UPPSC: आयोग में फिर से फोटो कोडिंग इंटरव्यू व्यवस्था लागू, पुराने नियम से होगी भर्ती
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में एक बार फिर से फोटो कोडिंग इंटरव्यू व्यवस्था लागू कर दी गई है। आयोग की सीधी भर्तियों में अब इसी व्यवस्था के तहत ही इंटरव्यू की प्रक्रिया पूरी होगी। गौरतलब है कि सन 2015 में फोटो कोडिंग इंटरव्यू व्यवस्था वाले नियम पर रोक लगा दी गई थी और केवल अभ्यर्थी कोड इंटरव्यू के नियम को बहाल किया था, लेकिन अब एक बार फिर से फोटो कोडिंग इंटरव्यू के पुराने नियम को आयोग की सीधी भर्तियों में लागू कर दिया गया है।
क्या
है
फोटो
कोडिंग
इंटरव्यू
उत्तर
प्रदेश
लोक
सेवा
आयोग
की
वह
भर्तियां
जिनमे
इंटरव्यू
की
प्रक्रिया
से
अभ्यर्थी
गुजरता
है
उसमे
यह
व्यवस्था
लागू
होती
है।
इसके
तहत
आयोग
साक्षात्कार
के
पहले
अभ्यर्थी
को
एक
विशेष
कोड
आवंटित
करता
है
उसके
साथ
अभ्यर्थी
की
फोटो
चस्पा
करके
फाइल
इंटरव्यू
लेने
वाले
बोर्ड
को
जाती
है।
इसी
प्रक्रिया
को
फोटो
कोडिंग
इंटरव्यू
कहा
जाता
है।
2015
में
इसी
प्रक्रिया
में
बदलाव
कर
फाइल
में
फोटो
लगाने
की
व्यवस्था
को
खत्म
कर
दिया
गया
था
जिसे
अब
फिर
से
शुरू
किया
जा
रहा
है।
क्यों
बदला
गया
था
नियम
2015
की
तत्कालीन
मीडिया
रिपोर्टस
के
अनुसार
फोटो
कोडिंग
इंटरव्यू
पर
अभ्यर्थियों
ने
आयोग
के
अध्यक्ष
से
शिकायत
की
थी।
अभ्यर्थी
ने
आरोप
लगाया
था
कि
फोटो
के
जरिए
चयन
में
पक्षपात
होता
है।
इस
पर
तत्कालीन
आयोग
के
कार्यवाहक
अध्यक्ष
डॉ.
सुनील
कुमार
जैन
ने
आदेश
जारी
कर
फोटो
कोडिंग
इंटरव्यू
नियम
में
बदलाव
कर
दिया
था
और
नई
व्यवस्था
के
तहत
इंटरव्यू
बोर्ड
के
समक्ष
केवल
अभ्यर्थी
को
आवंटित
कोड
ही
भेजा
जाने
लगा।
इसी
नियम
से
अब
तक
कई
भर्तियां
संपन्न
हुई,
लेकिन
अब
इस
नियम
को
समाप्त
कर
पुराने
फोटो
कोडिंग
इंटरव्यू
वाले
नियम
को
लागू
कर
दिया
गया
है।
पारदर्शिता
पर
उठेगा
सवाल
पूर्व
मे
जब
उप्र
लोकसेवा
आयोग
में
फोटो
कोडिंग
इंटरव्यू
वाले
नियम
को
बदला
गया
तो
मंशा
साफ
थी
कि
भर्तियों
की
चयन
प्रक्रिया
में
पारदर्शिता
होगी।
इससे
विशेष
लोगों
के
चयन
पर
तो
रोक
लगी
ही
थी
अभ्यर्थियों
में
भी
पारदर्शिता
का
साफ
सुथरा
संदेश
जा
रहा
था,
लेकिन
अचानक
से
हो
रहे
इस
बदलाव
से
अब
फिर
सवाल
उठने
लाजमी
हैं।
यह
सर्वविदित
है
कि
प्रदेश
के
उच्च
स्तरीय
पदों
पर
लोकसेवा
आयोग
से
ही
अभ्यर्थियों
का
चयन
होता
है
और
वह
इंटरव्यू
की
प्रक्रिया
से
गुजरते
हैं।
अगर
यह
प्रक्रिया
अधिक
पारदर्शी
हो
तो
आखिर
इसमे
किसी
का
क्या
नुकसान
होगा
?
सवाल
साफ
है
जब
बदले
नियम
से
अभ्यार्थी
खुश
थे
और
नियम
की
सराहना
हो
रही
थी
तो
अचानक
से
नियम
बदलने
की
क्या
आवश्यकता
पड़
गई?
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