5 सालों में योगी ने जीता मोदी-संघ का भरोसा, जानिए कैसे पॉवर सेंटर बना गोरक्षनाथ पीठ
लखनऊ, 01 दिसंबर: उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरूआत में चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले एक बार फिर सबके दिमाग में यह बात आ रही है कि गोरक्षनाथ पीठ किस तरह से पिछले चार सालों में योगी के नेतृत्व में पूरे प्रदेश में राजनीतिक का केंद्र या कहें तो पॉवर सेंटर बनकर उभरा है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो यह पॉवर सेंटर यूं ही नहीं बना है इसके लिए गोरक्षनाथ पीठ के पुराने इतिहास पर भी नजर डालनी होगी क्येांकि अब इस पीठ का धार्मिक महत्व होने के साथ ही राजनीतिक महत्व भी है। आइए आज बताते हैं कि योगी के गोरखनाथ पीठ की क्या अहमियत है और पिछले पांच सालों में गोरखपुर तो पॉवर सेंटर बना ही योगी आदित्यनाथ भी बीजेपी के फ्रंटलाइन नेता के तौर पर उभरने में कामयाब रहे। इस दौरान उन्होंने अपने काम के दम पर पीएम मोदी और संघ दोनों का भरोसा जीतने में कामयाबी हासिल की।
अपनी धार्मिकता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध, गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर अब उत्तर प्रदेश की राजनीति में नए शक्ति केंद्र के रूप में उभरा है। मुख्य पुजारी योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में, जिन्हें राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है, मंदिर का धार्मिक और राजनीतिक दोनों में एक शानदार अतीत है। ऐसा माना जाता है कि 11 ईसा पूर्व में, भगवान शिव के एक अवतार, प्रसिद्ध संत गुरु गोरखनाथ ने शहर का दौरा किया और लंबे समय तक पूजा की। इस शहर का नाम गुरु गोरखनाथ के नाम पर ही पड़ा है। हर साल मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर, हिंदू वर्ष की शुरुआत, हजारों भक्त, यहां तक कि पड़ोसी नेपाल से भी, खिचड़ी चढ़ाने और महीने भर चलने वाले मेले में भाग लेने के लिए मंदिर जाते हैं।
मंदिर दो दर्जन से अधिक स्कूल और कॉलेज और अस्पताल चलाता है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद, मंदिर की शैक्षणिक शाखा, 28 इंटर स्कूल, पांच पीजी कॉलेज, एक पॉलिटेक्निक कॉलेज, संस्कृत के लिए एक पीजी कॉलेज (संस्कृत विद्यापीठ) एक नर्सिंग कॉलेज और गोरखपुर और आसपास के क्षेत्रों में एक योग केंद्र चलाता है। गौशालाओं (गाय आश्रयों) और नियमित योग पाठ्यक्रमों के अलावा, मंदिर गरीबों को वित्तीय मदद सहित विभिन्न चैरिटी कार्यक्रम भी चलाता है। कहा जाता है कि धर्मांतरण के मोर्चे पर भी, मंदिर ने अतीत में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।
गोरक्षनाथ पीठ का राजनीतिक महत्व
आजादी से पहले भी, आधी सदी से भी अधिक समय से मंदिर का राजनीतिक संबंध मजबूत रहा है। तत्कालीन मंदिर प्रमुख महंत दिग्विजय नाथ ने 1921 में कांग्रेस के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और चौरी-चौरा कांड में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 1937 में, वह हिंदू महासभा में शामिल हो गए और महात्मा गांधी के खिलाफ जुनून भड़काने के लिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, जिसके कारण उनकी हत्या कर दी गई। बाद में उन्होंने 1967 में लोकसभा में गोरखपुर का प्रतिनिधित्व किया।
दिग्विजय नाथ की राजनीतिक विरासत को महंत अवैद्यनाथ ने आगे बढ़ाया, जिन्होंने उनसे गोरखनाथ मंदिर प्रमुख के रूप में पदभार संभाला। अवैद्यनाथ, 90 के रामजन्मभूमि आंदोलन में एक प्रमुख नेता, 1962, 1963, 1969, 1974 में विधायक के रूप में चुने गए और बाद में सांसद के रूप में कार्य किया।
पांच बार गोरखपुर के सांसद और अब मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार योगी आदित्यनाथ ने 1997 में नाथ संप्रदाय में शामिल होने के लिए उत्तराखंड के पौड़ी में अपने पैतृक गांव को छोड़ दिया। अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी का अभिषेक करने के बाद, उन्होंने गोरखपुर लोकसभा सीट जीती। अवैद्यनाथ के निधन के बाद सितंबर 2014 में, उन्होंने मंदिर प्रमुख के रूप में पदभार संभाला। शनिवार को उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया।
आदित्यनाथ ने जीता मोदी-शाह का भरोसा
देश की राजनीति में एक कहावत है कि दिल्ली में सत्ता का रास्ता लखनऊ से होकर गुजरता है। यही बात गृह मंत्री अमित शाह ने लखनऊ में बीजेपी के सदस्यता अभियान की शुरुआत के मौके पर कही थी। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि 2024 में नरेंद्र मोदी को तीसरी बार पीएम बनाने के लिए यूपी में योगी आदित्यनाथ को फिर से सीएम बनाना जरूरी है। दरअसल, इसके साथ ही उन्होंने योगी आदित्यनाथ को फिर से सीएम बनाने की बात करते हुए आगामी चुनाव में सीएम के चेहरे के तौर पर पेश किया था। अक्सर सीएम पद को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रहती है। जिस पर उन्होंने पूरी तरह से साफ कर दिया था कि आने वाले चुनाव में योगी आदित्यनाथ सीएम फेस होंगे। देखा जाए तो प्रधानमंत्री कई बार सार्वजनिक कार्यक्रमों में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के काम की खुलकर तारीफ कर चुके हैं। राज्य में हो रहे विकास कार्यों को लेकर पीएम मोदी ने सीएम योगी की पीठ थपथपाई है। वहीं पिछले हफ्ते केदारनाथ यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने अयोध्या, काशी और मथुरा में सीएम योगी द्वारा किए जा रहे कार्यों की तारीफ की थी।
पार्टी में बढ़ रहा है सीएम योगी का कद
यूपी में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर रहे कमलेश कुमार शर्मा कहते हैं कि,
''बीजेपी में योगी आदित्यनाथ के बढ़ते कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने दिल्ली में बीजेपी की कार्यकारिणी में पहुंचकर वहां अहम माने जाने वाले राजनीतिक प्रस्ताव को पेश किया था। पार्टी ने जहां चार अन्य चुनावी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को वर्चुअल से जुड़ने और अपने विचार रखने को कहा, वहीं सीएम योगी को दिल्ली बुलाया गया। चर्चा है कि सीएम योगी को पहले वर्चुअल माध्यम से कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होना था, लेकिन आखिरी वक्त में उन्हें दिल्ली बुलाने का फैसला किया गया था। अभी तक पार्टी के फ्रंट लाइन नेताओं को ही बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में राजनीतिक प्रस्ताव पेश करने का मौका मिलता रहा है। लेकिन इस बार इसे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पेश किया। इससे ये संदेश देने का प्रयास किया गया है कि योगी अब बीजेपी की फ्रंट लाइन की कतार में खड़े हो चुके हैं।''
संघ और पीएम मोदी की अहम भूमिका
जानकारों का कहना है कि सीएम योगी का राजनीतिक कद बढ़ाने में दो लोगों की अहम भूमिका है। इसमें एक आरएसएस और दूसरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। जो आने वाले समय में सीएम योगी को बड़ी भूमिका में देखते हैं। अगर 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी ने यूपी विधानसभा चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ा और जीत हासिल की, लेकिन 2022 के चुनाव में पीएम मोदी और सीएम योगी पार्टी के दो अहम चेहरे हैं और राज्य में चुनाव इन्हीं दोनों नेताओं के नेतृत्व में लड़ा जाना है।
यूपी विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए अहम
दरअसल, यूपी विधानसभा चुनाव में दोबारा जीतना बीजेपी के लिए बेहद अहम है, क्योंकि 2024 में लोकसभा चुनाव होंगे और दिल्ली में सत्ता की राह लखनऊ की सत्ता से तय होगी। वर्तमान में कोरोना महामारी को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा गरीबों और आम लोगों के लिए चलाई जा रही मुफ्त राशन योजना, महिलाओं के खाते में सीधे पैसा जमा करना, कानून व्यवस्था में सुधार, सख्त प्रशासन देना, बिजली समस्या का निवारण, आदि कोर्ट जाएंगे। वहीं पार्टी आलाकमान को लगता है कि पिछले साढ़े चार साल में किए गए विकास कार्यों के प्रदर्शन के आधार पर प्रदेश की जनता फिर से बीजेपी की सरकार बनाएगी और सीएम योगी की अहम भूमिका होगी।