल मदद दी जाए या उन्हें मरने की इजाजत दी जाए। मैं इस भूख हड़ताल को तब तक जारी रखूंगी जब तक कि मुझे अधिकारियों से उचित प्रतिक्रिया नहीं मिलती।'
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इच्छामृत्यु के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सम्मान के साथ मरने का अधिकार भी मौलिक अधिकार के तहत आता है। पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने अपना फैसला सुनाने के दौरान अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि व्यक्ति को सम्मान के साथ बिना पीड़ा के मरने का मौलिक अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा कर रहे थे। इस दौरान जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि इच्छामृत्यु की मरीज को इजाजत होगी अगर वह इस बात से इनकार कर देता है कि वह कृतिम सपोर्ट सिस्टम पर नहीं जीना चाहता है। अगर मरीज को सही करने का कोई विकल्प नहीं है तो उसे उसकी इच्छा के बगैर कृतिम सपोर्ट सिस्टम पर जिंदा रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।
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