उत्तर प्रदेश न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

बेबी रानी मौर्य 'जाटव' मिशन में सफल हुईं, तो मायावती का क्या होगा ? 20 वर्ष के आंकड़ों से समझिए

Google Oneindia News

लखनऊ, 18 नवंबर: उत्तराखंड की पूर्व गवर्नर बेबी रानी मौर्य अब बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने के नाते उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की जमीन मजबूत करने में लगी हुई हैं। वह जिले-जिले घूमकर मुख्य तौर पर दलितों के बीच पार्टी और सरकार के कार्यों को पहुंचा रही हैं। उनका चुनावी मिशन सिर्फ 2022 के लिए ही नहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव के हिसाब से भी बहुत ही महत्वपूर्ण है। उन्हें बीएसपी के कोर वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए राजभवन से सीधे यूपी के गांवों और दलित बस्तियों में उतारा गया है। बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती की राजनीतिक ताकत उनके जाटव वोट बैंक में है और बेबी रानी मौर्य भी उसी समाज से हैं।

मायावती के मुकाबले बीजेपी ने किया है लॉन्च

मायावती के मुकाबले बीजेपी ने किया है लॉन्च

उत्तराखंड की राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर बेबी रानी मौर्य जब उत्तर प्रदेश पहुंचीं, तभी यह साफ हो गया था कि भारतीय जनता पार्टी ने उनके लिए कुछ बड़ा सोच रखा है। जल्दी ही यह बात भी सामने आ गई कि पार्टी बहन जी के वोटरों पर नजरें डाल चुकी है। 19 अक्टूबर को मौर्य मेरठ में भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा कार्यकर्ताओं के एक कार्यक्रम में पहुंचीं तो मंच पर जो बैनर लगाया गया था, उसमें उनके नाम के साथ 'जाटव' भी जुड़ चुका था। इसके बाद तो यह सिलसिला ही चल पड़ा। उत्तर प्रदेश में जाटवों की आबादी 10% है, जो लगभग तीन दशकों से बहुजन समाज पार्टी के कोर वोटर माने जाते रहे हैं। यानी बीजेपी ने मायावती के मुकाबले में उत्तराखंड की पूर्व गवर्नर को अपने जाटव चेहरे के तौर पर लॉन्च किया है।

बेबी रानी मौर्य का 'जाटव' मिशन

बेबी रानी मौर्य का 'जाटव' मिशन

गवर्नर जैसा 'लाट साहब' वाला पद छोड़कर बेबी रानी उत्तर प्रदेश चुनाव में बीजेपी की जमीन मजबूत करने के लिए आई हैं तो निश्चित है कि उनकी जिम्मेदारी बहुत बड़ी है। दरअसल, भाजपा यूपी में उनके जरिए 50% जाटव वोट अपने पाले में करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। मतलब उसकी रणनीति इनके दम पर 5% वोट शेयर बढ़ाने की है। पार्टी के रणनीतिकार यह मानकर चल रहे हैं कि बहन जी की राजनीतिक जमीन कमजोर हुई है, इसलिए उसके पास इस वोट बैंक को अपने पाले में करने का बहुत बड़ा मौका है। पार्टी नेताओं को लगता है कि यूपी में जाटव वोट किसी भी कीमत पर समाजवादी पार्टी को नहीं जा सकता। 2019 के लोकसभा चुनाव में खुद सपा नेताओं ने भी बहन जी पर अपना वोट ट्रांसफर नहीं करवा पाने का आरोप लगाया था।

कम से कम आधे जाटव वोट मिलने का भरोसा

कम से कम आधे जाटव वोट मिलने का भरोसा

देहरादून से आने के बाद मौर्य प्रदेश में 6 इलाकों में बैठकें कर चुकी हैं और अभी राज्य के हर जिले का दौरे कर रही हैं। जाटव वोट को लेकर बीजेपी के टारगेट के बारे में उन्होंने इकोनॉमिक टाइम्स से कहा है, 'मैं नहीं कह रही हूं कि हमें 100% मिल जाएंगे, लेकिन निश्चित तौर पर हमें 40%-50% (जाटव) वोट मिलेंगे।' उन्होंने अपनी बात में ये भी जोड़ा है कि 'पिछले 10 वर्षों से हमारे समाज के लोग नेता और ऐसी पार्टी खोज रहे हैं जिससे वो सशक्त महसूस कर सकें। मैं उनके बीच जा रही हूं और नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ का संदेश पहुंचा रही हूं।'

मायावती का क्या होगा ?

मायावती का क्या होगा ?

अगर हम 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के लिए 2002 से यानी 20 वर्षों में बसपा को मिले वोट पैटर्न का विश्लेषण करें तो ऐसा लगता है कि बेबी रानी मौर्य को सफलता मिलने की स्थिति में मायावती के लिए खतरे की घंटी बज सकती है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने 39.67% वोट लाकर सपा-बसपा दोनों की हवा गुम कर दी थी। तब बीएसपी ने सभी 403 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और वह सिर्फ 22.23% वोट लाई थी (19 सीट)। 2012 में उसे इससे 4% से भी कम ही वोट अधिक मिले थे (25.91%) तो भी उसने 80 सीटें जुटा ली थीं। 2007 में बसपा को 30.43% वोट मिला तो उसने 206 सीटें जीतकर अपने दम पर पूर्ण बहुत की सरकार बनाई। इससे पांच साल पहले यानी 2002 में वह 401 सीटों पर ही लड़ी थी, लेकिन 23.06% वोट लाकर 98 सीटें जीती थी। यह आंकड़े यही बताते हैं कि वोट शेयर में थोड़ा भी ऊपर नीचे होने से बसपा की सीटों में काफी अंतर आ जाता है। ऐसे में अगर बेबी रानी मौर्य ने उनके कोर वोटर बेस में 3 से 4% की भी सेंध लगाई तो बहन जी को राजनीतिक झटका लगना तय है।

इसे भी पढ़ें- यूपी में श्रीपति मिश्रा का जिक्र कर पीएम मोदी ने सिर्फ ब्राह्मण कार्ड नहीं खेला है, पूरी रणनीति समझिएइसे भी पढ़ें- यूपी में श्रीपति मिश्रा का जिक्र कर पीएम मोदी ने सिर्फ ब्राह्मण कार्ड नहीं खेला है, पूरी रणनीति समझिए

Recommended Video

UP Election 2022 Opinion Poll: Uttra Pradesh में क्या फिर होगी CM Yogi की वापसी ? | वनइंडिया हिंदी
भाजपा की पुरानी और बड़ा दलित चेहरा हैं मौर्य

भाजपा की पुरानी और बड़ा दलित चेहरा हैं मौर्य

उत्तर प्रदेश में दलितों की जनसंख्या 21% है और जाहिर है कि मायावती सिर्फ जाटव का ही नहीं बाकी दलित जातियों का भी अधिकतर वोट पाती रही हैं। इसी तरह मौर्या बीजेपी का जाटव चेहरा तो हैं ही, वह एक ऐसी दलित नेता भी हैं जिनका प्रोफाइल अब काफी बड़ा हो चुका है। बेबी रानी भाजपा से लगभग तभी से जुड़ी हुई हैं, जब से बहन जी बसपा में कद्दावर बनी हैं। वो जहां भी जाती हैं यही कहती हैं कि बीजेपी ने उनके जैसी एक साधारण कार्यकर्ता को पहले मेयर बनाया, फिर गवर्नर बनाया और अब पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है। आगरा में मेयर का चुनाव बहुत ही भारी मतों से जीतकर वह यह भी साबित कर चुकी हैं कि वह जमीनी नेता हैं और राष्ट्रीय महिला आयोग का सदस्य बनकर वह समाज में अपनी एक अलग प्रतिष्ठा भी रखती हैं। (भाजपा के कार्यक्रम वाली तस्वीरें-बेबी रानी मौर्य के ट्विटर हैंडल से)

Comments
English summary
In Uttar Pradesh elections, BJP set a target of getting 50 percent Jatav votes in its favor through Baby Rani Maurya, Mayawati's support base may slip
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X