
Satna news : जिंदा किसान को सरकारी रिकॉर्ड में किया मृत घोषित, 4 साल से लगा रहा गुहार-साहब मैं जीवित हूं
Satna news : सरकारी कागजातों में जीवित लोगों को मृत घोषित कर देना स्थानीय सरकारी प्रशासनिक अधिकारियों में नया फैशन बन चूका है। सोमवार को मध्य प्रदेश के सतना जिले से एक स्थानीय प्रशासन की पोल खोल देने वाला एक मामला सामने आया है। यहां सरकारी मशीनरी के गलती की वजह से एक जीवित किसान को सरकारी अभिलेखों में मृत घोषित कर दिया गया है। इसके बाद खुद को जीवित साबित करने के लिए दफ्तरों का चक्कर काट-काट के हार चुका है।

पटवारी ने किया मृत घोषित
घटना सतना जिले के ग्राम सहिजना की है। यहां रामसुजान चौधरी सीमांत किसान हैं। प्रशासन ने 2018 में इन्हें किसान सम्मान निधि दी थी। किसान को योजना के तहत 4 किश्तें भी मिली, लेकिन 1 वर्ष बाद उन्हें योजना का लाभ मिलना बंद हो गया। दरअसल पटवारी गणेश कोल ने योजना का फायदा अनवरत मिलते रहने के एवज में किसान से 5 हजार रुपये की मांग की थी। किसान ने किसी तरह दो रुपये पटवारी को दिए, लेकिन पटवारी को ये बात ठीक नहीं लगी, पटवारी ने पीड़ित को 2019 में राजस्व रिकॉर्ड में मृत दर्शा दिया, जिसके चलते रामसुजान चौधरी को किसान सम्मान निधि का पैसा मिलना बंद हो गया।
Recommended Video

4 साल से जिंदा होने का दे रहा प्रमाण
पीड़ित किसान खुद को रिकॉर्ड में जीवित दर्ज कराने के लिए 4 साल से कई बार प्रशासन को ज्ञापन में प्रमाण दे चुका है लेकिन विभाग ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। वहीं प्रशासन की इस बड़ी गलती का खामियाजा किसान को उठाना पड़ रहा है। सरकारी राजस्व रिकॉर्ड में मृत घोषित होने के कारण किसान को प्रदेश और केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाली किसान सम्मान निधि का फायदा नहीं मिल पा रहा है। किसान रामसुजान ने CM helpline और सतना कलेक्टर से भी इसकी शिकायक की लेकिन अब तक रिकॉर्ड में जिंदा दर्ज नहीं हुआ। किसान पिछले 4 वर्षों से खुद को जिंदा होने का गुहार लगा रहा है। दफ्तर दफ्तर गवाही दे-देकर हार गया लेकिन जिम्मेदारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।

प्रभारी मंत्री ने कार्यवाही करने की कही बात
वहीं इस घटना में जिले के जिम्मेदार कैमरे में कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं, हालांकि जिले के प्रभारी मंत्री ने इस मामले में राजस्व अधिकारियों द्वारा रिकॉर्ड में जल्द सुधार करने की बात कही है।

प्रशासन को गंभीरता से लेने की आवश्यकता
बहरहक 1 जिंदा चलता फिरता किसान सरकारी रिकार्ड में मृत्य है। पिछले 4 वर्षों से अपने जिंदा होने का सबूत पेश कर रहा मगर रिकार्ड में सुधार नही हो रहा। जरूरत है इस घटना को गंभीरता से लेने की ताकि किसान सरकार की योजनाओं का लाभ ले सके और मानसिक बीमारी से निजात मिल सके।