काशी में जलती चिताओं के बीच महाश्मशान में नगरवधुओं का डांस, देखिए
वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर शनिवार को सप्तमी की रात को लगभग 300 साल पुरानी परम्परा की निभाते हुए जलती चिताओं के सामने नगरवधुओं ने डांस किया। इस परम्परा की शुरुआत राजा मानसिंह ने 16वीं शताब्दी में की थी। नगरवधुएं मुक्ति के लिए यहां मसान नाथ मंदिर में पहले पूजन और बाबा को नृत्यांजलि समर्पित करती हैं। उसके बाद लोगों के सामने नाचती हैं।
कहा जाता है कि राजा मान सिंह ने महाश्मशान घाट मणिकर्णिका पर मसान नाथ का मंदिर बनवाया था। परम्परा के अनुसार पहले दिन संगीत की साधना के साथ मंदिर में दर्शन-पूजन शुरू होता है। कई कलाकारों को राजा द्वारा निमंत्रण भेजा गया था। कोई भी चिताओं और मुर्दों के सामने प्रस्तुति देने को तैयार नहीं हुआ।
संगीत का निमंत्रण नगरवधुओं को भेजा गया और पहली बार वो यहां आने को तैयार हो गयी। पूरे देश से आकर नगरवधुओं ने नृत्य किया। तभी से यह परम्परा चली आ रही है।
धधकती चिताओं के बीच नगरवधुओं के पांव की घुंघुरू रातभर बजते हैं। मणिकर्णिका घाट स्थित बाबा महाश्मशान नाथ के तीन दिवसीय वार्षिक श्रृंगार महोत्सव के अंतिम दिन नगरवधुओं ने अपनी हाजिरी लगाई।
इस रात यहां आने वाली नगरवधुएं पूरी रात यहां आकर सबसे पहले मसान नाथ के सामने डांस करती हैं और फिर उसके बाद जलती चिताओं के बीच बने मंच से आम जनता इसका लुफ्त उठाती है।
यहां आने वाली एक नगरवधू ने वनइंडिया से बात करते हुए कहा कि हमारे जैसे लोग यहां बाबा के सामने अपने डांस के माध्यम से अर्जी लगाते हैं। यहां ऐसा करने से हमारे परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है। हम लोग यहां इस लिए डांस करते हैं कि ऐसा करने से हमें अलगे जन्म में इस जीवन से मुक्ति मिले।
वहीं चंदौली से आये शवयात्री कुंदन ने बताया कि अखबारों में पढ़ा था। आज देखकर महसूस आखिर मणिकर्णिका महाश्मशान तीर्थ क्यों कहा जाता है। धरती का एक मात्र स्थान है ,जहां मृत्यु के सामने जश्न होता है। बाबा विश्वनाथ मुक्ति का मार्ग देते है।
इसे भी पढ़ें: जीजा से शादी की फिराक में थी छोटी बहन, सोते समय बड़ी बहन ने की वारदात