रंग लाए सुषमा स्वराज के प्रयास, अरब की जेलों में बंद भारतीयों की सुरक्षित रिहाई का रास्ता साफ
शिमला। आखिरकार लंबे समय बाद सऊदी अरब की जेलों में बंद हिमाचल और पंजाब के युवक जल्द ही स्वदेश लौट सकेंगे। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयासों के बाद इन युवकों की सुरक्षित रिहाई का रास्ता साफ हो गया है। इन 14 युवकों में से तीन की तो वतन वापसी हो भी गई है। इधर, हिमाचल पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए इन युवकों को धोखाधड़ी कर विदेश भेजने वाले 3 एजेंटो को भी धर दबोचा है।
बता दें कि, हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के सुंदरनगर के 13 व एक पंजाबी युवक रोजी रोटी कमाने कुछ माह पहले सऊदी अरब गये थे। लेकिन वहां जाकर उनकी वीजा अवधि खत्म हुई तो पता चला कि उन्हें तो एजेंट ने धोखा कर टूरिस्ट वीजा पर भेजा था। युवकों का वर्किंग वीजा नहीं बन पाया तो अवैध तौर पर रहने के आरोप में इन युवकों को रियाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसके बाद युवकों ने अपने परिजनों से मदद मांगी। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने मामले को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के समक्ष उठाया।
विदेश
मंत्रालय
का
दखल
विदेश
मंत्रालय
के
दखल
के
बाद
अब
युवकों
के
वतन
वापिसी
का
सिलसिला
शुरू
हो
गया
है।
तीन
युवक
वापिस
भारत
लौट
आये
हैं।
सुंदरनगर
के
हरजिंद्र,
डडोह
निवासी
अश्वनी
सांख्यान,
व
सिध्याणी
निवासी
जोगेंद्र
भारत
आ
चुके
हैं,
जबकि
दस
अन्य
युवकों
के
परिजनों
को
उनकी
सकुशल
वापसी
को
लेकर
प्रयास
तेज
हो
गये
हैं।
बताई
आपबीती,
उनके
साथ
क्या
होता
था
इन
युवकों
ने
अपनी
आपबीती
बताते
हुये
कहा
कि
उनके
साथ
रियाद
में
जानवरों
जैसा
सलूक
किया
जाता
था।
वहां
आग
उगलने
वाली
लू
में
उनके
कान-नाक
से
खून
निकलता
था।
आंखों
में
धूल
से
जलन
होने
पर
भी
उन्हें
जबरन
लोडर
और
जेसीबी
चलाने
को
दिए
जाते
थे।
उन्होंने बताया कि भारतीय कामगारों से बारह घंटे काम करने के बाद उन्हें टीन के शेड में बंधक की तरह सोने को मजबूर होना पड़ता है। युवकों ने बताया कि उन्हें कहा गया था कि वह वहां की एक कंपनी में काम करेंगे, लेकिन जब वह पहुंचे तो उन्हें वहां बदू (लोकल ठेकेदार) के पास भेजा गया। उनके सारे दस्तावेज लेकर उन्हें आगे एक कंपनी के पास नौकर रखवा दिया। सर्दियों में उन्हें हीटर तक नहीं दिए। वहां आठ घंटे काम करने के 1800 रियाल (करीब 35 हजार) मासिक वेतन और ओवरटाइम का अलग से भुगतान करने की बात कही थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। बंधकों की तरह उनसे बारह घंटे काम लिया जाता। उन्होंने जब उनसे पशुओं जैसा व्यवहार करने का विरोध किया तो प्रताडि़त करते थे।
इस बारे में उन्होंने एजेंट को भी उसके सऊदी अरब आने पर बताया था, जिसने काम करने के लिए तकलीफें सहने की नसीहत दी। बीमारी की हालत में भी उन्हें कोई चिकित्सीय सुविधा नहीं दी गई। युवकों के लौटने की खबर मिलते ही परिजनों में खुशी की लहर दौड़ गई है। उन्होंने उनकी सकुशल वापसी के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का आभार जताया है। तीनों युवकों ने बताया कि उनके पासपोर्ट अभी भी कंपनी मालिक के पास हैं। उन्हें भारतीय दूतावास ने तत्काल पासपोर्ट बनाकर सऊदी से हैदराबाद भेजा। वहां से घर तक पहुंचने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। वह हैदराबाद में किसी से उधार लेकर रुपये का जुगाड़ कर लौट रहे हैं।
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उधर, इन युवकों को धोखे से टूरिस्ट वीजा के आधार पर विदेश भेजने वाले एजेंटों पर मंडी पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस ने तीनों एजेंटों को गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले पुलिस ने इन एजेंटों के खिलाफ 420 की धारा के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था। सुंदरनगर डीनक के रहने वाले तीन एजेंटों ने 14 भारतीयों को टूरिस्ट वीजा के आधार पर काम के लिए सउदी अरब भेजा था और तीन महीने के वीजा खत्म होने के बाद आगे का वीजा कंपनी मालिक द्वारा बनाने की बात कही थी। एक-एक युवक से 90-90 हजार की राशि ली थी, लेकिन कंपनी मालिक द्वारा आगे का वीजा न बनाने पर सउदी की पुलिस ने 13 हिमाचली व एक पंजाब के युवक को गिरफ्तार किया था।
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