तीन चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल करने, गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाने से क्या बदलेगा पश्चिम का समीकरण ?
लखनऊ, 27 सितंबर: उत्तर प्रदेश में सात महीने पहले होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही योगी आदित्यनाथ ने किसानों का गुस्सा शांत करने और पश्चिमी यूपी में जातीय संतुलन साधने की दोहरी कवायद की है। योगी ने रविवार को एक साथ दो मास्टर स्ट्रोक खेला। किसान सम्मेलन को संबोधित करने हुए जहां उन्होंने गन्ने के एसएपी में 25 रुपए प्रति क्विंटल का इजाफा करने का ऐलान किया वहीं दूसरी ओर कैबिनेट के विस्तार में पश्चिमी यूपी से तीन मंत्रियों को शामिल कर वहां छोटी-छोटी जातियों को साधने की भी कोशिश की है। हालांकि बीजेपी के सांसद वरूण गांधी ने ही यह कहकर बीजेपी की परेशानी बढ़ा दी है कि गन्ने का समर्थन मूल्य 400 रुपए तक किया जाना चाहिए।
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को गन्ने के राज्य प्रशासित मूल्य (एसएपी) में 25 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की घोषणा की, जिससे संशोधित मूल्य 350 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। मुख्यमंत्री ने लखनऊ में आयोजित किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसानों के लंबित बिजली बिलों पर ब्याज माफ करने की भी घोषणा की।
यह घोषणा करते हुए कि 2021-22 गन्ना पेराई सत्र से बढ़ोतरी लागू होगी, आदित्यनाथ ने कहा, "गन्ना की शुरुआती किस्म का खरीद मूल्य 325 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 350 रुपये प्रति क्विंटल किया जाएगा। सामान्य किस्म के लिए एसएपी इसे पहले के 315 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 340 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। 2007-2012 की बसपा सरकार के दौरान, गन्ने के लिए एसएपी को सामान्य के लिए 125 रुपये प्रति क्विंटल और जल्दी पकने वाली किस्मों के लिए 130 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2011-12 के पेराई सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में 240-250 रुपये प्रति क्विंटल किया गया था। , 115-120 रुपये प्रति क्विंटल की समग्र वृद्धि को चिह्नित करते हुए।
मुजफ्फरनगर में पांच सितंबर को हुई थी किसान महापंचात
टिकैत ने यूपी और पड़ोसी राज्यों के किसानों की मेगा रैली में कहा था कि, "फसलों के दाम नहीं, वोट नहीं" (फसलों का उचित मूल्य नहीं, वोट नहीं) का नारा लगाना होगा। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) द्वारा मुजफ्फरनगर के सरकारी इंटर कॉलेज मैदान में केंद्र के विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में महापंचायत का आयोजन किया गया था। इस बीच, गन्ने के खरीद मूल्य में वृद्धि पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय सचिव, अनिल दुबे ने कहा कि गन्ने के खरीद मूल्य में 25 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि किसानों के साथ अन्याय है, और मांग की कि कीमत कम से कम 450 रुपये प्रति क्विंटल तय की जाए।
यूपी
में
चुनाव
से
पहले
गन्ना
मूल्य
की
क्या
है
अहमियत
गन्ना
उत्तर
प्रदेश
में
किसानों
के
लिए
आय
का
एक
प्रमुख
स्रोत
है
और
देरी
से
भुगतान
और
स्थिर
राज्य
मूल्य
के
मुद्दे
ने
किसानों
में
बहुत
गुस्सा
पैदा
किया
था,
जिनमें
से
कई
मोदी
सरकार
द्वारा
पारित
तीन
कृषि
कानूनों
का
विरोध
भी
कर
रहे
थे।
यूपी
में
किसानों
के
विरोध
का
चेहरा
बने
भारतीय
किसान
यूनियन
(बीकेयू)
के
नेता
राकेश
टिकैत
ने
पिछले
साल
नवंबर
में
मुख्यमंत्री
योगी
आदित्यनाथ
से
मुलाकात
की
थी
और
एसएपी
को
325
रुपये
से
बढ़ाकर
400
रुपये
करने
की
मांग
की
थी।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि,
"टिकैत ने गन्ने की कीमत की मांग और किसानों की समस्याओं को सरकार के तीन कृषि कानूनों से बड़ी चतुराई से जोड़ा था लेकिन पहले एफआरपी में वृद्धि और एसएपी में वृद्धि के साथ किसानों को काफी राहत मिलेगी। अब विपक्ष ज्यादा दिन तक इसको आगे नहीं बढ़ा पाएगा। किसानों की लंबे समय से यही मांग थी कि गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह फैसला लेकर यह साबित कर दिया है कि किसान हमेशा ही सरकार के एजेंडे में था।''
मंत्रिमंडल विस्तार में योगी ने साधा जातीय समीकरण
- छत्रपाल गंगवार (65) राज्य मंत्री को नई टीम में जगह मिली है। दरअसल एक ओबीसी नेता, आरएसएस के पूर्व प्रचारक छत्रपाल गंगवार, जो स्कूल प्रिंसिपल के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे। 2017 में बरेली लोकसभा सीट के बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र में बसपा उम्मीदवार को हराकर विधायक बने। ओबीसी की कुर्मी उप-जाति का प्रतिनिधित्व करते हुए, उनके शामिल होने को पार्टी द्वारा संतुलन बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। एक प्रमुख कुर्मी नेता संतोष गंगवार, बरेली से लोकसभा सांसद, ने हाल ही में केंद्रीय मंत्री के रूप में इस्तीफा दे दिया था। ऐसा माना जा रहा है कि उनकी कमी को भरने के लिए ही गंगवार को आगे लाने का प्रयास किया गया है।
- धर्मवीर प्रजापति (54) राज्य मंत्री के तौर पर विस्तार में शपथ दिलाई गई। आगरा के इस बीजेपी एमएलसी, मूल रूप से पश्चिमी यूपी के हाथरस के रहने वाले हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत आरएसएस के स्वयंसेवक (पूर्णकालिक) के रूप में की थी। सरकार ने कारीगरों को बढ़ावा देने के लिए बनाए गए माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष को जनवरी में एमएलसी बनाया था। मृदुभाषी, यह भाजपा नेता पहले भाजपा के ओबीसी प्रकोष्ठ के महासचिव रह चुके हैं और दो बार यूपी भाजपा की स्थापना में सचिव के रूप में कार्य कर चुके हैं। उनकी नियुक्ति दलित बहुल आगरा बेल्ट पर पार्टी के फोकस को दर्शाती है। पिछले दीपोत्सव समारोहों के दौरान, प्रजापति राज्य भर से मिट्टी के कारीगरों को दिवाली पर अयोध्या में जलाने के लिए मिट्टी के दीये बनाने के लिए काफी सक्रिय थे।
- मेरठ के रहने वाले दिनेश खटीक (44) राज्य मंत्री के तौर पर मंत्रीमंडल में शामिल किया गया है। मेरठ के हस्तिनापुर विधानसभा क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के खिलाफ जीत हासिल करने वाले दिनेश पहली बार भाजपा से विधायक बने। दरअसल दिनेश भी आरएसएस से जुड़े रहे हैं और लंबे समय से भाजपा से जुड़ाव रहा है। उनके पिता भी आरएसएस के साथ थे जबकि उनके भाई जिला पंचायत के सदस्य रहे हैं। दिनेश राजनीति के अलावा ईंट भट्ठा भी चलाते हैं और मेरठ के गंगानगर में रहते हैं। इनको लेकर भाजपा ने पश्चिम में खटीक समाज को प्रतिनिधित्व देने का काम किया है।
वहीं , उत्तर प्रदेश कांग्रेस के डिजिटल मीडिया संयोजक और प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने भाजपा के किसान सम्मेलन पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि,
''सत्ता में आते ही सभी काम किसान विरोधी करने वाली भाजपा किसान सम्मेलन कर चिढ़ाने का काम कर रही है। 9 महीने से दिल्ली की सीमा पर किसान विरोधी काले कानूनों के खिलाफ अन्नदाता प्रदर्शन कर रहा है, गन्ना किसान का 18000 करोड़ रुपया अकेले उत्तर प्रदेश में बकाया है। न जाने कितने गन्ना किसानों ने अपना भुगतान न होने पर आत्महत्या कर ली। कर्जमाफी के नाम पर 2 रुपये-3 रुपये माफ कर मजाक बनाया गया। दो गुनी आय का वादा किर झूठ बोला गया। महंगाई के कारण फसल की लागत बढ़ती चली गई लेकिन किसान को बढ़ी लागत के अनुपात में MSPनहीं बढ़ी है। सरकार केवल किसानों को चिढ़ाने के अलावा कुछ नहीं कर रही है।''