तीसरी लहर के लिए कैसे मिल रही है एक लाख कोविड वॉरियर्स को ट्रेनिंग, जानिए
वाराणसी, 24 जून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले 18 जून को देशभर में एक लाख से ज्यादा कोविड वॉरियर्स के स्किल डेवलपमेंट के लिए 'क्रैश कोर्स' कार्यक्रम लॉन्च किया था। यह ट्रेनिंग प्रोग्राम पीएम मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी में भी चल रही है। सरकार का इरादा है कि अगर कोरोना की तीसरी लहर ने भी दस्तक दे दी तो ऐसे एक लाख अतिरिक्त स्किल्ड वर्कफोर्स तैयार रहे, जो उस आपात स्थिति में डॉक्टरों,नर्सों, डायग्नोस्टिक सेंटर के कर्मचारियों पर बढ़ने वाले काम के दबाव में हाथ बटा सकें। इस कोर्स को इसी तरह से डिजाइन किया गया है कि किसी भी आपात स्थिति में अतिरिक्त स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहें, ताकि कोरोना के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने में सहायता मिल सके।
'क्रैश कोर्स' में कोरोना वॉरियर की ट्रेनिंग शुरू
कोरोना की संभावित तीसरी लहर के मद्देनजर प्रशिक्षित कोविड वॉरियर्स की एक पूरी जमात तैयार करने के लिए मोदी सरकार ने महत्वाकांक्षी क्रैश कोर्स शुरू किया है। वाराणसी में इसके तहत प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र में स्टूडेंट को उस संभावित स्वास्थ्य आपदा से निपटने का हुनर सिखाया जा रहा है। इसी के तहत केंद्रीय स्किल डेवलपमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप मंत्री डॉक्टर महेंद्रनाथ पांडे ने गुरुवार को वाराणसी के एक उस प्रशिक्षण केंद्र का दौरा किया है। इस मौके पर उन्होंने इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल स्टूडेंट्स के साथ बात भी की और उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाए दीं। बता दें कि इस 'कस्टमाइज्ड क्रैस कोर्स' के तहत देश के 26 राज्यों के कुल 111 सेंटर्स पर ट्रेनिंग दी जानी है। जल्द ही यह ट्रेनिंग प्रोग्राम पूरा होते ही देशभर के स्वास्थ्य केंद्रों के लिए ऐसे एक लाख प्रोफेशनल तैयार हो जाएंगे, जो स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ऑन-द-जॉब सपोर्ट के लिए हर वक्त उपलब्ध होंगे। यह ट्रेनिंग राज्यों की जरूरतों के मुताबिक दी जाएगी ताकि ये प्रोफेशनल कोविड-19 गाइडलाइंस के मुताबिक आपात स्थिति में उससे निपटने में काम आ सकें। संभावित जरूरतों के मुताबिक 'हेल्थकेयर सेक्टर स्किल काउंसिल' ने बहुत ही कम वक्त में कुल 6 'कस्टमाइज्ड क्रैस कोर्स' विकसित किए हैं, जिसमें हेल्थ सेक्टर के प्रोफनेशनल शामिल हैं और इसे स्किल रेगुलेटर एनसीवीईटी से मंजूरी मिली हुई।
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डॉक्टरों और नर्सों पर काम का बोझ कम करेंगे ये स्टूडेंट
वाराणसी के ट्रेनिंग सेंटर में महेंद्रनाथ पांडे ने इसके बारे में कहा, ''कस्टमाइज्ड क्रैश कोर्स' की शुरुआत कोविड-19 की मौजूदा और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए क्षमता और सामर्थ्य निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पहल के जरिए युवाओं को इस महामारी के दौरान अपने साथी नागरिकों की सहायता और उनकी सेवा करने के लिए स्वास्थ्य से जुड़े जॉब की भूमिकाओं के लिए ट्रेंड किया जाएगा। मुझे विश्वास है कि यह ट्रेनिंग हमारे डॉक्टरों और नर्सों पर बोझ कम करने में मददगार साबित होगा और हमारे युवाओं को भविष्य में बेहतर मौके प्राप्त करने में भी मदद करेगा।' कुल मिलाकार इस प्रोग्राम का मकसद कोरोना महामारी की जरूरतों के मुताबिक अतिरिक्त एक लाख हेल्थकेयर प्रोफेशनल तैयार करना है, जिन्हें संभावित जरूरत के मुताबिक काम पर लगाया जा सके।
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'क्रैश कोर्स' क्या सिखाया जाएगा ?
इन युवाओं को जिस क्षेत्र में ट्रेनिंग दी जा रही है, उसमें बेसिक केयर के अलावा, इमरजेंसी केयर, एडवांस केयर, सैंपल कलेक्शन, होम केयर और मेडिकल उपकरणों के संचालन का प्रशिक्षण भी शामिल है। इस कार्यक्रम के तहत युवाओं को शुरू में एक शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग दी जानी है, उसके बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, अस्पतालों, डायग्नोस्टिक सेंटर और सैंपल कलेक्शन सेंटर जैसी जगहों पर तीन महीने के लिए ऑन द जॉब ट्रेनिंग दिया जाएगा। इस कोर्स से स्टूडेंट्स को यह फायदा मिलेगा कि वह ऐसी ड्यूटी के लिए ट्रेंड तो हो ही जाएंगे, इसके साथ ही उन्हें सरकार से सर्टिफिकेट, स्टाइपेंड, 2 लाख रुपये की दुर्घटना बीमा और खाने और रहने की सुविधा भी मिलेगी। इस कार्यक्रम में उन्हें भी शामिल किया जा रहा है, जो पहले से ही स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े हैं, लेकिन उन्हें और कौशल विकास की आवश्यकता है। किसी भी हेल्थकेयर सेंटर पर नियुक्ति से पहले इन उम्मीदवारों को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत सर्टिफिकेट दिया जाएगा। (तस्वीरें सौजन्य-पीआईबी)