उत्तर प्रदेश न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

गाजीपुर में तीन दशकों से नहीं जीती कांग्रेस, क्या इस बार प्रियंका के सहारे खुलेगा खाता ?

Google Oneindia News

लखनऊ, 23 फरवरी: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव भले ही कांग्रेस इस बात को लेकर प्रदेश में उत्साह भर रही हो। लेकिन गाजीपुर जिले में स्थिति मजबूत नहीं है। वहीं, अतीत और वर्तमान पर नजर डालें तो पिछले तीन दशकों से कांग्रेस ने जिले के अंदर किसी भी सीट पर विधानसभा चुनाव में वापसी नहीं की है। ऐसे में अगर देखा जाए तो कुछ सीटों पर तो प्रत्याशी भी नहीं मिल रहे हैं। वर्तमान में जिले में सात विधानसभा सीटें हैं लेकिन यहां एक भी सीट पर कांग्रेस जीत हासिल नहीं कर पायी है। लेकिन अबकी बार प्रियंका गांधी के सहारे कांग्रेस सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वह तीन दशक बाद खाता खोल पाएगी या नहीं।

90 के दशक के बाद नहीं जीती कांग्रेस

90 के दशक के बाद नहीं जीती कांग्रेस

वहीं मिशन 2022 को लेकर इन सभी विधानसभाओं में कांग्रेस मैदान में है। ऐसे में कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व विधानसभा चुनाव में उत्साह के साथ टिकट दे रहा है। जहां आजादी के बाद से 1990 तक कांग्रेस कई बार विधानसभा सीटों पर जीतती रही है। लेकिन कांग्रेस ने 90 के दशक के बाद से जिले में एक भी विधानसभा नहीं जीती है। आपको बता दें कि कांग्रेस का दबदबा जिले में 1980 के दशक तक ही दिखा है।

1990 से पहले यहां कई बार जीती कांग्रेस

1990 से पहले यहां कई बार जीती कांग्रेस

दरअसल, गाजीपुर जिले की सदर विधानसभा की बात करें तो यहां साल 1985 में अमिताभ अनिल दुबे कांग्रेस से विधायक बने थे, जबकि 1989 में उपचुनाव हुआ था और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 1991 के चुनाव में उमा दुबे को उम्मीदवार बनाया गया। लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा। जहूराबाद विधानसभा की बात करें तो वीरेंद्र सिंह 1989 में यहां कांग्रेस के आखिरी विधायक बने थे, लेकिन उसके बाद कांग्रेस ने इस विधानसभा में अपना उम्मीदवार खड़ा करना जारी रखा। लेकिन उन्हें हर बार हार का सामना करना पड़ा। जहां जखानिया आरक्षित सीट पर भी यही स्थिति रही और यहां 1985 में झिलमित राम कांग्रेस विधायक बने, लेकिन उसके बाद से कांग्रेस का खाता अभी तक नहीं खुला है।

जब केवल एक वोट से जीती थी कांग्रेस

जब केवल एक वोट से जीती थी कांग्रेस

इससे पहले 1967 के चुनाव में कृष्णानंद राय सिर्फ एक वोट से कांग्रेस विधायक बने। वहीं बात करें दिलदारनगर विधानसभा की, जिसका अब वजूद खत्म हो गया है। वहां 1967 के चुनाव में कांग्रेस विधायक कृष्णानंद राय को सिर्फ एक वोट से जीत मिली थी। इनका मुकाबला भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के रामजी कुशवाहा से था। हालांकि इस चुनाव में कृष्णानंद राय को 13563 वोट मिले थे, वहीं रामजी कुशवाहा को 13562 वोट मिले थे। जिसके बाद रामजी कुशवाहा ने भी सहारा लिया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। जिले में मजबूती से चुनाव लड़ने के बजाय नेता गुटबाजी के शिकार हो गए।

आपसी गुटबाजी का शिकार हो गए नेता

आपसी गुटबाजी का शिकार हो गए नेता

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक अगर जिले में विधानसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस के इस हादसे के लिए शीर्ष नेतृत्व और कमजोर संगठन के साथ-साथ जिम्मेदार नेता भी जिम्मेदार हैं। क्योंकि ये लोग उत्तर प्रदेश का चुनाव जोरदार तरीके से लड़ने के बजाय गुटबाजी के शिकार हुए और संगठन को मजबूत करने के बजाय उनके नेता केवल अपना टिकट पक्का कराने में लगे रहे। जिसके कारण कांग्रेस को पिछले तीन दशकों से सफलता नहीं मिल पाई है। ऐसे में अगर साल 2022 के चुनाव की बात करें तो कांग्रेस ने जिले की 7 विधानसभाओं पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जिनमें से दो से तीन सीटों के लिए महिला उम्मीदवारों ने भी नामांकन किया है। ऐसे में यह देखना होगा कि विधानसभा चुनाव भी कांग्रेस के लिए पिछले तीन दशकों की तरह होंगे या किसी सीट पर सफल होंगे या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा।

यह भी पढ़ें- 2022 के बहाने 2024 पर निगाहें! वाराणसी से लड़कर मोदी बने थे पीएम, अब अयोध्या से है योगी की वही तैयारी?यह भी पढ़ें- 2022 के बहाने 2024 पर निगाहें! वाराणसी से लड़कर मोदी बने थे पीएम, अब अयोध्या से है योगी की वही तैयारी?

Comments
English summary
Congress did not win in Ghazipur for three decades
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X