भदोही अग्निकांड: मृतकों की संख्या हुई सात, गुरुवार शाम 65 वर्षीय व्यक्ति की हुई मौत
भदोही अग्निकांड में मरने वाले लोगों की संख्या सात हो गई है। वाराणसी के सर सुंदरलाल चिकित्सालय में इलाज के दौरान गुरुवार को 65 वर्षीय राम मूरत की मौत हो गई। डॉक्टरों ने बताया कि उपचार के दौरान गुरुवार शाम 6:30 बजे राम मूरत की हालत अधिक खराब हो गई। काफी प्रयास करने के बावजूद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। भदोही जिले के औराई थाना अंतर्गत सहसेपुर गांव के रहने वाले राम मूरत रविवार को नरथुआ गांव में पूजा पंडाल में मां दुर्गा का दर्शन करने के लिए गए थे। पंडाल में आग लगने के बाद राम मूरत का शरीर 65 फ़ीसदी से अधिक जल चुका था। ऐसे में उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें उपचार के लिए वाराणसी के सर सुंदरलाल चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था।

छह लोगों की पहले ही हो चुकी है मौत
घटना में छह दर्जन से अधिक लोग घायल हुए थे, सभी घायलों को वाराणसी के बीएचयू ट्रामा सेंटर, कबीर चौरा मंडलीय अस्पताल, पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय अस्पताल के अलावा कुछ घायलों को भदोही और प्रयागराज में भर्ती कराया गया था। इस घटना में सोमवार रात तक हर्षवर्धन (10), अंकुश सोनी (12) पुत्र दीपक सेठ निवासी जेठूपुर, नवीन (12) पुत्र उमेश निवासी बारीपुर पुरुषोत्तमपुर, आरती चौबे (48), जय देवी (60), शिवपूजन यादव (65) आदि कुल छह लोगों की मौत हो चुकी थी। गुरुवार को 65 वर्षीय राम मूतरत की मौत की सूचना के बाद उनके परिवार में मातम का माहौल है।
बाल एकता समिति के लोगों को तलाश रही पुलिस
पंडाल में आग लगने के बाद पुलिस द्वारा बाल एकता समिति के पदाधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसमें समिति के अध्यक्ष प्रदीप उर्फ बच्चा यादव के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। बच्चा के साथ ही 20 अज्ञात लोंगों के खिलाफ आइपीसी की धारा 304ए, 337, 338, 326 और बिजली चोरी सहित अन्य संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कि गया है। पुलिस का कहना है कि आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस टीम द्वारा दबिश दी जा रही है, जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
कागज और थर्माकोल से बना था पंडाल
नरथुआ इलाके में तालाब के पास एकता क्लब द्वारा हर साल दुर्गा पूजा पंडाल लगाया जाता है। इस बार लोगों ने पंडाल को गुफा नुमा बनाया था और पंडाल बनाने में कागज और थर्माकोल का अधिक प्रयोग किया गया था। गुफा नुमा होने का कारण प्रवेश और निकास के दोनों रास्तों को छोटा बनाया गया था। ऐसे में रविवार की रात में पंडाल में जब एक नाटक का मंचन किया जा रहा था उसी समय हाइलोजन के गर्म होने के चलते पहले कपड़े में आग लगी और उसके बाद देखते ही देखते आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। जिसके चलते उसके अंदर मौजूद लोगों को भागने का रास्ता भी नहीं मिल पाया। पंडाल में भगदड़ की स्थिति होने के चलते लोग गिरने पड़ने लगे।