'अच्छा ही हुआ योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या से चुनाव नहीं लड़ा', राम मंदिर के मुख्य पुजारी ने ऐसा क्यों कहा? जानिए
अयोध्या, 24 जनवरी: यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए गोरखपुर सीट तय होने तक उनके अयोध्या से चुनाव लड़ने की खूब चर्चा हो रही थी। लेकिन, सोमवार को अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य पुजारी ने कहा है कि अच्छा ही हुआ कि वो गोरखपुर से चुनाव लड़ रहे हैं, अगर अयोध्या से चुनाव लड़ते तो उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ता। आचार्य सत्येंद्रनाथ दास ने कहा है कि उन्हें मुख्यमंत्री को इस तरह की सलाह देने की प्रेरणा राम लला से मिली थी और बेहतर हुआ कि वे गोरखपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने इसपर भी बात की है कि अगर बीजेपी उन्हें अयोध्या से ही टिकट देती तो परिणाम कैसा हो सकता था ?
'राम लला से पूछने के बाद दी थी सलाह'
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्रनाथ दास ने कहा है कि यह अच्छा है कि सीएम योगी आदित्यनाथ अयोध्या विधानसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, क्योंकि यहां उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ता। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने ऐसी सलाह क्यों दी कि मुख्यमंत्री को अयोध्या से चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सलाह उन्होंने 'राम लला से पूछने के बाद' दी थी। दास का कहना है कि उन्होंने सुझाया था कि आदित्यनाथ को गोरखपुर से चुनाव लड़ना चाहिए, क्योंकि अयोध्या में राम मंदिर से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के निर्माण की वजह से जिन लोगों के घर और दुकानें टूटे हैं, वह उनका विरोध कर रहे हैं।
'अच्छा है कि मुख्यमंत्री यहां से चुनाव नहीं लड़ रहे'
84 साल के पुजारी ने कहा कि यहां के संतों की राय बंटी हुई है और जिनके घर और दुकानें तोड़ी गई हैं, वो उनके खिलाफ हैं। उन्होंने कहा, 'यह अच्छा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। मैंने पहले ही इसका सुझाव दिया था और सलाह दी थी कि बेहतर होगा कि वे गोरखपुर की किसी सीट से लड़ें।' दास राम लला के अस्थाई मंदिर के मुख्य पुजारी हैं, जिसके बदले में भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। उन्होंने कहा है, 'मैं राम लला से पूछकर बोलता हूं। मैंने राम लला की प्रेरणा से बात की थी।' उन्होंने यह भी कहा है कि 'सभी कह रहे हैं कि यह उन्हीं का काम है। यहां ये विरोध है। मैंने कहा कि बेहतर है कि वे वहां (गोरखपुर) जाएं।'
अगर सीएम योगी अयोध्या से ही लड़ते तो क्या होता ?
अगर विरोध के बावजूद भी सीएम योगी अयोध्या से ही चुनाव लड़ते तो क्या हो सकता था। इसके बारे में दास ने कहा है कि 'वे यहां से जीत तो जाते, लेकिन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता था।' दरअसल, इस बात को लेकर राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा हो रही थी कि मुख्यमंत्री अयोध्या से ही चुनावी भाग्य आजमा सकते हैं, लेकिन बीजेपी नेतृत्व ने उन्हें गोरखपुर सदर सीट से ही चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया। दास ने यह भी कहा कि सत्ताधारी बीजेपी के एजेंडे में राम मंदिर का मुद्दा जरूर रहेगा और यह नहीं जाने वाला। उन्हें सिर्फ यही उम्मीद है कि वह अपने जीवन में राम मंदिर के निर्माण का काम पूरा होते देख लें। उन्होंने कहा कि 'देखिए कि निर्माण को पूर्ण होने में कितने दिन लगते हैं। मेरे साथ जो भी लोग थे उनमें से अधिकतर तो जा (निधन हो चुका है) चुके हैं।' वह अपने जीते जी यहीं पर सेवा करना चाहते हैं।
उस दिन राम जन्मभूमि पर क्या हुआ था ?
आचार्य सत्येंद्रनाथ दास का कहना है कि 1992 में उनकी नियुक्ति राम लला के अस्थाई मंदिर में हुई थी। जब उनसे उस साल 6 दिसंबर की घटना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 'मैं यहीं था। यह मेरे सामने हुआ था। मैं इसका गवाह था। तीन गुंबदों में से उत्तर और दक्षिण गुंबदों को कार सेवकों ने गिराया था। मैंने राम लला को उनके सिंहासन के साथ अपने हाथों में ले लिया था।' उनके मुताबिक, '5 बजे शाम तक विध्वंस पूरा हो चुका था। बाद में कार सेवकों ने एक टेंट तैयार किया और स्थान को समतल किया, फिर 7 बजे शाम तक मैंने राम लला को वहां विराजमान कर दिया। '
27 फरवरी को है अयोध्या में वोटिंग
उन्होंने कहा कि अभी तक समाजवादी पार्टी के नेता पवन पांडे की पत्नी उनसे आशीर्वाद लेने आई हैं। उनके मुताबिक वह सपा के मजबूत उम्मीदवार हैं। पांडे 2012 में अयोध्या से जीते थे और अखिलेश सरकार में मंत्री बने थे। लेकिन, उन्हें लगता है कि जैसे-जैसे नाम तय हो जाएंगे, चुनाव में गर्मी आ जाएगी। लेकिन, 2017 में अयोध्या सीट से बीजेपी के वेद प्रकाश गुप्ता को जीत मिली थी। इस समय अयोध्या जिले की पांचों सीटें- अयोध्या, बीकापुर,रुदौली, गोसाईगंज और मिल्कीपुर पर बीजेपी का कब्जा है। अयोध्या में पांचवें चरण में 27 फरवरी को वोटिंग होनी है।